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ईरान में महिलाओं के खिलाफ फिर तेज हुई हिंसक कार्रवाई

ओमिद बरीन
१ मई २०२४

ईरानी नेता अयातुल्लाह अली खामेनेई के हालिया आदेश के बाद ‘नैतिकता पुलिस’ ने अपनी गश्त बढ़ा दी है. जो महिलाएं अपना सिर ढकने के लिए हेडस्कार्फ नहीं पहन रही हैं उनके खिलाफ हिंसक कार्रवाई की जा रही है.

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Iran | Iranische Frauen ohne Kopftuch
ईरान में एक बार फिर महिला अधिकारों के खिलाफ कार्रवाई शुरू तस्वीर: Vahid Salemi/AP Photo/picture alliance

सख्त इस्लामिक ड्रेस कोड का पालन करने से इनकार करने वाली महिलाओं पर कार्रवाई करने के लिए ईरानी अधिकारी नए सिरे से सड़क पर गश्त बढ़ा रहे हैं. ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खामेनेई के आदेश पर चलाए जा रहे 'नूर' नामक नए अभियान के तहत देश की ‘नैतिकता पुलिस' तथाकथित ‘मार्गदर्शन गश्ती' यानी पेट्रोलिंग के दौरान उन महिलाओं की तलाश करती है जो हिजाब या हेडस्कार्फ पहनने से इनकार करती हैं.

ईरान की एक 25 वर्षीय महिला ने नाम न छापने की शर्त पर डीडब्ल्यू से बातचीत में कहा कि 20 अप्रैल को विश्वविद्यालय जाते समय तेहरान में उसके साथ दुर्व्यवहार किया गया था. उसने कहा कि वह दर्जनों पुलिस अधिकारियों से घिरी हुई थी जिन्होंने उससे अपने बाल ढकने को कहा. जब उसने विरोध किया, तो उसके बाल खींचकर वैन में बिठाया गया और अपशब्द कहे गए.

उस महिला ने बताया, "उस पल मुझे पूरी तरह से समझ नहीं आया कि क्या हो रहा है. मुझे बस इतना पता था कि वे मुझे पीट रहे थे. बाद में, मैंने देखा कि मेरे शरीर के कई हिस्सों पर चोट के निशान थे.”

महिला ने कहा कि जब पुलिस उसे पीट रही थी और परेशान कर रही थी, तो उसे ‘महिला, जीवन और आजादी' आंदोलन की याद आई. यह आंदोलन सितंबर 2022 में शुरू हुआ था, जब नैतिकता पुलिस की हिरासत में 22 वर्षीय महसा अमीनी की मौत हो गई थी. उसे कथित रूप से ठीक से हिजाब न पहनने के लिए गिरफ्तार किया गया था. 

Deutschland | Protest Rapper Toomaj Salehi
महसा अमीनी की मौत के बाद सड़कों पर उतरे थे हजारों लोगतस्वीर: Ebrahim Noroozi/AP Photo/picture alliance

महसा अमीनी की मौत के बाद शुरू हुए थे प्रदर्शन

अमीनी की मौत के दो महीने बाद नवंबर 2022 में पूरे ईरान में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे. ‘महिला, जीवन और आजादी' इन प्रदर्शनों का मुख्य नारा बनकर उभरा था. ये प्रदर्शन ईरान के इतिहास में अब तक हुए सबसे बड़े प्रदर्शनों में से एक थे. हजारों लोग महिला अधिकारों के समर्थन में देश की सड़कों पर उतर आए थे. इसके बाद ही ईरान की सत्ता ने प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार करने और सजा देने का व्यापक अभियान चलाया. संयुक्त राष्ट्र की एक फैक्ट फाइंडिंग टीम के अनुमान के मुताबिक इस दौरान 551 प्रदर्शनकारी मारे गए थे.

