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शिक्षाभारत

ई-लर्निंग की मदद से शिक्षा के करीब आते गरीब बच्चे

१५ जून २०२२

भारत में ई-लर्निंग ने कोरोना के कारण तेजी पकड़ी है. सक्षम परिवार के बच्चे इस तक तो पहुंच बना लेते हैं लेकिन गरीब परिवार अपने बच्चों को ई-लर्निंग के तहत शिक्षा देने को अतरिक्त बोझ समझता है.

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ई-लर्निंग के जरिए पढ़ाई
ई-लर्निंग के जरिए पढ़ाईतस्वीर: Nobel Citizen Foundation/DW

कोविड महामारी ने स्कूली बच्चों की पढ़ाई तक पहुंच को काफी हद तक नुकसान पहुंचाया. कोरोना लॉकडाउन के कारण स्कूलों की पढ़ाई ऑनलाइन होने लगी और सक्षम परिवार के मुकाबले उन परिवारों को ज्यादा कठिनाई का सामना करना पड़ा जिनके पास स्मार्ट फोन या कंप्यूटर नहीं थे. इंटरनेट की सीमित पहुंच ने भी गरीब बच्चों को शिक्षा पाने में बाधा पहुंचाई. शहरों के मुकाबले गांवों में स्थिति ज्यादा खराब रही जहां पहले से ही स्कूल के बुनियादी ढांचे उतने अच्छे नहीं हैं.

शिक्षा आपातकाल पर राष्ट्रीय गठबंधन (एनसीईई) द्वारा अक्टूबर 2021 और जनवरी 2022 के बीच किए गए एक सर्वेक्षण में माता-पिता की राय के आधार पर पाया गया कि संपन्न परिवारों के बच्चों और निम्न सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि के बच्चों के बीच सीखने की खाई चौड़ी हो गई है.

क्राइज ऑफ एंगुइश नाम की रिपोर्ट ने विभिन्न कारकों के लिए अंतर को जिम्मेदार ठहराया- ऑनलाइन कक्षाओं तक असमान पहुंच, माता-पिता की अपने बच्चों को मार्गदर्शन करने की अंतर क्षमता और निजी ट्यूशन के प्रभाव. रिपोर्ट के लिए 512 घरों का सर्वेक्षण किया गया था. कर्नाटक से 100, तेलंगाना से 212 और तमिलनाडु से 200 घर. ज्यादातर परिवार समाज के वंचित वर्गों से थे.

डिजिटल पढ़ाई के करीब कैसे पहुंचे गरीब छात्र

दिल्ली के न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी की एक बस्ती के 15 साल के छात्र प्रवीण की भी पढ़ाई कोरोना महामारी के कारण प्रभावित हुई. वह किसी तरह से मोबाइल की मदद से पढ़ तो रहा था लेकिन स्कूल से शारीरिक दूरी और परिवार पर ट्यूशन फीस का भारी बोझ पड़ रहा था. प्रवीण को हाल में ही में एक गैर लाभकारी संगठन की मदद से मुफ्त में ऑनलाइन लर्निंग सब्सक्रिप्शन मिला है. नौवी कक्षा में पढ़ने वाला प्रवीण कहता है, "मैं पिछले तीन महीने से ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफॉर्म की मदद से पढ़ाई कर रहा हूं. इससे काफी मदद मिल रही है. पहले ट्यूशन के लिए पैसे खर्च करने पड़ते थे अब इसकी जरूरत ही नहीं पड़ रही है."

दिल्ली में गैर लाभकारी संगठन नोबल सिटीजन फाउंडेशन ने हाल ही में कुछ ऐसे बच्चों को ऑनलाइन लर्निंग फ्री सब्सक्रिप्शन वितरित किए जो इनको खरीदने में सक्षम नहीं थे. फाउंडेशन का कहना है कि उसने जनवरी 2022 से इस कार्यक्रम के तहत 523 बच्चों को यह सुविधा दी है और इस साल के अंत तक 10 हजार बच्चों तक इसे पहुंचाने का लक्ष्य है. फिलहाल संगठन दिल्ली और बिहार में गरीब बच्चों के बीच काम कर रहा है और अगले महीने से उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल में इसी तरह की योजना शुरू करने की तैयारी में है.

