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समाज

श्रमिकों के लिए आगे आते मदद के हाथ

१६ अप्रैल २०२०

कोरोना के इस दौर में लोग भूखे ना सोएं इसके लिए सरकार से लेकर नागरिक तक अपने अपने स्तर पर काम कर रहे हैं. कोई राशन दे रहा है तो कोई मास्क और दवा बांट रहा है. प्रशासन की भी तरफ से श्रमिकों के लिए खास इंतजाम किए गए हैं.

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Delhi Corona Virus  Lockdown City Noida Indien
तस्वीर: DW/A.Ansari

देश में 25 मार्च को तालाबंदी लागू होने के अगले दिन हजारों की संख्या में महानगरों से प्रवासी मजदूर अपने गांव और कस्बों की ओर लौटने लगे. कई दिहाड़ी मजदूर पैदल ही अपने गांव जाने के लिए निकल पड़े. भारत सरकार ने कोरोना वायरस महामारी को रोकने के लिए लॉकडाउन लागू किया था और दिहाड़ी मजदूरों के पास जब काम नहीं रहा तो वे घर की तरफ लौटने लगे. जो मजदूर अपने गांव नहीं जा पाए उनके लिए प्रशासन ने रहने और खाने का इंतजाम किया. दिल्ली के रहने वाले भास्कर भट्ट ने जब प्रवासी मजदूरों से जुड़ी खबरें देखी तो उन्होंने खुद से सूखा राशन खरीद ऐसे कम्युनिटी किचन में भिजवाया जहां हर रोज सैकड़ों लोगों के लिए भोजन तैयार होता है.

भास्कर कहते हैं, "मैं पहले भी सामाजिक कार्यों में पैसे दान करता आया हूं लेकिन जब मैंने प्रवासी मजदूरों के सामने खाने के संकट के बारे में जाना तो मुझे लगा कि कुछ करना चाहिए." भास्कर ने पहली बार खुद से सूखा राशन खरीदा और दूसरी बार लोगों की मदद के लिए क्रॉउड फंडिंग का सहारा लिया. भास्कर कहते हैं, "दूसरी बार राशन खरीदने के लिए मैंने अपने दोस्तों से भी अपील की कि वह भी कुछ पैसे मिलाएं और इस तरह से क्रॉउड फंडिंग की मदद से लगभग 49 हजार रुपये जमा हो गए."

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तस्वीर: DW/A.Ansari

प्रवासी मजदूरों की मदद के लिए गैर लाभकारी संगठन भी बढ़ चढ़ कर मदद पहुंचा रहे हैं. दिल्ली स्थित खुदाई खिदमतगार के राष्ट्रीय संयोजक फैसल खान कहते हैं, "देश भर के 14 राज्यों में 36 जगहों पर हमारा संगठन लोगों को राहत पहुंचाने का काम कर रहा है. खुदाई खिदमतगार के वॉलंटियर देश के 14 राज्यों में ऐसे लोगों की मदद कर रहे हैं जो लॉकडाउन की वजह से ना तो काम पर जा सकते हैं और ना ही राशन खरीद सकते हैं. हम लोगों के घरों तक राशन पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं ताकि कोई भी इस संकट के समय भूखा ना रहे." फैसल खान बताते हैं कि जिन क्षेत्रों तक वॉलंटियर नहीं पहुंच पा रहे हैं वहां के लोगों को आर्थिक मदद भी दी जा रही है.

राशन और भोजन का इंतजाम

साथ ही फैसल कहते हैं कि संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए साबुन और मास्क भी लोगों को बांटे जा रहे हैं. वह कहते हैं, "देशभर में हमारे संगठन के 5,000 वॉलंटियर राशन से लेकर दवा तक जरूरतमंदों को पहुंचाने के काम में जुटे हुए हैं. हम ऐसे लोगों को पैसे भी देते हैं जिनके पास बच्चों के लिए दूध खरीदने के पैसे नहीं है." केंद्र और राज्य सरकारों ने भी प्रवासी मजदूरों की देखभाल के लिए जगह-जगह शेल्टर होम और खाना वितरण केंद्र खोले हैं. प्रवासी मजदूरों, दिहाड़ी श्रमिकों और बेरोजगार लोगों के लिए रहने, खाने-पीने का इंतजाम किया गया है.

कई केंद्रों में प्रवासी मजदूरों के साथ उनका परिवार भी रह रहा है क्योंकि उनके पास मकान का किराया देने के लिए पैसे नहीं है. उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर के नोएडा में प्रवासी मजदूरों के लिए किए गए इंतजामों पर नोएडा अथॉरिटी की सीईओ रितु माहेश्वरी कहती हैं, "नोएडा अथॉरिटी ने 20 शेल्टर होम बनाए हैं. इन शेल्टर होम में 120 के करीब लोग रह रहे हैं और इन्हें तीनों समय का भोजन मुहैया कराया जा रहा है. इसके अलावा जो जरूरतमंद लोग हैं और जो मजदूर यहां नोएडा में ही रुक गए हैं उनके लिए हम रोजाना 85,000 खाने के पैकेट बांट रहे हैं. हम खाने के पैकेट के जरिए 42,000 परिवारों तक पहुंच रहे हैं. जब से यह कार्यक्रम शुरू हुआ है तबसे हम 11.50 लाख भोजन के पैकेट बांट चुके हैं."

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नोएडा में एक शेल्टर होम का दृश्य. तस्वीर: DW/A.Ansari

माहेश्वरी के मुताबिक नोएडा में पांच कम्युनिटी किचन चल रहे हैं और 20 के करीब एनजीओ अथॉरिटी के साथ मिलकर काम कर रहे हैं. उनके मुताबिक अथॉरिटी जरूरतमंदों के घर तक भोजन पहुंचा रही है तो वहीं कुछ लोग कम्युनिटी किचन में आकर भोजन ले जाते हैं. भास्कर अगली बार भी मदद करने की योजना बना रहे हैं. क्योंकि भारत में लॉकडाउन 3 मई तक के लिए बढ़ा दिया गया है और दिहाड़ी मजदूरों और उनके परिवारों के लिए  बिना भोजन के रह पाना बहुत कठिन है. फैसल कहते हैं कि उनका संगठन धार्मिक स्थलों पर भी लोगों को भोजन पहुंचाने की कोशिश में जुटा है. 

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