तनाव के बावजूद भारत-चीन की तरफ से शांति का वादा
१६ अगस्त २०२३दोनों पक्षों की तरफ से यह प्रयास बढ़े हुए तनाव के बाद स्थिति को स्थिर करने के लिए किए गए. चीन के रक्षा मंत्रालय ने मंगलवार को सोशल मीडिया पर एक संयुक्त बयान जारी किया. इसमें कहा गया है कि रविवार और सोमवार को दोनों पक्षों के बीच कमांडर-स्तरीय वार्ता के 19वें दौर में सीमा के पश्चिमी क्षेत्र में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल से संबंधित मुद्दों को हल करने पर केंद्रित "सकारात्मक, रचनात्मक और गहन चर्चा" हुई.
बयान में कहा गया है कि दोनों देश बाकी मुद्दों को शीघ्रता से हल करने पर सहमत हैं लेकिन ऐसा कोई संकेत नहीं है कि कोई भी पक्ष रियायतें देने को तैयार है. हालांकि दोनों अपने सैनिकों के बीच उस तरह की झड़पों से बचने के लिए उत्सुक दिखाई देते हैं जिसके कारण हाल के वर्षों में रक्तपात हुआ है.
सीमा विवाद
बयान में कहा गया है, "दोनों पक्ष सीमावर्ती इलाकों में जमीन पर शांति बनाए रखने पर सहमत हुए." लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल खिंची है चीन और भारत के बीच जो पश्चिम में लद्दाख से लेकर भारत के पूर्वी राज्य अरुणाचल प्रदेश तक के क्षेत्र को अलग करती है जिस पर चीनअपना पूरा दावा करता है. भारत और चीन ने 1962 में सीमा पर नियंत्रण के लिए युद्ध लड़ा था.
भारत के अनुसार वास्तविक सीमा 3,488 किलोमीटर लंबी है लेकिन चीन इससे काफी छोटे आंकड़े को बढ़ावा देता है. कुल मिलाकर चीनभारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में लगभग 90,000 वर्ग किलोमीटर पर दावा करता है. इसमें अरुणाचल प्रदेश भी शामिल है और यहां की मुख्यतः आबादी बौद्ध है.
संघर्षों का इतिहास
भारत का कहना है कि अक्साई चिन पठार में चीन ने 38,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर कब्जा किया है. जो भारत लद्दाख का हिस्सा मानता है. यहीं पर टकराव हो रहा है. इस बीच चीन ने पाकिस्तान के साथ संबंध मजबूत करना शुरू कर दिया है और विवादित कश्मीर के मुद्दे पर उसका समर्थन कर रहा है. 1967 और 1975 में फिर से गोलीबारी हुई जिससे दोनों तरफ और अधिक मौतें हुईं. तब से उन्होंने प्रोटोकॉल अपनाए हैं जिनमें आग्नेयास्त्रों का उपयोग न करने का समझौता भी शामिल है. लेकिन वे प्रोटोकॉल टूट गए है.
तीन साल पहले लद्दाख क्षेत्र में हुई झड़प में 20 भारतीय सैनिक और चार चीनी सैनिक मारे गए थे. यह ऊबड़-खाबड़ पहाड़ी इलाके में लंबे समय तक चलने वाले गतिरोध में बदल गया. जहां प्रत्येक पक्ष ने तोपखाने, टैंक और लड़ाकू जेट विमानों के साथ हजारों सैन्य कर्मियों को तैनात किया है. भारत और चीन दोनों ने कुछ इलाकों से सेना हटा ली है. इनमें पैंगोंग त्सो, गोगरा और गलवान घाटी के उत्तरी और दक्षिणी तट शामिल हैं. लेकिन यहां अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती जारी है.
एचवी/एसबी (एपी)