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समाजएशिया

चीन के सीमा कानून पर भारत ने जताई चिंता

२८ अक्टूबर २०२१

भारत ने कहा कि भूमि सीमा कानून (लैंड बाउंड्री लॉ) लाने के चीन के ताजा एकतरफा फैसले का सीमा प्रबंधन पर मौजूदा द्विपक्षीय व्यवस्थाओं पर असर पड़ सकता है.

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तस्वीर: MONEY SHARMA/AFP/Getty Images

भारत ने बुधवार को चीन से भारत-चीन सीमा विवादित क्षेत्रों में एकतरफा बदलाव करने के लिए अपने नए सीमा कानून का इस्तेमाल करने से परहेज करने को कहा. चीन के भूमि सीमा कानून पर मीडिया के सवालों के जवाब में विदेश मंत्रालय प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, "हमें यह जानकारी है कि चीन ने 23 अक्टूबर को नया भूमि सीमा कानून पारित किया है. इस कानून में अन्य बातों के अलावा यह कहा गया है कि भूमि सीमा मामलों पर चीन दूसरे देशों के साथ किए या संयुक्त रूप से स्वीकार किए समझौतों का पालन करेगा. इसमें सीमावर्ती क्षेत्रों में जिलों के पुनर्गठन के प्रावधान भी हैं."

उन्होंने आगे कहा कि भारत और चीन ने सीमा संबंधी प्रश्नों का अभी तक समाधान नहीं निकाला है और दोनों पक्षों ने समानता पर आधारित विचार विमर्श के आधार पर निष्पक्ष, व्यावहारिक और एक दूसरे को स्वीकार्य समाधान निकालने पर सहमति व्यक्त की है. भारतीय पक्ष ने वास्तविक नियंत्रण रेखा के लद्दाख सेक्टर में सैन्य गतिरोध की पृष्ठभूमि के खिलाफ नए चीनी कानून के बारे में चिंता व्यक्त की.

दरअसल 23 अक्टूबर को चीन की संसद ने सीमा सुरक्षा से जुड़ा नया कानून पास किया है. यह कानून अगले साल एक जनवरी से प्रभाव में आएगा. इसके मुताबिक 'पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता पावन और अक्षुण्ण है.' माना जा रहा है कि चीन के नए कानून का उसके पड़ोसी देशों पर व्यापक असर पड़ेगा.

भारत ने नए कानून पर कहा कि इस तरह के एकतरफा फैसले से दोनों देशों के बीच परस्पर रिश्ते पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है. भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि दोनों पक्ष वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अमन और शांति बनाए रखने के लिए कई द्विपक्षीय समझौते, प्रोटोकॉल और व्यवस्थाएं कर चुके हैं.

विदेश मंत्रालय ने कहा कि इस तरह के एकतरफा कदम का उन व्यवस्थाओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा, जिन पर दोनों पक्ष पहले ही सहमत हो चुके हैं, फिर चाहे वह सीमा से संबंधित मामलों पर हो या भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शांति बनाए रखने के लिए हो.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, "हम उम्मीद करते हैं कि चीन इस कानून के बहाने ऐसे कदम उठाने से बचेगा, जो भारत और चीन के बीच सीमा क्षेत्रों में स्थिति को एकतरफा रूप से बदल सकते हैं और तनाव पैदा कर सकते हैं."

उन्होंने कहा, "इसके अलावा, इस नए कानून का पारित होना हमारे विचार में 1963 के तथाकथित चीन पाकिस्तान 'सीमा समझौते' को कोई वैधता प्रदान नहीं करता है, जिसे भारत सरकार ने हमेशा से ही एक अवैध और अमान्य समझौता करार दिया है."

चीन के इस कानून का असर 14 देशों पर होगा, जिसकी सीमा उससे सटी है. चीन दावा करता आया है कि उसने 12 देशों के साथ अपने विवाद सुलझा लिए हैं.

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