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भारत की डिजिटल क्रांति में महिलाओं की जरूरतों पर जोर

९ अगस्त २०२१

भारत में कई सामाजिक पैमानों पर पुरुषों से पीछे रही महिलाएं इंटरनेट यूजर्स के तौर पर आधी आबादी बनने की ओर बढ़ रही हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय शहरों में कुल एक्टिव इंटरनेट यूजर्स में से 43 फीसदी महिलाएं हैं.

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तस्वीर: picture alliance/dpa/P. Adhikary

नाइका, साल के आखिरी तक भारतीय स्टॉक मार्केट में लिस्ट होने वाली ऐसी पहली कंपनी होगी, जो एक महिला उद्योगपति का स्टार्टअप है. नाइका के पीछे हैं बैंकर से अरबपति एंटरप्रेन्योर बनी, फाल्गुनी नायर. नाइका ब्यूटी प्रोडक्ट्स की एक ई-कॉमर्स कंपनी है और इसकी ज्यादातर कस्टमर भारत में इंटरनेट तक पहुंच रखने वाली महिलाएं हैं. नाइका का दावा है कि हर महीने 55 लाख लोग उसकी वेबसाइट पर आते हैं और हर महीने वह 13 लाख से ज्यादा ऑर्डर की डिलीवरी करती है.

नाइका की सफलता भारत में महिलाओं की इंटरनेट पर मजूबत मौजूदगी का सबूत भी है. नाइका जैसे कई इंटरनेट आधारित ऐप हैं, जो अपने बिजनेस के लिए ज्यादा से ज्यादा महिलाओं पर निर्भर हैं. और इनका भविष्य अभी उज्ज्वल है क्योंकि भारत में इंटरनेट इस्तेमाल करने वाली महिलाओं की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है.
भारत में कई सामाजिक पैमानों पर पुरुषों से पीछे चल रही महिलाएं इंटरनेट यूजर्स के तौर पर आधी आबादी बनने की ओर तेजी से बढ़ रही हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय शहरों में कुल एक्टिव इंटरनेट यूजर्स में से महिलाएं 43 फीसदी हैं और गांवों में भी उनका हिस्सा 42 फीसदी है. इंटरनेट पर करोड़ों की संख्या में मौजूद महिलाएं जिन ऐप का इस्तेमाल करती हैं, वह उनकी जरूरतों से जुड़ी हैं.

ये ऐप सिर्फ महिलाओं के मोबाइल में

हमने जिन महिलाओं से बात की, उनमें से ज्यादातर गाड़ियां नहीं चलातीं. ऐसे में वे पुरुषों के मुकाबले ओला और ऊबर जैसी मोबिलिटी ऐप का इस्तेमाल ज्यादा करती हैं. हालांकि ऐसी ज्यादातर महिलाएं बड़े शहरों में ही हैं, जिन्हें कमोबेश रोजाना बाहर जाने की जरूरत होती है. वैसे भी रोड ट्रांसपोर्ट इयरबुक 2015-16 के मुताबिक भारत में सिर्फ 11 फीसदी ड्राइवर ही महिलाएं हैं.

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डिजिटल प्लेटफॉर्म की मदद से स्थानीय कारीगरों को प्रोत्साहनतस्वीर: Srishti Tehri/DW

ट्रूकॉलर जैसी ऐप के इस्तेमाल की वजह महिलाओं ने सुरक्षा और टेलीमार्केटिंग कॉल से बचने को बताया. इनके अलावा कई ऐसे ऐप भी हैं, जिनका इस्तेमाल सिर्फ महिलाएं ही करती हैं. जैसे मॉम्सप्रेसो, माइलो, ममा अर्थ, हीलोफाई, जिवामी, क्लोविया, शुगर, कैरेट लेन, लाइम रोड, नायका, पर्पल और पीरियड ट्रैकर. इनमें से मॉम्सप्रेसो, माइलो, ममा अर्थ और हीलोफाई प्रेग्नेंसी के दौरान स्वास्थ्य और इससे जुड़े प्रोडक्ट के ऐप हैं.

