कोरोना पीड़ित पत्रकार की खुदकुशी पर उठ रहे सवाल
७ जुलाई २०२०दिल्ली में कोरोना संक्रमित पत्रकार की कथित खुदकुशी पर सवाल उठ रहे हैं. दरअसल सोमवार दोपहर 37 वर्षीय एक पत्रकार की कथित तौर पर एम्स अस्पताल की चौथी मंजिल से कूदने के बाद मौत हो गई थी. एम्स प्रशासन का कहना है कि पत्रकार तरुण सिसोदिया को कोरोना के इलाज के लिए एम्स ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया गया था. दिल्ली पुलिस के मुताबिक घटना सोमवार 6 जुलाई करीब दो बजे की है. पुलिस के बयान के मुताबिक तरुण ने ट्रॉमा सेंटर की चौथी मंजिल से छलांग लगा दी, जिसके बाद उसे बचाया नहीं जा सका.
हालांकि पत्रकार सिसोदिया की कथित खुदकुशी के मामले पर परिवार वाले सवाल उठा रहे हैं और जांच की मांग भी कर रहे हैं. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने पत्रकार की मौत पर दुख जताते हुए उच्च स्तरीय जांच बिठाई है. उन्होने अपने ट्वीट में लिखा, "मैंने एम्स निदेशक को तुरंत इस घटना की आधिकारिक जांच करने का आदेश दिया जिसके बाद उन्होंने उच्च स्तरीय समिति का गठन किया. यह समिति 48 घंटों के भीतर अपनी रिपोर्ट पेश करेगी." दूसरी तरफ एम्स के बयान को लेकर भी लोग सवाल उठा रहे हैं कि एक बीमार व्यक्ति कैसे पहली मंजिल से भागता हुए चौथी मंजिल पर पहुंच जाता है और उसे पकड़ने में लोग नाकाम होते हैं.
एम्स ने अपने बयान में कहा है कि सिसोदिया सोमवार करीब 1.55 बजे ट्रामा सेंटर-1 से बाहर भागे, जहां वे भर्ती थे, अस्पताल के कर्मचारी उनके पीछे भागे और उन्हें रोकने की कोशिश की, वे चौथी मंजिल पर पहुंच गए और उन्होंने एक खिड़की का शीशा तोड़ नीच छलांग लगा दी."
बयान के मुताबिक सिसोदियो को तत्काल एक एंबुलेंस से ट्रामा सेंटर के आईसीयू ले जाया गया, उन्हें बचाने की कोशिश की गई लेकिन वे बच नहीं पाए. साथ ही एम्स ने कहा है कि सिसोदिया संक्रमण से उबर रहे थे, उन्हें आईसीयू से सामान्य वार्ड में शिफ्ट किया जाना था. इसी साल के मार्च महीने में उनका ऑपरेशन एक प्रकार के ब्रेन ट्यूमर के लिए हुआ था.
परिवार के एक सदस्य ने नाम ना बताने की शर्त पर मीडिया से कहा, "सिसोदिया काफी मजबूत व्यक्ति थे, वे मानसिक तौर पर भी मजबूत थे और मुझे भरोसा नहीं हो रहा है कि वे इतना बड़ा कदम उठा लेंगे."
सिसोदिया की कथित खुदकुशी को लेकर मीडिया कर्मचारी भी सवाल उठा रहे हैं और वे यह मानने को तैयार नहीं कि सिसोदिया ने खुदकुशी की है. कुछ पत्रकार सिसोदिया के साथ व्हाट्सऐप चैट भी ट्विटर पर शेयर कर रहे हैं जिसमें वह आशंका जता रहे हैं कि उनकी हत्या भी हो सकती है.
सिसोदिया के साथी पत्रकारों ने इस मामले की तह तक जांच कर दोषियों के खिलाफ सजा की मांग की है. साथ ही पत्रकार संगठन ने केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन को पत्र लिखकर सिसोदिया के परिवार को एक करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता देने की गुहार लगाई है. पत्रकारों ने साथ ही न्यायिक जांच और पत्नी के लिए नौकरी देने की भी मांग रखी है.
कोरोना वायरस महामारी ने यह साबित कर दिया कि समाज में बीमारी के प्रति पूर्व ग्रसित मानसिकताएं मौजूद हैं. भारत में जब कोरोना वायरस महामारी की शुरूआत हुई तो कोविड-19 पॉजिटिव पीड़ितों के प्रति लोगों का नजरिया बदल दिखा तो वहीं कई बार उनके साथ सौतेला जैसा व्यवहार भी होते दिखा.
कोरोना पीड़ितों के साथ भेदभाव और उनके इलाज की अनदेखी की खबरें भी पिछले दिनों आई और कोरोना पीड़ितों के इलाज में लगे डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मचारियों के साथ भी मकान मालिकों और हाउसिंग सोसायटी ने घर तक खाली करने को कह दिया, जबकि वे समाज और पीड़ितों की सेवा में ही लगे थे और उनकी कोशिश सिर्फ बीमार को स्वस्थ करने भर तक थी.
सिसोदिया की मौत की जांच में यह सच जरूर बाहर आना चाहिए जिसका जिक्र वे अपने साथियों से व्हाट्सऐप चैट पर कर रहे थे. क्या वे अस्पताल की ओर से कोई ऐसी लापरवाही के बारे में जानते थे जो वे किसी और को बताना नहीं चाहते थे और जल्द से जल्द अस्पताल से बाहर आने का इंतजार कर रहे थे ताकि वे अपनी रिपोर्ट में इसका जिक्र कर सके?
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