भारत में सांप के सहारे हत्याओं को अंजाम
२७ अक्टूबर २०२१भारतीय अखबार इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक 54 वर्षीय एक व्यक्ति पर आरोप है कि उसने कोबरा सांप को एक हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया और अपनी ही मौत का स्वांग रचा. इसके लिए उसने अपने जैसे दिखने वाले व्यक्ति की हत्या कर दी. अखबार के मुताबिक इस हत्या और स्वांग का मकसद अमेरिकी इंश्योरेंस कंपनी से ली गई 50 लाख डॉलर यानी करीब 37.5 करोड़ डॉलर की जीवन बीमा पॉलिसी थी.
यह मामला तब खुला जब इंश्योरेंस कंपनी ने पड़ताल के लिए एक जांचकर्ता को भेजा. पिछले हफ्ते आरोपी प्रभाकर भीमाजी वाघचौरे और उनके चार सहयोगियों को गिरफ्तार कर लिया गया. पुलिस के मुताबिक वाघचौरे पिछले 20 साल से अमेरिका में रहते हैं. इसी साल जनवरी में वह भारत लौटे और महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के राजुर गांव में रहने लगे.
यहां होती है अजगरों की पूजा
22 अप्रैल को अहमदनगर पुलिस को स्थानीय सरकारी अस्पताल से वाघचौरे की मौत की सूचना मिली. जब एक सिपाही अस्पताल गया तो खुद को वाघचौरे का भतीजा बताने वाले प्रवीण नाम के व्यक्ति ने शव की पहचान की. राजुर के ही एक और व्यक्ति हर्षद लाहमगे ने भी शव की पहचान की. प्राथमिक मेडिकल रिपोर्ट मिलने के बाद शव को भतीजे को सौंप दिया गया और अंतिम संस्कार भी कर दिया गया. रिपोर्ट में मौत की वजह सांप से काटना बताई गई थी.
कैसे खुला राज
मामले की कड़ियां तब एक-एक कर खुलने लगीं जब वाघचौरे के बीमा क्लेम के बारे में इश्योरेंस कंपनी ने अधिकारियों से और जानकारी मांगी. प्रक्रिया के तहत पुलिस राजुर स्थित वाघचौरे पहुंची. वहां एक पड़ोसन ने पुलिसकर्मियों को बताया कि उसने सांप के काटने की किसी घटना के बारे में तो नहीं सुना था लेकिन घटना के वक्त एक एंबुलेंस को वाघचौरे के घर आते देखा था. जब पुलिस ने प्रवीण से दोबारा बात करनी चाही तो लाहमगे ने कहा कि उसकी मौत कोविड से हो गई है.
जब पुलिस को वाघचौरे के किसी रिश्तेदार का पता नहीं चला तो उसने फोन रिकॉर्ड खंगालने शुरू किए. इससे पता चला कि वाघचौरे ना सिर्फ जिंदा हैं बल्कि वही प्रवीण बनकर अपने ही शव की पहचान कर गए थे. खुलासा होने के बाद जल्दी ही वाघचौरे को हिरासत में ले लिया गया.
अहमदनगर पुलिस अधीक्षक मनोज पाटील ने सोमवार को मीडिया को बताया, "2017 में वाघचौरे ने अपनी पत्नी की बीमा राशि के लिए उसकी मृत्यु का फर्जी दावा किया था. इस कारण लाइफ इंश्योरेंस कंपनी ने वाघचौरे की मौत में ज्यादा खोजबीन की.” पाटील के मुताबिक वाघचौरे की पत्नी भी जिंदा है.
पुलिस न बताया कि वाघचौरे और उनके साथियों ने एक सपेरे से कोबरा सांप हासिल किया था. उन्होंने वाघचौरे जैसा दिखने वाला एक बेघर आदमी खोजा और उसे सांप से कटवाकर मार दिया. उसके बाद वाघचौरे ने प्रवीण बनकर अपनी ही मौत की सूचना दी.
सांप से हत्या के मामले
सांप से कटवाकर हत्या कराने के मामले भारत में तेजी से बढ़े हैं. पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे ही एक मामले पर टिप्पणी की थी. राजस्थान के एक मामले में सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्य कांत ने कहा था, "यह एक नया चलन है कि लोग किसी सपेरे से जहरीले सांप ले आते हैं और उससे कटवाकर व्यक्ति की हत्या कर डालते हैं. राजस्थान में यह बहुत बढ़ रहा है.”
यह मामला राजस्थान के झुनझुनूं जिले का है, जहां तीन व्यक्तियों पर हत्या का आरोप है. इनमें से एक आरोपी कृष्ण कुमार के वकील आदित्य चौधरी ने अदालत से पूछा, "क्या यह संभव है कि जहां अपराध हुआ, आरोपी उस जगह के आसपास भी ना हो हत्या करने का हथियार भी ना मिले, और फिर भी वह दोषी हो?”
चौधरी को जवाब देते हुए जस्टिस कांत ने कहा कि यह संभव है, अगर हथियार एक सांप हो. जस्टिस कांत के अलावा चीफ जस्टिस एनवी रमना और जस्टिस हिमा कोहली की इस बेंच ने कृष्ण कुमार की जमानत याचिका खारिज कर दी.
इससे पहले केरल का एक मामला बेहद चर्चित रहा था जिसमें एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी की सांप से कटवाकर हत्या कर दी थी. 28 साल के सूरज ने पिछले साल मई में सांप से कटवाकर अपनी पत्नी की हत्या की. इसके लिए उसने दो बार कोशिश की. जज ने कहा कि यह ‘रेयरेस्ट ऑफ द रेयर' मामला है. सूरज को दोहरी उम्रकैद की सजा दी गई.
हर साल हजारों मौतें
विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट कहती है कि पिछले दो दशकों में भारत में दस लाख से ज्यादा लोगों की मौत सांप के काटने से हुई है. रिपोर्ट के मुताबिक साल 2000 से 2019 के बीच 12 लाख लोग सांप के काटने से मारे गए, यानी औसतन सालाना 58,000 लोग. इनमें से आधे से ज्यादा लोगों की आयु 30 से 69 साल के बीच थी.
सांप के काटने से मरने वाले लोगों में 70 प्रतिशत से ज्यादा लोग बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, राजस्थान और गुजरात से हैं. 2014 के बाद ऐसी घटनाओं में कमी आई है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन का लक्ष्य है कि 2030 तक सांप के काटने से दुनियाभर में होने वाली मौतों की संख्या आधी की जाए. इस लक्ष्य को हासिल करने में भारत उसके लिए सबसे बड़ी चुनौती है.
रिपोर्टः विवेक कुमार (एएफपी)