आसान होती पढ़ाई

कार्यक्रम के बारे में बताते हुए फाउंडेशन के निदेशक साहिल कौसर कहते हैं, "हम भारत के अग्रणी ई-लर्निंग प्लेटफॉर्म की मुफ्त सदस्यता देते हैं और इसमें कक्षा 6 से लेकर 10 तक के बच्चों को सीबीएसई, आईसीएसई और राज्य बोर्ड के मुताबिक पढ़ने का अवसर मिलता है. अंग्रेजी, हिंदी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में शिक्षा हासिल करने की सुविधा दी जाती है."

13 साल के हमजा यूसुफ को भी इस कार्यक्रम के तहत मुफ्त सब्सक्रिप्शन मिला है. यूसुफ कहता है, "ई-लर्निंग प्लेटफॉर्म पर जो वीडियो होते हैं वह अच्छी क्वालिटी के होते हैं, जिससे पढ़ाई अच्छी होती है. एनीमेशन वाले वीडियो से विषय जल्दी से समझ आ जाता है."

साल के अंत तक 10 हजार बच्चों को ई-लर्निंग सब्सक्रिप्शन देने का लक्ष्य
साल के अंत तक 10 हजार बच्चों को ई-लर्निंग सब्सक्रिप्शन देने का लक्ष्यतस्वीर: Nobel Citizen Foundation/DW

यूसुफ का कहना है कि इस कार्यक्रम के जरिए उसकी अंग्रेजी में सुधार हुआ है और वो कहता है उससे आगे पढ़ने में और मदद मिलेगी.

साहिल का कहना है कि सबसे बड़ी समस्या गरीब परिवारों की यह कि उनके पास एक ही स्मार्ट फोन है और ऐसे परिवार के बच्चे उसका इस्तेमाल तब ही कर पाते हैं जब उनके माता-पिता काम से वापस घर लौटते हैं. इसी कारण ऐसे से बच्चे एनजीओ की पहल का बहुत कम लाभ उठा पाते हैं.

बढ़ती फीस का असरः 40 लाख बच्चों ने निजी स्कूल छोड़े

ई-लर्निंग के तहत ऐसी डिजिटल ऑडियो और वीडियो सामग्री तैयार की जा रही है, जिससे पढ़ाना और पढ़ना दोनों सहज और मजेदार बने. भारत में कोरोना लॉकडाउन के बाद ई-लर्निंग का चलन बढ़ा है और अब तो ई-लर्निंग सेवा देने वाले अपने कार्यक्रम को विस्तार भी दे रहे हैं और बच्चे स्कूल के बाद भी इन प्लेटफॉर्म की मदद से अपनी समझ को बढ़ा रहे हैं.

मोबाइल की मदद से पढ़ाई
मोबाइल की मदद से पढ़ाईतस्वीर: Nobel Citizen Foundation/DW

नोबल सिटीजन फाउंडेशन के अध्यक्ष जेस्टिन एंथनी कहते हैं, "कोविड-19 ने विशेष रूप से हाशिए पर खड़े समुदायों के बच्चों की शिक्षा पर असर डाला है. एक संगठन के रूप में हम इस अंतर को पाटने के लिए प्रतिबद्ध हैं. ऑनलाइन शिक्षा के बढ़ते चलन के साथ हम उम्मीद करते हैं कि हर बच्चा जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से हमसे जुड़ा है, उसे शिक्षा का अधिकार हासिल हो."

ई-लर्निंग का एक और फायदा यह कि यह शिक्षा की लागत को बहुत कम करता है और इसे उन छात्रों के लिए किफायती बनाता है जो आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों से संबंधित हैं. इसके साथ बच्चे देश के किसी भी कोने से ई-लर्निंग कार्यक्रम से महज मोबाइल के साथ जुड़ सकते हैं.

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