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पंजाब में किसानों का आंदोलन

१८ मई २०२२

पंजाब के किसान पिछले साल दिल्ली के किसान आंदोलन की तरह आंदोलन कर रहे हैं. प्रदर्शनकारी किसान गेहूं पर 500 रुपये प्रति क्विंटल मुआवजे की मांग कर रहे हैं.

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फाइल तस्वीर
फाइल तस्वीरतस्वीर: Naveen Sharma/ZUMAPRESS/picture alliance

केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले साल नवंबर में दिल्ली की सीमा पर तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग के साथ सालभर से चल रहे विरोध प्रदर्शन के खत्म होने के बाद अब पंजाब के सैकड़ों किसान मंगलवार को राज्य के बाहरी इलाके चंडीगढ़ बॉर्डर पर जुट गए. उनकी कई मांगों में से एक में समय से पहले गर्मी के कारण गेहूं की फसल की बर्बादी झेलने वाले किसानों को 500 रुपये प्रति क्विंटल मुआवजा व 10 जून से पहले धान की बुआई भी शामिल हैं. प्रदर्शनाकीर किसानों की अन्य प्रमुख मांगों में मक्का, बासमती और मूंग की खरीद के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य शामिल है, जिसका सरकार ने आश्वासन दिया है. मगर उन्हें 18 जून से धान की रोपाई शुरू करने के चौंकाने वाले आदेश और प्रीपेड बिजली मीटर स्थापित नहीं किए जाने पर आपत्ति है.

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मंगलवार को प्रदर्शनकारी किसानों ने पंजाब सरकार के खिलाफ मार्च निकाला और चंडीगढ़ की ओर जाने की कोशिश की लेकिन पुलिस ने उन्हें आगे बढ़ने से रोक दिया. जिसके बाद किसान चंडीगढ़-मोहाली सीमा पर ही धरना देकर बैठ गए.

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने किसानों को संयम बरतने को कहा है. उन्होंने कहा कि किसानों का आंदोलन गैरजरूरी है. उन्होंने किसानों से धरना खत्म करने की अपील की है. मान ने कहा धान की बुवाई कार्यक्रम से किसानों के हितों को कोई नुकसान नहीं होगा बल्कि यह कोशिश राज्य के गिरते जल स्तर को बचाने में बहुत ही मददगार साबित हो सकती है.

धरने में 23 किसान संगठनों से जुड़े किसान शामिल हैं. भारतीय किसान यूनियन (सिद्धूपुर) के प्रदेश अध्यक्ष जगजीत सिंह दल्लेवाल ने मीडिया को बताया कि उनके पास 15 मांगों का एक चार्टर है, जिसमें सरकार द्वारा तय किए गए 18 जून के बजाय 10 जून से किसानों को धान बुवाई करने की अनुमति देना शामिल है.

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पंजाब के बिजली मंत्री हरभजन सिंह के साथ किसान यूनियन की बातचीत विफल होने के बाद यूनियन नेताओं ने पिछले हफ्ते धरने की घोषणा की थी. धरने पर बैठे किसान अपने साथ राशन, गैस सिलेंडर, खाना पकाने का सामान, बिस्तर और कूलर लेकर आए हैं.

वहीं पंजाब के मुख्यमंत्री का कहना है कि सरकार किसानों से बातचीत के लिए हमेशा तैयार है. किसानों ने मांगे नहीं पूरी होने पर आंदोलन तेज करने की चेतावनी दी है.

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