उस महिला ने बताया, "मुझे महसा अमीनी और अन्य महिलाओं की याद आई, जिन्होंने जीवन और आजादी के लिए प्रदर्शन के दौरान कुर्बानी दी. मैंने खुद से कहा कि मुझे मजबूत बनना होगा. मैं जोर से चिल्लाई कि मैं क्या पहनूंगी यह मैं खुद तय करूंगी. जैसे ही मैंने यह बात कही उन्होंने मेरे साथ हिंसा शुरू कर दी. महिला अधिकारियों ने मुझे वेश्या कहा. उन्होंने मुझे कहा कि जब तक मैं ईरान में रहूंगी मुझे देश के इस्लामिक कानूनों का पालन करना होगा.”

महिला ने आगे बताया कि उसे पुलिस हिरासत में लिया गया, जहां कम से कम पांच अन्य महिलाएं मौजूद थीं जिन्हें सिर पर स्कार्फ नहीं पहनने के कारण हिरासत में लिया गया था. कई घंटों के बाद उसे रिहा कर दिया गया, लेकिन इस्लामिक ड्रेस कोड का पालन करने के लिए एक पत्र पर हस्ताक्षर करने को मजबूर किया गया. साथ ही, उस महिला को आगे की कानूनी कार्रवाई का भी सामना करना पड़ सकता है.

Iran Teheran | Straßenszene
ईरान में सिर ना ढकने वाली महिलाओं को किया जा रहा गिरफ्तारतस्वीर: Vahid Salemi/AP Photo/picture alliance

ईरान में महिलाओं पर नए सिरे से कार्रवाई

हाल के हफ्तों में, ईरानी सोशल मीडिया पर महिलाओं के खिलाफ अत्यधिक हिंसा पर इसी तरह की कई रिपोर्ट सामने आई हैं. कई महिलाओं ने पुलिस हिंसा, गिरफ्तारी और जुर्माने से जुड़े अपने अनुभव साझा किए हैं.

कानून को मंजूरी देने वाली ईरान की विधायी संस्थाएं, इस्लामिक कंसल्टेटिव असेंबली और गार्डियन काउंसिल ने हाल ही में ‘अनिवार्य हिजाब' का विरोध करने वाली महिलाओं पर कार्रवाई को वैध बनाने के उद्देश्य से बिल पर चर्चा की है.

बीते 10 अप्रैल को ईद-उल-फितर पर खामेनेई के भाषण के बाद महिलाओं के खिलाफ फिर से हिंसा शुरू हो गई है. अनिवार्य हिजाब की जरूरत पर जोर देते हुए खामेनेई ने ‘धार्मिक मानदंड तोड़ने वालों' के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया है. इस भाषण के बाद, नैतिकता पुलिस ने सड़कों पर गश्त बढ़ा दी है.

इस्राएल से तनाव के बीच तेज होती कार्रवाई

इस्राएल पर बड़े पैमाने पर ईरानी मिसाइल और ड्रोन हमले के साथ-साथमध्य पूर्व में संघर्ष तेज होने पर अंतरराष्ट्रीय चिंता बढ़ने के दौरान ही महिलाओं पर भी सख्ती बढ़ाने को कहा गया है.

जर्मनी में रहने वाली ईरानी महिला अधिकार कार्यकर्ता महताब महबूब ने डीडब्ल्यू को बताया कि यह कोई संयोग नहीं है कि एक ओर इस्राएल के साथ तनाव बढ़ रहा है और दूसरी ओर महिलाओं के खिलाफ कार्रवाई तेज की जा रही है.

उन्होंने कहा, "सुरक्षा का मुद्दा इस्लामिक गणराज्य की नीतियों के मूल में है. बाहरी सुरक्षा के लिए 'दुश्मन' पर हमला करना और आंतरिक सुरक्षा के लिए महिलाओं के शरीर और सभी तरह के यौन और लैंगिक अल्पसंख्यकों को नियंत्रित करना उनकी नीति का हिस्सा है.”

साथ ही कहा कि महिलाओं और प्रदर्शनकारियों को ‘विद्रोह के संभावित एजेंटों के रूप में देखा जाता है जो इस्लामी गणराज्य के अनिवार्य नैतिक मूल्यों और नियमों को चुनौती दे सकते हैं'.

