ईरान: यूएन ने किया प्रदर्शनकारियों पर 'अपराधों' का खुलासा
२५ मार्च २०२४संयुक्त राष्ट्र के एक अंतरराष्ट्रीय तथ्य-खोजी मंडल (फैक्ट-फाइंडिंग मिशन) ने ईरान में हुए देशव्यापी प्रदर्शनों के खिलाफ सरकार की कार्रवाई पर अपनी जांच रिपोर्ट जारी की है. इसे 18 मार्च को जेनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के नियमित सत्र के दौरान सामने रखा गया.
300 से अधिक पन्नों की इस रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र के जांचकर्ताओं ने बताया कि कैसे ईरान की सरकार ने विरोध प्रदर्शनों के खिलाफ उत्पीड़न का क्रूर अभियान चलाया. अध्यक्ष सारा हुसैन ने बताया कि कुछ मामलों में यह मानवता के खिलाफ अपराध है.
22 साल की महसा अमीनी की मौत के दो महीने बाद नवंबर 2022 में पूरे ईरान में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने ईरान में "मानवाधिकारों की बिगड़ती स्थिति" को देखते हुए ईरानी लोगों के विरुद्ध किसी भी संभावित अपराध पर नजर रखने के लिए एक तथ्य-खोजी दल का गठन किया.
तब संदेह था कि ईरान के प्रशासन ने महिलाओं की आजादी और अधिकारों से जुड़ी मुहिम को दबाने के लिए अनुचित ताकत का इस्तेमाल किया. इस संदर्भ में सारा हुसैन ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के आगे पुष्टि करते हुए कहा कि "अपराध किए गए." उन्होंने उदाहरण के तौर पर गैर-न्यायिक हत्या, यातना, बलात्कार, जबरन गायब किए जाने और लैंगिक उत्पीड़न से जुड़े मामलों की बात कही.
ईरान के शासन-प्रशासन ने कभी महसा अमीनी की मौत की जिम्मेदारी नहीं ली. उनका दावा है कि उसे हिरासत में नहीं पीटा गया था. तथ्य-खोजी दल ने पाया कि अमीनी को "नैतिकता पुलिस की हिरासत के दौरान" पीट-पीटकर मार डाला गया था.
100 से अधिक गवाहों के बयान
हुसैन ने डीडब्ल्यू को बताया कि संयुक्त राष्ट्र आयोग ने अपनी रिपोर्ट के लिए कई स्रोतों की जांच और उनका मूल्यांकन किया. वह बताती हैं, "हमने सरकारी दस्तावेजों और सरकारी अधिकारियों के सार्वजनिक बयानों का विश्लेषण किया. हमने ईरान की मानवाधिकार उच्च परिषद द्वारा तैयार की गई कई रिपोर्टों की भी समीक्षा की."
सारा हुसैन, बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट में वकालत करती हैं. उन्होंने बताया कि तथ्य-खोजी दल ने अंतिम रिपोर्ट के लिए 134 प्रत्यक्ष गवाहों के बयानों का मूल्यांकन किया. जांचकर्ताओं ने डिजिटल मेडिकल रिकॉर्ड और कानूनी दस्तावेजों जैसी ओपन-सोर्स जानकारी का भी विश्लेषण किया.
हुसैन बताती हैं, "ये सभी हमारी जानकारी का आधार बने. इससे हमें प्राथमिक और द्वितीयक स्रोतों से प्रत्यक्ष और पुष्ट साक्ष्य लेने का मौका मिला, जिससे हमें अपनी जांच और निष्कर्षों के लिए एक ठोस आधार मिला."
आयोग के आगे गवाही देने वाले कई चश्मदीदों ने सुरक्षा बलों द्वारा चलाई गई गोलियों के निशान दिखाए. उनमें से एक हैं, तेहरान की 24 वर्षीय कोसर इफ्तेखारी. 2022 के विरोध प्रदर्शन के दौरान उन्हें आंख में रबर बुलेट लगी थी. तब से ही वह अपनी इस आंख से नहीं देख पाती हैं. इसके अलावा उन्हें "देश की सुरक्षा के खिलाफ साजिश करने" और "शासन के खिलाफ दुष्प्रचार फैलाने" के आरोपों के तहत तेहरा की रिवोल्यूशनरी कोर्ट के सामने पेश किया गया.
