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यूट्यूब पर नौकरी का "लालच", रूसी जंग में फंसते भारतीय

८ मार्च २०२४

बेहतर नौकरी और अच्छी सैलरी की तलाश में भारतीय रूस में जाकर जंग में फंस रहे हैं. उन्हें रूस की तरफ से जंग में लड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है. अब सीबीआई ने एक बड़े मानव तस्करी नेटवर्क का पर्दाफाश किया है.

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मोहम्मद इमरान अपने भाई मोहम्मद असफान की तस्वीर के साथ
मोहम्मद इमरान अपने भाई मोहम्मद असफान की तस्वीर के साथतस्वीर: Noah Seelam/AFP

हैदराबाद के मोहम्मद असफान रूसी सेना में बतौर "सहायक" काम करने के लिए रूस गए थे तो उनके परिवार ने कभी सोचा नहीं था कि वह यूक्रेन युद्ध में लड़ेंगे, वहां मरना तो दूर की बात है. असफान उन कई भारतीयों में से हैं, जिनके बारे में उनके रिश्तेदारों का दावा है कि उन्हें आकर्षक नौकरी के अवसरों का लालच देकर रूस बुलाया गया था, लेकिन उन्हें अपनी इच्छा के खिलाफ रूस की तरफ से लड़ने के लिए मोर्चे पर जाने को मजबूर होना पड़ा.

पिछले हफ्ते ही भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि उसके ध्यान में लाए गए ऐसे हर मामले को "मजबूती के साथ से उठाया गया" है.

29 फरवरी को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने पत्रकारों से कहा, "हमारी जानकारी में लगभग 20 लोग वहां फंसे हुए हैं. हम पूरी कोशिश कर रहे हैं कि उन्हें सेवा मुक्ति मिल जाए. इसके लिए हम दिल्ली और मॉस्को दोनों जगह पर रूसी अधिकारियों से संपर्क में हैं."

रूसी विदेश मंत्रालय ने रॉयटर्स के पूछे गए सवालों का तुरंत जवाब नहीं दिया है.

यूट्यूब वीडियो के जरिए फंसते लोग

यूट्यूब पर एक वीडियो में रूस में नौकरी और छह महीने बाद वहां की नागरिकता का वादा देख असफान इस जाल में फंस गए. असफान हैदराबाद में एक कपड़े की दुकान में मैनेजर थे. उनकी पत्नी के अलावा उनके परिवार में दो बच्चे हैं, जिनकी उम्र दो साल से भी कम है.

असफान के भाई इमरान ने उनकी मौत के एक दिन बाद समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कहा, "उसने हमें यूक्रेन बॉर्डर से फोन करके बताया कि उसका पासपोर्ट जब्त कर लिया गया है और उसे लड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है... उसने मदद मांगी लेकिन तब तक वह फंस चुका था."

रूस में भारतीय दूतावास ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि असफान के शव को भारत लाने की कोशिश की जा रही है.

इसी तरह से एक और यूट्यूब वीडियो ने गुजरात के 23 साल के हेमिल मंगुकिया को पिछले साल दिसंबर में रूस जाने का लालच दिया. हेमिल की मौत 21 फरवरी को एक मिसाइल हमले में हो गई थी.

हेमिल के पिता ने कहा, "हेमिल को बताया गया था कि वह सेना में सहायक के रूप में काम करेगा और उसे तीन महीने तक प्रशिक्षित किया जाएगा, लेकिन (रूस) पहुंचने के बाद उसे अहसास हुआ कि उसे लड़ने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है."

रूस गए और जंग में फंस गए

परिवार को हेमिल की मौत की खबर उसके मरने के दो दिन बाद यानी 23 फरवरी को मिली. हेमिल के साथ लड़ने वाले एक और भारतीय ने उसके परिवार को फोन करके बताया कि उसकी मौत हो चुकी है.

हेमिल के पिता ने कहा, "हम अभी भी उसके शव के आने का इंतजार कर रहे हैं ताकि हम उसका अंतिम संस्कार कर सकें."

सोशल मीडिया पर सात ऐसे और लोगों के वीडियो वायरल हो रहे हैं जो भारत सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं, वे रूस से लौटना चाहते हैं. भारतीय मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक ये लोग पर्यटक वीजा पर रूस गए थे और उन्हें रूसी सेना में भर्ती होने के लिए मजबूर किया गया और ऐसा नहीं करने पर उन्हें 10 साल की सजा तक हो सकती है.

दूसरे विश्व युद्ध के बाद से यूरोप के सबसे खूनी युद्ध में फरवरी 2022 में रूस द्वारा पड़ोसी यूक्रेन पर हमला करने के बाद से दोनों पक्षों के हजारों सैनिक मारे गए हैं. मॉस्को इस हमले को "विशेष सैन्य अभियान" बताता आया है.

मानव तस्करी पर सीबीआई की कार्रवाई

इस बीच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने अच्छी नौकरी के नाम पर रूस की सेना में शामिल कराने वाले रैकेट का पर्दाफाश किया है. गुरुवार को सीबीआई ने दिल्ली समेत देश के सात शहरों में छापेमारी की. जांच एजेंसी ने दिल्ली, तिरुवनंतपुरम, मुंबई, अंबाला, चंडीगढ़, मदुरै, चेन्नई में 13 स्थानों पर तलाशी ली. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक कथित तस्करों द्वारा विदेश भेजे गए पीड़ितों के कम से कम 35 मामलों की पहचान की गई है.

अधिकारियों के मुताबिक ये तस्कर एक संगठित नेटवर्क के रूप में काम कर रहे थे, जो यूट्यूब आदि जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के माध्यम से और अपने स्थानीय संपर्कों या एजेंटों के माध्यम से भारतीय नागरिकों को रूस में "उच्च वेतन वाली नौकरियों" के लिए लुभा रहे थे.

एक वरिष्ठ सीबीआई अधिकारी ने मीडिया से कहा, "तस्करी किए गए भारतीय नागरिकों को युद्धक भूमिकाओं में प्रशिक्षित किया गया और उनकी इच्छा के खिलाफ युद्ध क्षेत्र में अग्रिम ठिकानों पर तैनात किया गया, जिससे उनकी जान खतरे में पड़ गई."

नौकरी के नाम पर धोखा

अधिकारी ने कहा, "बुधवार को निजी वीजा कंसल्टेंसी फर्मों, एजेंटों और अन्य लोगों के खिलाफ मानव तस्करी का मामला दर्ज किया गया था, जो बेहतर रोजगार और उच्च वेतन वाली नौकरियों की आड़ में भारतीय नागरिकों को रूस में तस्करी करने में लगे हुए पाए गए. यह रैकेट कई राज्यों में फैला हुआ था."

अधिकारी ने कहा, "अब तक 50 लाख रुपये से अधिक की नकदी, आपत्तिजनक दस्तावेज और लैपटॉप, मोबाइल फोन और डेस्कटॉप जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जब्त किए गए हैं. तलाशी जारी है."

सीबीआई के अधिकारी का कहना है, "कुछ संदिग्धों को विभिन्न स्थानों से पूछताछ के लिए हिरासत में भी लिया गया है. अब तक पीड़ितों को विदेश भेजे जाने के लगभग 35 मामले सामने आए हैं."

(रॉयटर्स से जानकारी के साथ)