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जी20: यूक्रेन पर भारत की चुनौती खुल कर आई सामने

२ मार्च २०२३

यूक्रेन युद्ध के रूप में भारत की जी20 अध्यक्षता के लिए बड़ी चुनौती अब खुल कर सामने आ रही है. वित्त मंत्रियों के बाद अब विदेश मंत्रियों की बैठक में यूक्रेन पर मतभेद हावी रहे और साझा बयान जारी नहीं हो पाया.

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नई दिल्ली में जी 20 के विदेश मंत्रियों की बैठक में अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन
नई दिल्ली में जी 20 के विदेश मंत्रियों की बैठक में अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेनतस्वीर: Olivier Douliery/REUTERS

फरवरी के अंत में बेंगलुरु में हुई जी20 देशों के वित्त मंत्रियों की बैठक की तरह ही नई दिल्ली में हुई जी20 विदेश मंत्रियों की बैठक के बाद भी साझा बयान जारी नहीं किया जा सका. भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने माना कि सदस्य देशों के बीच यूक्रेन युद्ध को लेकर मतभेदों की वजह से ऐसा नहीं हो सका. जयशंकर ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, "यूक्रेन संकट पर मतभेद थे जिन पर हम कई पक्षों के बीच सामंजस्य नहीं बना सके."

जी-20 की अध्यक्षता का भारत के लिए क्या फायदा-नुकसान

बैठक में शामिल होने वाले रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने अलग से एक प्रेस वार्ता में कहा कि साझा बयान पर चर्चा कई मुद्दों पर लड़खड़ाई, जिनमें पिछले साल नॉर्थ स्ट्रीम को ध्वंस किए जाने की जांच की रूस की मांग शामिल है.

नई दिल्ली में जी 20 के विदेश मंत्रियों की बैठक में रूसी विदेश मंत्री सेर्गेई लावरोव
नई दिल्ली में जी 20 के विदेश मंत्रियों की बैठक में रूसी विदेश मंत्री सेर्गेई लावरोवतस्वीर: Olivier Douliery/REUTERS

लावरोव ने कहा, "साझा बयान को ब्लॉक कर दिया गया और चर्चा का नतीजा उस सारांश में बताया जाएगा जिसके बारे में भारत बोलेगा." उन्होंने यह भी कहा, "हम शिष्टाचार की बात करते हैं. हमारे पश्चिमी समकक्षों के शिष्टाचार तो बहुत खराब हो गए हैं. वो अब कूटनीति के बारे में नहीं सोच रहे हैं, अब वे सिर्फ ब्लैकमेल कर रहे हैं और सबको धमका रहे हैं."

भारत की जिम्मेदारी बड़ी

भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर ने इस बात को भी रेखांकित किया कि कई विषयों पर बैठक में सहमति भी व्यक्त की गई, विशेष रूप से उन विषयों पर जो सदस्य देशों को जोड़ते हैं. उन्होंने कहा कि बैठक का "आउटकम डॉक्यूमेंट" जारी किया जाएगा और उसमें खाद्य पदार्थों, उर्वरकों और ऊर्जा की आपूर्ति प्रणाली की स्थिरता पर जोर दिया जाएगा.

जयशंकर ने कहा, "कई मुद्दे थे जिन पर सहमति थी, जैसे बहुराष्ट्रवाद को मजबूत करना, खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ावा देना, जलवायु परिवर्तन, जेंडर के विषय, आतंकवाद का मुकाबला...वैश्विक साउथ के लिए जरूरी ज्यादातर मुद्दों पर काफी हद तक एक जैसी सोच थी और इसे आउटकम डॉक्यूमेंट में दिखाया गया है."

नई दिल्ली में चीनी विदेश मंत्री से बातचीत करती जर्मन विदेश मंत्री अनालेना बेयरबॉक
नई दिल्ली में चीनी विदेश मंत्री से बातचीत करती जर्मन विदेश मंत्री अनालेना बेयरबॉकतस्वीर: Florian Gaertner/photothek/picture alliance

बैठक की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के सामने खड़ी चुनौती को रेखांकित करते हुए कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध के अंत के बाद जो अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था बनाई गई थी वो अपने लक्ष्यों को हासिल करने में विफल हो गई है और इस असफलता का दमित करने वाला असर अधिकांश रूप से विकासशील देश महसूस कर रहे हैं.

उन्होंने बैठक के लिए आए सदस्य देशों से सहमति बनाने पर ध्यान देने की अपील करते हुए कहा, "आप गांधी और बुद्ध की धरती पर एक दूसरे से मिल रहे हैं, ऐसे में मैं प्रार्थना करता हूं कि आप भारत की सभ्यता की आत्मा से प्रेरणा लेंगे और उस पर ध्यान केंद्रित करेंगे जो हमें एक करता है, ना कि उस पर जो हमें विभाजित करता है."