वहीं जिवामी, क्लोविया, शुगर, लाइम रोड, नायका, पर्पल, कैरेट लेन आदि महिलाओं के कपड़े और गहनों से जुड़ी ई-कॉमर्स ऐप है. जबकि पीरियड ट्रैकर महिलाओं के पीरियड्स का हिसाब रखती है. वहीं स्ट्रावा और गूगल फिट फिटनेस ट्रैकिंग ऐप हैं.

इन ऐप की भी ज्यादातर यूजर्स महिलाएं ही

इनके अलावा भी महिलाओं के मोबाइल में कई ऐप थे, जो सिर्फ महिलाओं के लिए तो नहीं हैं लेकिन ज्यादातर महिलाएं ही इनका इस्तेमाल करती हैं. ये ऐप हैं, फर्स्ट क्राई, अर्बन कंपनी, हुनर, मीशो, प्रतिलिपि, स्नैपसीड, ब्यूटी प्लस और बी6 12. स्नैपसीड, ब्यूटी प्लस और बी6 12 ब्यूटी ऐप हैं और इन पर महिलाओं की संख्या ज्यादा है.

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भारत में 90 के दशक में आई कंप्यूटर क्रांतितस्वीर: Manjunath Kiran/AFP/Getty Images

फर्स्ट क्राई बच्चों से जुड़े प्रोडक्ट्स की ई-कॉमर्स ऐप है. अर्बन कंपनी से लोग टेक्नीशियन और प्लंबर की सर्विसेज ले सकते हैं लेकिन महिलाओं के बीच यह कोरोना के दौरान ब्यूटीशियन को घर बुलाने की सुविधा के चलते पॉपुलर रही है. मीशो एक सेलिंग ऐप है, इसकी भी ज्यादातर यूजर्स महिलाएं ही हैं और वे लोकल इंफ्लुएंसर के तौर पर इस ऐप का इस्तेमाल कर सोशल मीडिया की मदद से अपने प्रोडक्ट बेचती हैं.

आत्मविश्वास और कमाई भी

इन स्टार्टअप को चलाने वाले भी इस बात को जान चुके हैं कि ऐप पर महिला यूजर्स ज्यादा हैं. उन्हें ऐप पर बनाए रखने और बढ़ाने के लिए भी वे प्रयास भी कर रहे हैं. इन प्रयासों के बारे में हमने पब्लिशिंग ऐप प्रतिलिपि से जाना. बता दें कि प्रतिलिपि पर लोग लेखक के तौर पर अपनी कविताएं और कहानियां प्रकाशित कर सकते हैं.

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कोरोना लॉकडाउन ने बढ़ाई भागीदारीतस्वीर: picture-alliance/AP Photo/M. Swarup

प्रतिलिपि की कम्युनिकेशन हेड प्रीति नायर ने बताया कि ऐप पर 55 फीसदी से ज्यादा महिलाएं हैं. ज्यादातर यूजर और लेखकों की उम्र 18 से 35 के बीच है. लेखक के तौर पर भी महिलाएं ही ज्यादा हैं. इनमें से ज्यादातर हाउसवाइफ हैं, जो लेखिका के तौर पर अपनी पहचान बनाना चाहती हैं. हालांकि डॉक्टर, साइंटिस्ट और स्टूडेंट्स भी अपनी क्रिएटिविटी यहां दिखा रही हैं. इनमें से ज्यादातर महिलाएं मध्यवर्गीय परिवारों और बड़े-मझोले शहरों से आती हैं. हालांकि इंटरनेट की बढ़ती पहुंच के चलते अब महिलाएं बिहार के सुदूर गांवों से भी इस पर लिख रही हैं.

प्रीति नायर ने बताया, "महिलाओं को प्रेरित करने के लिए हम सबसे ज्यादा चर्चित लेखकों की किताबें छापकर उन्हें रॉयल्टी का हिस्सा देते हैं. अगर कोई उन्हें सब्सक्राइब करता है, तो भी उनकी कमाई होती है. वे लगातार लिखें, इसके लिए हम अलग-अलग समय पर अलग-अलग इंवेट का आयोजन भी करते हैं." इन पब्लिशिंग और सेलिंग स्टार्टअप से लेखिका या सेलर के तौर पर जुड़ी महिलाएं बताती हैं कि वे अपने हुनर का इस्तेमाल कर कमाई कर रही हैं, जिसे उनका आत्मविश्वास काफी बढ़ा है.