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प्रकृति और पर्यावरणसंयुक्त राज्य अमेरिका

3D प्रिंटर बना रहे हैं लकड़ी के बुरादे से सस्ते और टिकाऊ घर

स्टुअर्ट ब्राउन | काथलीन शुष्टर
१ फ़रवरी २०२४

क्या हो, अगर हम इंसान थ्री डी प्रिंटेड घर में रह सकें, जो रीसाइकल हो सकने वाली सामग्री से बना हो. ऐसे घर बनाने वाले कह रहे हैं कि घरों की कमी और जलवायु से जुड़े संकटों से निपटने में ये कारगर हो सकते हैं.

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थ्री डी प्रिंटिंग से तैयार हुआ एक बायोहोम. ऐसा एक घर बनने में करीब तीन हफ्ते लगते हैं.
बायोहोम, थ्री डी प्रिंटेड घर है. यह लकड़ी के बुरादे से बनाया जाता है और पूरी तरह रीसाइकल हो सकता है. किफायती घरों की मांग पूरी करने में यह तकनीक बड़ी क्रांति ला सकती है. तस्वीर: University of Maine ASCC

मार्क वीजनडंगर ने जब माइन यूनिवर्सिटी में आठ मीटर से भी लंबी और 2,000 किलो से भी वजनी थ्री डी प्रिंट की गई नाव देखी, तो उन्हें यही ख्याल आया, "अगर ये नाव प्रिंट कर सकते हैं, तो क्या ये घर भी प्रिंट कर पाएंगे?"

वीजनडंगर एक गैर-लाभकारी हाउसिंग फाइनेंस अथॉरिटी 'माइनहाउसिंग' में डेवलपमेंट डायरेक्टर हैं. वह अमेरिका के मेन राज्य में किफायती घर खरीदने में लोगों की आर्थिक मदद करते हैं. वह बताते हैं कि मेन में घरों की बहुत कमी थी. प्रशासन को कम आय वाले परिवारों के लिए करीब 20,000 अपार्टमेंटों की जरूरत थी. 2000 के दशक में जो आर्थिक मंदी आई, उसके बाद से निर्माण-कार्य इतना जोर पकड़ ही नहीं पाया कि घरों की जरूरत पूरी की जा सके.

वीजनडंगर ने नाव प्रिंट करने वाले प्रोजेक्ट के सर्वे-सर्वा से मिलने की ठानी. वह जानना चाहते थे कि क्या थ्री डी प्रिंटर से किफायती और टिकाऊ घर बनाए जा सकते हैं. नाव के इंजीनियर हबीब दागर शुरुआत में थ्री डी प्रिंटिंग तकनीक की सीमाओं को लेकर चिंतित थे. दागर, मेन यूनिवर्सिटी में 'अडवांस्ड स्ट्रक्चर्स एंड कंपोजिट सेंटर' के कार्यकारी निदेशक भी हैं. वह इतना जरूर समझ गए थे कि 'ज्यादा नवीकरणीय, रीसाइकलिंग के ज्यादा लायक और लचीला' घर बनाने के लिए नए तौर-तरीकों की जरूरत होगी.

लकड़ी के बुरादे से घर की प्रिंटिंग

वे तौर-तरीके क्या होंगे, ये तय करने में कुछ साल का वक्त लगा. वे तौर-तरीके क्या होंगे, ये तय करने में कुछ साल का वक्त लगा. मेन की सात कागज और लुगदी  मिलें बंद हो गईं. आगे की दिशा दिखाने में दागर इसे अहम घटनाक्रम मानते हैं. मिलें बंद होने के कारण स्थानीय स्तर पर पैदा होने वाला लकड़ी का कचरा प्रचुर मात्रा में उपलब्ध था. दागर और उनकी टीम को अवसर दिखा कि इस कचरे को थ्री डी प्रिंटिंग की निर्माण सामग्री में बदला जा सकता है. इस प्रक्रिया में लकड़ी के बुरादे में भुट्टे से बना बायोप्लास्टिक बाइंडिंग एजेंट मिलाया जाता है, ताकि बुरादे को जोड़कर रखा जा सके.

अगली चुनौती यह थी कि घरों की मांग पूरी करने के लिए जितने बड़े पैमाने पर निर्माण की जरूरत थी, उसमें दुनिया के सबसे बड़े थ्री डी पॉलिमर प्रिंटर के बिना काम नहीं चलना था. यह प्रिंटर 60 फीट लंबा, 22 फीट चौड़ा और 10 फीट ऊंचा होता है. अब ऐसे ही दो प्रिंटरों की कल्पना कीजिए, जो समानांतर खड़े हों और जो मध्यम आकार की चार कारों जितने बड़े हों.

नवंबर 2022 में एक छोटे थ्री डी प्रिंटेड मकान का नमूना तैयार कर लिया गया, जिसमें बैठक, सोने का कमरा, रसोई और बाथरूम था. इस मकान की सतह लकड़ी के बुरादे को परत-दर-परत बिछाकर इस तरह बनाई गई थीं कि घर के लकड़ी से बने होने का भ्रम होता है. ऐसे में ये कंक्रीट से बने घरों से अलग हैं, जो घर को डिब्बों जैसा आकार और स्लेटी रंग देते हैं.