लोगों के सामान्य जीवन पर पड़ता असर

तेहरान के एक वकील उस्मान मोजायान ने डीडब्ल्यू को बताया कि हाल के दिनों में कई लोगों को गैर-कानूनी तरीके से हिरासत में लिया गया है. उन्होंने कहा, "कुछ मामलों में महिलाओं के खाते ब्लॉक कर दिए गए या उनकी कारें जब्त कर ली गईं. कुछ छात्रों को विश्वविद्यालयों में प्रवेश करने से रोक दिया गया है. यहां तक कि कुछ लोगों को काम से वंचित कर दिया गया है. उनका सामान्य जीवन बाधित हो गया है.”

उन्होंने आगे बताया, "इनमें से ज्यादातर लोगों को अदालतों में भेजा जाता है. फैसला चाहे सजा हो या रिहाई, ये सजाएं और लगाई गई पाबंदियां किसी भी व्यक्ति के जीवन पर स्थायी रूप से बुरा असर डालती हैं.”

बदलाव की मांग कर रहे हैं ईरान के लोग

कई लोगों का मानना है कि पूरे देश में फैला ‘महिला, जीवन और आजादी' आंदोलन, 1979 में इस्लामिक गणराज्य के गठन के बाद से सरकार के लिए सबसे बड़ी आंतरिक चुनौती है. हालांकि, सरकार प्रदर्शनकारियों की मांगों को कभी भी मानने के लिए तैयार नहीं रही है, खासकर महिलाओं के लिए हिजाब पहनना अनिवार्य करने वाले नियमों को हटाने की मांग को तो बिल्कुल नहीं.

नोबेल शांति पुरस्कार विजेता नरगिस मोहम्मदी इस समय तेहरान की एविन जेल में बंद हैं. उन्होंने महिलाओं और युवाओं के खिलाफ हिंसा में हालिया वृद्धि को इस्लामिक गणराज्य की ओर से ‘हताशा' का संकेत बताया.

‘महिला, जीवन और आजादी' प्रदर्शन के दौरान अपने बच्चों को खोने वाली माताओं के एक समूह ने हाल ही में बयान जारी कर ‘स्त्री विरोधी इस शासन द्वारा क्रूर और निरंतर दमन' की निंदा की. बयान में कहा गया, "ईरानी महिलाएं अतीत में वापस जाने का कोई इरादा नहीं रखती हैं. वे खुद को समाज में कमजोर या दूसरे दर्जे का नागरिक नहीं मानतीं. ये महिलाएं पितृसत्तात्मक सरकार और समाज को उनके लिए फैसले लेने का अधिकार नहीं देंगी.”

England | Woman Life Freedom March in London
2022 में हुए आंदोलन के बाद निशाने पर हैं ईरानी महिलाएंतस्वीर: Justin Ng/Avalon/picture alliance/Photoshot

आंदोलन से पहले वाला जीवन नहीं चाहती महिलाएं

तेहरान की पत्रकार रोजिना (बदला हुआ नाम) ने डीडब्ल्यू से बातचीत में कहा कि हिंसा में हालिया वृद्धि के बावजूद उन्होंने सड़कों पर कोई बदलाव नहीं देखा है. हर दिन कई महिलाएं अपनी पसंद का कपड़ा पहने सड़कों पर दिखती हैं. उन्होंने मान लिया है कि आजादी के लिए कीमत चुकानी पड़ती है. वे ‘महिला, जीवन और आजादी' आंदोलन से पहले वाली जिंदगी में वापस नहीं लौटने के लिए दृढ़ हैं.

नारीवादी कार्यकर्ता महबूब ईरान में कई महिलाओं के संपर्क में हैं. उन्होंने कहा कि इस आंदोलन ने महिलाओं के खोए हुए आत्मविश्वास को फिर से जगाया है. पूरे समाज को याद दिलाया है कि महिलाओं और हाशिए पर रहने वाले समूहों की स्वतंत्रता ही समाज की स्वतंत्रता का पैमाना है.

उन्होंने कहा, "कुछ महिलाएं जो अभी भी बिना हिजाब के घर से निकलती हैं, साहसपूर्वक अपनी खोई हुई गरिमा वापस पा रही हैं. वे इस बात पर जोर देती हैं कि किसी को भी हमारे शरीर के बारे में निर्णय लेने का अधिकार नहीं है.”

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