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समाज

क्या महामारी ने निगरानी का मौका दे दिया?

१४ मई २०२०

आरोग्य सेतु ऐप को लेकर पहले से ही विवाद चलता आ रहा है, लेकिन अब स्थानीय स्तर पर ऐप और आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस की मदद से क्वारंटीन में रखे गए लोगों की निगरानी की जा रही है.

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तस्वीर: Colourbox

दिल्ली, मुंबई और अन्य बड़े शहरों में पिछले दिनों लॉकडाउन तोड़ने वालों पर नजर रखने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया गया. तेलंगाना पुलिस तो एक कदम आगे बढ़ते हुए सीसीटीवी की मदद से आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल करते हुए फेस मास्क के नियमों का उल्लंघन करने वालों की पहचान करने की तकनीक का इस्तेमाल कर रही है.

वहीं एक अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक देहरादून प्रशासन दूसरे जिलों और राज्यों से लाए गए लोगों पर होम क्वारंटीन के दौरान जीपीएस से निगरानी कर रहा है. जिला प्रशासन को उम्मीद है कि बड़ी संख्या में दूसरे राज्यों से लाए जा रहे लोगों की निगरानी में ऐप मददगार साबित होगा. एक अनुमान के मुताबिक 1.79 लाख लोगों ने उत्तराखंड लौटने के लिए पंजीकरण करवाया है.

जिला प्रशासन की टीम के सदस्य इस बात को सुनिश्चित करते हैं कि जो भी देहरादून में दाखिल हो वो अपने मोबाइल पर आईजीआईएस जिओ-लोकेटर नामक एप्लिकेशन इंस्टॉल करे. जब किसी शख्स को घर पर क्वारंटीन के लिए रखा जाता है और वह घर से 50 मीटर की दूरी पर चला जाता है तो एक अलर्ट जारी होता है. उस शख्स की हलचल इंटिग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल रूम को मिलती है और बाद में यह सूचना पुलिस को दे दी जाती है ताकि पुलिस कर्मचारी तत्काल कार्रवाई कर सके.

दूसरी ओर तेलंगाना पुलिस मास्क नियमों का पालन नहीं करने वालों की पहचान के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) आधारित फेस मास्क व्यवस्था लागू करने जा रही है. पिछले दिनों राज्य के पुलिस महानिदेशक एम महेंद्र रेड्डी ने ट्वीट किया, "तेलंगाना पुलिस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) आधारित फेस मास्क व्यवस्था लागू करने जा रही है." उनके मुताबिक देश में इस तरह की पहल पहली बार की जा रही है. रेड्डी ने अपने ट्वीट में बताया, "कंप्यूटर विजन और डीप लर्निंग तकनीक को शहरों में सीसीटीवी पर लगाया जा रहा है जो देश में अपनी तरह की पहली व्यवस्था है." राज्य के डीजीपी के मुताबिक यह तकनीक जल्द ही हैदराबाद, साइबराबाद और रचकोंडा में लागू होगी. 

आरोग्य सेतु पर सवाल

दूसरी ओर भारत सरकार ने आरोग्य सेतु ऐप को लेकर आक्रामक रवैया अपनाया हुआ है. आरोग्य सेतु ऐप कॉन्टैक्ट ट्रैसिंग ऐप है जिसे कोरोना से लड़ने के लिए कारगर बताया जा रहा है. डर है कि कहीं भारत भी चीनी हथकंडे अपनाते हुए हाईटेक सोशल कंट्रोल तो नहीं कर रहा. आरोग्य सेतु ऐप की मदद से जीपीएस लोकेशन डाटा को ब्लटूथ के जरिए केंद्रीय डाटाबेस में इक्ट्ठा किया जाता है. हालांकि बहुत सारे देशों में इस तरह की तकनीक का इस्तेमाल नहीं हो रहा है. इसी महीने सरकार ने निजी और सरकारी क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए इस ऐप को अनिवार्य कर दिया था. डिजीटल अधिकार कार्यकर्ता इस कदम का विरोध कर रहे हैं.

निजी डाटा सुरक्षा विधेयक का पहला मसौदा लेकर आने वाली समिति के अध्यक्ष रह चुके जस्टिस बीएन श्रीकृष्णा कहते हैं, "सरकार आपकी सहमति के बिना दबाव डाल रही और डाटा ले रही है." वे कहते हैं, "एक बार आपके मौलिक अधिकारों का हनन हो जाता है और कोई सवाल नहीं करता है और अगर कोर्ट भी मदद को आगे नहीं आता है तो आप चीन से भी खराब है."

Großbritannien Corona-App
कई देशों कोरोना रोकने के लिए ऐप.तस्वीर: Department for Health and Social Care/NHSX

रेल मंत्रालय जो कि विशेष ट्रेन सेवा चला रहा है, उसने यात्रियों से कह दिया है कि यात्रा के पहले आरोग्य सेतु ऐप डाउनलोड कर ले. कुछ मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ऐसा ही कुछ दिल्ली मेट्रो के लिए भी होने की योजना है. हालांकि पिछले दिनों सरकार ने आरोग्य सेतु ऐप के उपयोगकर्ताओं की जानकारियों की प्रोसेसिंग के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए हैं, जिसके तहत नियमों का उल्लंघन करने वालों के लिए जेल की सजा का प्रावधान है.

नए नियमों के तहत ऐप का डाटा इकट्ठा होने के ठीक 180 दिन बाद डिलीट हो जाएगा, इसके साथ ही डाटा का इस्तेमाल सिर्फ स्वास्थ्य से जुड़े उद्देश्यों के लिए ही होगा. इस ऐप को अब तक 10 करोड़ बार डाउनलोड किया जा चुका है. हालांकि करीब 30 करोड़ लोग ऐसे भी हैं जो स्मार्ट फोन इस्तेमाल नहीं करते हैं और उनकी पहुंच आरोग्य सेतु ऐप तक नहीं है.

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