2023 में भारत सबसे प्रदूषित देशों में रहा शामिल
१९ मार्च २०२४विश्व स्वास्थ्य संगठन के डाटा के मुताबिक भारत में 2023 में 2022 के मुकाबले वायु प्रदूषण और बढ़ गया. देश में पीएम2.5 का स्तर संगठन के मानक से करीब 11 गुना ऊपर पाया गया. पीएम2.5 हवा में मौजूद छोटे छोटे कण होते हैं जो फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स का कहना है कि संगठन के मानक के मुताबिक पीएम2.5 का औसत कंसंट्रेशन पांच माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से ज्यादा नहीं होना चाहिए. नई दिल्ली को दुनिया की सभी राजधानियों में से सबसे खराब वायु गुणवत्ता वाली राजधानी पाया गया. शहर में पीएम2.5 का औसत कंसंट्रेशन 92.7 माइक्रोग्राम पाया गया.
और खराब हो सकती है स्थिति
2022 में, भारत आठवां सबसे खराब वायु गुणवत्ता वाला देश था और बांग्लादेश पांचवां. पाकिस्तान 2022 में भी तीन सबसे बुरे प्रदर्शन वाले देशों में शामिल था. लेकिन 2023 में भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश मिल कर दुनिया के तीन सबसे ज्यादा प्रदूषित देश रहे.
2023 में बांग्लादेश और भारत ने इस सूची में ईरान और अफ्रीकी देश चैड की जगह ले ली. 2023 में बांग्लादेश में पीएम2.5 का औसत कंसंट्रेशन 79.9 पर और पाकिस्तान में 73.7 पर पहुंच गया.
स्विट्जरलैंड के एयर-मॉनिटरिंग संगठन आईक्यूएयर में वायु गुणवत्ता विज्ञान मैनेजर क्रिस्टी चेस्टर श्रोडर ने बताया, "जलवायु के हालात और भूगोल (दक्षिण एशिया में) की वजह से आपको इस तरह के पीएम2.5 के कंसंट्रेशन के बहुत बढ़े हुए स्तर मिलते हैं क्योंकि प्रदूषण कहीं जा नहीं पाता है."
उन्होंने आगे कहा, "उसके ऊपर से कृषि गतिविधियों, उद्योगों और आबादी की सघनता जैसे कारण भी हैं. दुर्भाग्य से, वाकई ऐसा लग रहा है कि स्थिति बेहतर होने से पहले और खराब हो जाएगी."
2023 में चीन में भी पीएम2.5 का स्तर 6.3 प्रतिशत बढ़ कर 32.5 माइक्रोग्राम हो गया. इसके पहले लगातार पांच सालों तक चीन में पीएम2.5 के स्तर में गिरावट दर्ज की जा रही थी. 2023 में विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों पर खरे उतरने वाले देशों में ऑस्ट्रेलिया, एस्टोनिया, फिनलैंड, ग्रेनाडा, आइसलैंड, मॉरीशस और न्यूजीलैंड शामिल रहे.
कई देशों में नहीं रखी जाती है नजर
आईक्यूएयर रिपोर्ट 134 देशों और प्रांतों में मौजूद 30,000 से भी ज्यादा मॉनिटरिंग स्टेशनों से हासिल किए गए डाटा पर आधारित है. 2022 में सबसे प्रदूषित देश रहे चैड को डाटा से जुड़ीं समस्याओं की वजह से 2023 की सूची से हटा दिया गया था. ईरान और सूडान को भी हटा दिया गया था.
शिकागो विश्वविद्यालय के ऊर्जा नीति इंस्टिट्यूट में वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक की निदेशक क्रिस्टा हासेनकॉप्फ ने बताया कि 39 प्रतिशत देशों में तो सार्वजनिक रूप से वायु गुणवत्ता की मॉनिटरिंग होती ही नहीं है.
उन्होंने बताया, "इतने बड़े संभावित लाभ और तुलनात्मक रूप से कम खर्च होने के बावजूद यह काफी चौंकाने वॉली बात है कि हमारे पास इस डाटा गैप को भरने के लिए संसाधन लगाने की कोई भी संगठित वैश्विक कोशिश नहीं है, विशेष रूप से ऐसे स्थानों में जहां वायु प्रदूषण का स्वास्थ्य बोझ सबसे ज्यादा रहा है."