थ्री डी प्रिंटर से बने घर साकार हो रहे हैं.
थ्री डी प्रिंटर से किफायती और टिकाऊ घर बनाए जा सकते हैं. तस्वीर: University of Maine ASCC

ऐसा एक 'बायोहोम' बनने में करीब तीन सप्ताह का वक्त लगता है. इसे चार अलग-अलग टुकड़ों में प्रिंट किया जाता है. फिर मकान बनने की जगह चारों टुकड़े आपस में जोड़ दिए जाते हैं, जिसमें करीब आधा दिन लगता है. थ्री डी प्रिंटेड घर का यह नमूना अमेरिका में एक साल तक चरम मौसम में भी बना रहा. इसमें माइनस 42.7 डिग्री सेल्सियस की ठंड, बहुत सारी बर्फ, बर्फीले तूफान और भारी बारिश शामिल है.

हालांकि, जब ऐसे घरों पर मेहनत हो रही थी, उसी बीच कोविड महामारी ने घरों के उस संकट को बढ़ा दिया था, जिसे थ्री डी प्रिंटेड घरों से खत्म करने की योजना बनाई जा रही थी. वीजनडंगर के अनुमान के मुताबिक, भाड़े पर दिए जाने वाले जिन 20,000 अपार्टमेंटों की जरूरत थी, वह अब और ज्यादा बढ़ गई थी. न्यूयॉर्क जैसे बड़े शहरों में रहने वाले लोग भी अब मेन जैसे ग्रामीण और अपेक्षाकृत सस्ते इलाकों का रुख करने लगे थे.

उन दिनों मेन राज्य की आबादी 13 लाख थी, जो दो वर्षों में ही 25,000 बढ़ गई. इससे घरों की कमी का दबाव और बढ़ गया. कई इलाकों में तो रियल एस्टेट के दाम 30 फीसदी तक बढ़ गए. वीजनडंगर ने जल्द ही घरों की जरूरत के अनुमान संशोधित किए. उन्होंने अगले 10 साल बाद यहां रहने वाले लोगों की आय को ध्यान में रखते हुए सरकार को बताया कि मोटे तौर पर करीब 84,000 घरों की जरूरत है. इससे बायोहोम टीम के सामने चुनौती खड़ी हो गई कि वे इतनी जल्दी उत्पादन में इतनी तेजी कैसे ला सकते हैं.

थ्री डी प्रिंटेड बायोहोम घरों की कमी की समस्या दूर करने में मददगार हो सकते हैं.
बायोहोम के निर्माण से होने वाला कार्बन फुटप्रिंट, पारंपरिक घर की तुलना में करीब 30 फीसदी कम है. तस्वीर: University of Maine ASCC

फिर बढ़ाई गई उत्पादन क्षमता

थ्री डी प्रिंटिंग तो कंक्रीटयुक्त सामग्री से भी की जाती है, लेकिन बायोहोम की निर्माण क्षमता पहले ही बेहतर थी, क्योंकि मेन में आधे साल इतनी ज्यादा ठंड होती है कि कंक्रीट से निर्माण कार्य करना बहुत ही मुश्किल हो जाता है.

जहां नमूने वाला घर प्रिंट करने में टीम को तीन हफ्ते लगे थे और घर 20 पाउंड सामग्री प्रति घंटे की रफ्तार से प्रिंट हो रही था, वहीं 2023 के अंत तक यह आंकड़ा 500 पाउंड प्रति घंटे तक पहुंच गया. इस गति से अगर दो प्रिंटर काम कर रहे हों, तो थ्योरी के मुताबिक 'कंपोजिट सेंटर' महज 48 घंटों में ही एक पूरा घर प्रिंट कर सकते हैं.

चूंकि लकड़ी का बुरादा और बायोप्लास्टिक अपेक्षाकृत सस्ते हैं, इसलिए इस प्रोजेक्ट की अनुमानित व्यावसायिक लागत करीब 40,000 डॉलर के आसपास है. साथ ही, आम घरों के मुकाबले थ्री डी प्रिंटिंग से घर बनाने में श्रम की लागत घटती है और निर्माण क्षेत्र पहले ही श्रमिकों की कमी से जूझ रहा है. श्रम लागत की वजह से भी सस्ते घर बनाना मुश्किल हो रहा है.

दागर बताते हैं कि बायोहोम जो निर्माण कर रहा है, उसमें कार्बन फुटप्रिंट पारंपरिक घर की तुलना में करीब 30 फीसदी कम है. यह इस प्रोजेक्ट का खास पहलू था क्योंकि संयुक्त राष्ट्र की 'पर्यावरण योजना' के मुताबिक, 2021 में ऊर्जा संबंधी जितना भी कार्बन उत्सर्जन हुआ था, उसका 40 फीसदी निर्माण क्षेत्र से आया था.

कैसे काम करता है थ्री डी प्रिंटर

हालांकि, इस परियोजना के आधार पर बड़े पैमाने पर उत्पादन करने से पहले कुछ दिक्कतें दूर करनी होंगी. इसमें यह परीक्षण करना भी शामिल है कि अलग-अलग जलवायु और वातावरण में यह सामग्री घर टिकाए रखने में कामयाब होगी या नहीं. चुनौतियों के बावजूद वीजनडंगर को लकड़ी के बुरादे और राल से घर बनाने में संभावना नजर आती है. इसीलिए वे इन घरों की वकालत करते हैं.

डीडब्ल्यू से बातचीत में वह कहते हैं, "मुझे यह बात अच्छी लगती है कि इसे पूरी तरह रीसाइकल किया जा सकता है और यह पर्यावरण को बहुत प्रभावित नहीं करता. यह सस्ता पड़ेगा और इसकी तमाम खूबिया हैं, पर आखिरी बात तो यही है कि यह कितना अच्छा दिखता है."