इफ्तेखारी ने डीडब्ल्यू को बताया, "इतना परेशान किए जाने के कारण मैं दो महीने पहले देश छोड़कर भाग आई." अब वह जर्मनी में रहती हैं और उन्होंने जेनेवा में आयोग के सामने गवाही दी. इफ्तेखारी ने बताया, "मैंने एक शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन में भाग लिया था, जिसे सुरक्षाबलों ने बेरहमी से कुचल दिया. उन्होंने जानबूझकर बहुत करीब से मेरी आंख में गोली मार दी. एक चश्मदीद के रूप में मेरे लिए यह अहम है कि मैं दुनिया को बताऊं कि हमने क्या महसूस किया और कैसे प्रदर्शनकारियों का दमन किया गया."
"आम नागरिकों पर व्यवस्थित हमला"
तथ्य-खोजी रिपोर्ट के अनुसार, सुरक्षा बलों के हाथों 551 लोग मारे गए, जिनमें कम-से-कम 49 महिलाएं और 68 बच्चे शामिल थे. विशेष रूप से महिलाओं, बच्चों और अल्पसंख्यकों को मानवाधिकारों के उल्लंघन का शिकार होना पड़ा. सारा हुसैन ने जेनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के सत्र में कहा कि ये तरीके "आम नागरिकों पर व्यवस्थित हमले" का हिस्सा हैं.
तथ्य-खोजी दल ने ईरानी सरकार से प्रदर्शनकारियों की फांसी रोकने, विरोध प्रदर्शन के सिलसिले में हिरासत में लिए गए सभी लोगों को रिहा करने, पीड़ितों और उनके परिवारों को परेशान करना बंद करने और उन्हें मुआवजा देने की अपील की. ईरानी मानवाधिकार वकील सईद देहगान ने कहा कि तथ्य-खोजी दल का काम ईरान में नागरिक आबादी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है.
देहगान ने डीडब्ल्यू को बताया, "इस्लामिक गणराज्य के इतिहास में पहली बार सत्ता में बैठे लोगों द्वारा आम नागरिकों के खिलाफ किए गए अपराधों का दस्तावेजीकरण किया गया है. यह पहली बार है कि ईरान की स्थिति से जुड़ी एक आधिकारिक रिपोर्ट में 'मानवता के खिलाफ अपराध' शब्द का इस्तेमाल किया गया है. इसका ऐतिहासिक महत्व है."
देहगान साल 2022 से कनाडा में रह रहे हैं. उन्होंने ईरानी वकीलों का एक विश्वव्यापी नेटवर्क बनाया. वह ‘पारसी लॉ' नाम से एक कानूनी केंद्र चलाते हैं, जो ईरान में लोगों को कानूनी सलाह देता है. वह जिस कानूनी केंद्र के प्रमुख हैं, वह संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों का भी समर्थन करता है, जो ईरान में मानवाधिकारों को बढ़ावा देते हैं.
ईरान ने रिपोर्ट के निष्कर्षों को खारिज कर दिया है. हालांकि, रिपोर्ट के आधार पर पश्चिमी देशों में रहने वाले ईरानी अधिकारियों पर मुकदमा चलाया जा सकता है, उनकी संपत्ति जब्त की जा सकती है या उन्हें प्रवेश से वंचित किया जा सकता है.
मध्यपूर्व एशिया के देश ईरान ने यह दावा कर खुद को पीड़ित के तौर पर पेश किया है कि तथ्य-खोजी दल का काम राजनीति से प्रेरित है. तेहरान ने संयुक्त राष्ट्र के निष्कर्षों की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि वे "निराधार आरोपों" और "बिना किसी कानूनी आधार के झूठी और पक्षपातपूर्ण जानकारी" पर आधारित थे.
ईरानी अधिकारी संयुक्त राष्ट्र के तथ्य-खोजी अभियान में सहयोग करने से इनकार करते हैं और इसके काम को आगे बढ़ने से रोकना चाहते हैं. अभियान का मैंडेट 5 अप्रैल, 2024 को खत्म होने वाला है. ईरानी और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने मैंडेट को बढ़ाने की अपील की है. मानवाधिकार परिषद अप्रैल की शुरुआत में अपनी अगली बैठक में विस्तार के साथ-साथ सभी लंबित प्रस्तावों पर मतदान करेगी.