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कर्नाटक: क्या है कथित मुडा घोटाला

१९ अगस्त २०२४

कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया पर कथित मुडा घोटाले का आरोप लगा है. विपक्षी दल बीजेपी मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग कर रहा है. आखिर क्या है यह कथित घोटाला.

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कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया
कर्नाटक के राज्यपाल ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ कथित घोटाले में मुकदमा चलाने को मंजूरी दी तस्वीर: IDREES MOHAMMED/AFP

कर्नाटक में 15 महीने पुरानी कांग्रेस सरकार को बड़ा झटका देते हुए प्रदेश के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ कथित मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) जमीन घोटाले में मुकदमा चलाने के लिए मंजूरी दे दी. 19 अगस्त को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने राज्यपाल के अभियोजन के खिलाफ हाई कोर्ट में एक याचिका दयार की है. उन्होंने राज्यपाल के आदेश को अदालत में चुनौती दी है.

सिद्धारमैया ने कथित मुडा घोटाले को अपनी सरकार को अस्थिर करने की "साजिश" बताया है. वहीं, विपक्षी पार्टी बीजेपी ने मुख्यमंत्री पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए इस्तीफे की मांग की है. ताजा घटना से राज्य में सियासी तापमान बढ़ गया है.

राज्यपाल द्वारा मुकदमा चलाने की मंजूरी देने पर सिद्धारमैया ने कहा, "राज्यपाल का फैसला पूरी तरह से असंवैधानिक है. हम इसे कानूनी रूप से चुनौती देंगे." इस बीच 19 अगस्त को राज्यपाल की मंजूरी के खिलाफ कांग्रेस पूरे कर्नाटक के जिला मुख्यालयों में विरोध प्रदर्शन कर रही है. बीजेपी भी सिद्धारमैया के इस्तीफे की मांग को लेकर सड़कों पर उतरी है.

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क्या है कथित एमयूडीए घोटाला

कर्नाटक मुडा घोटाला, मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण की 50:50 प्रोत्साहन योजना में कथित अनियमितताओं से संबंधित है. इस योजना के मुताबिक, विकास के लिए भूमि खोने वाले व्यक्तियों को मुडा द्वारा विकसित की गई साइटों या वैकल्पिक साइट का 50 प्रतिशत मिलना था.

कथित घोटाले में यह आरोप लगाया गया है कि सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती को मैसूर के एक महंगे इलाके में मुआवजा स्थल आवंटित किया गया था. इसकी संपत्ति का मूल्य उनकी उस जमीन के स्थान की तुलना में अधिक था, जिसे मुडा द्वारा "अधिगृहीत" किया गया था. हालांकि, रिपोर्ट में कई उल्लंघनों का संकेत मिलता है, जैसे कि व्यक्तियों को योजना के तहत मिलने वाले हक से अधिक वैकल्पिक स्थल दिए गए.

'टाइम्स ऑफ इंडिया' की एक रिपोर्ट के मुताबिक, घोटाले के केंद्र में 3.2 एकड़ जमीन है. यह मुख्यमंत्री की पत्नी पार्वती को उनके भाई मल्लिकार्जुनस्वामी ने 2010 में उपहार में दी थी. मुडा द्वारा भूमि अधिग्रहण के बाद पार्वती ने मुआवजा मांगा और इसके बाद उन्हें 14 प्लॉट आवंटित किए गए. आरोप है कि ये प्लॉट मूल भूमि से काफी ज्यादा कीमती हैं. विपक्षी दलों का दावा है कि घोटाले की कुल राशि लगभग 3,000 करोड़ रुपये से 4,000 करोड़ रुपये के बीच हो सकती है.

किसने लगाए आरोप

कथित घोटाले का आरोप प्रदीप कुमार, आरीटआई कार्यकर्ता स्नेहमायी कृष्णा और सामाजिक कार्यकर्ता व वकील टीजे अब्राहम नाम के तीन कार्यकर्ताओं ने लगाया था. उन्होंने राज्यपाल से मुख्यमंत्री के खिलाफ कार्रवाई का अनुरोध किया था.

जून में आरटीआई कार्यकर्ता स्नेहमायी कृष्णा ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती समेत राजनेताओं की कथित संलिप्तता का खुलासा किया था. इसके बाद जुलाई में सामाजिक कार्यकर्ता और वकील टीजे अब्राहम ने मैसूर में लोकायुक्त पुलिस में शिकायत दर्ज कराई.

उन्होंने 21 जुलाई को मुख्यमंत्री के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति मांगने के लिए राज्यपाल के समक्ष याचिका भी दायर की. इसके साथ ही अभियोजन की मांग वाली दो अतिरिक्त याचिकाएं भी दायर की गईं. 26 जुलाई 2024 को राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को 'कारण बताओ' नोटिस जारी किया.

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कर्नाटक सरकार ने अब तक क्या किया

कर्नाटक सरकार ने जुलाई में मुडा द्वारा आवंटित भूमि में अनियमितताओं के आरोपों की जांच के लिए एक-सदस्यीय जांच आयोग का गठन किया था. सरकार ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के रिटायर हो चुके जज पीएन देसाई को जांच आयोग का प्रमुख नियुक्त किया था.

सिद्धारमैया के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी भारतीय राजनीतिक इतिहास में दुर्लभ, लेकिन ऐसे उदाहरणों की सूची में जुड़ गई है, जहां राज्यपालों ने मुख्यमंत्रियों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की है. जे जयललिता, एआर अंतुले और लालू प्रसाद यादव के केस में भी ऐसा हो चुका है. इनमें से सभी ने अपने खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी के बाद इस्तीफा दे दिया था.

18 अगस्त को पत्रकारों से बात करते हुए सिद्धारमैया ने कहा कि पूरा मंत्रिमंडल उनके साथ खड़ा है. उन्होंने कहा, "पूरा मंत्रिमंडल, पार्टी आलाकमान, सभी विधायक, एमएलसी, लोकसभा और राज्यसभा सांसद मेरे साथ खड़े हैं."