1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

दिल्ली: ऐप आधारित टैक्सियां 2030 तक हो जाएंगी ई-व्हिकल

६ जुलाई २०२२

दिल्ली में ऐप से बुक कराई जाने वाली टैक्सियां, फूड डिलीवरी करने वाली दो पहिया गाड़ियां और ई-कॉमर्स सर्विस के लिए इस्तेमाल होने वाले वाहन 2030 तक ई-व्हिकल हो जाएंगे.

https://p.dw.com/p/4Dix0
तस्वीर: Daniel Irungu/dpa/picture alliance

दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग ने मंगलवार को ऐप आधारित टैक्सी संचालकों, ई-कॉमर्स और फूड डिलीवरी में इस्तेमाल होने वाले वाहनों के लिए फाइनल ड्राफ्ट नीति जारी की है. परिवहन विभाग के मुताबिक अब ऐप से चलने वाली टैक्सियां हो या ई-कॉमर्स व फूड डिलीवरी के लिए इस्तेमाल होने वाले वाहन सभी को 2030 तक ई-व्हिकल में बदलना होगा.

5 जुलाई को दिल्ली सरकार ने दिल्ली मोटर व्हिकल एग्रीगेटर्स योजना 2022 जारी किया. व्हिकल एग्रीगेटर्स मसौदा नीति में कहा गया है कि ऐप से चलने वाली टैक्सी, फूड डिलीवरी, ई-कॉमर्स से जुड़ी कंपनियों को 2030 तक अपने वाहन बेड़े में सिर्फ इलेक्ट्रिक वाहन ही रखने अनिवार्य होंगे.

क्या यूरोपीय देशों में इलेक्ट्रिक कारें सफल हो रही हैं?

प्रदूषण कम कर ई-व्हिकल को बढ़ावा

दिल्ली मोटर व्हिकल एग्रीगेटर्स योजना के तहत ई-व्हिकल को बढ़ावा देना और प्रदूषण को कम करने का मकसद है. मसौदा नीति में कहा गया है कि ई-व्हिकल से अलग परंपरागत वाहनों की मौजूदगी पाए जाने पर हर वाहन पर 50,000 रुपये की दर से जुर्माना देना होगा.

दिल्ली परिवहन विभाग के मुताबिक इस योजना के संबंध में कैब कंपनियां, ई-कॉमर्स कंपनियों और फूड डिलीवरी कंपनियों के अधिकारियों के साथ पहले ही चर्चा की जा चुकी है. विभाग का कहना है कि इस योजना के तहत 2030 तक इन कंपनियों को अपनी सभी गाड़ियों को चरणबद्ध तरीके से ई-व्हिकल में तब्दील करने का लक्ष्य दिया गया है.

दिल्ली में प्रदूषण एक बड़ी समस्या है और हर साल सर्दी के मौसम में स्मॉग के कारण लोगों को गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो जाती हैं. प्रदूषण को रोकने के लिए सरकार कदम तो उठाती है लेकिन वे पर्याप्त नहीं होते हैं. जैसे कि ट्रैफिक सिग्नल पर गाड़ियों को बंद करने की अपील और प्रदूषण के स्तर बढ़ने पर डीजल से चलने वाले जेनरेटर को बंद करने के आदेश जारी किए जाते हैं.

इलेक्ट्रिक कार क्रांति, लेकिन हजारों नौकरियां खतरे में

इसी साल 25 जून को केंद्रीय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने एक फैसले में कहा था कि दिल्ली-एनसीआर में पेट्रोल और डीजल के इस्तेमाल के लिए बीएस-6 मानक होना जरूरी होगा.

दिल्ली-एनसीआर में तो प्रदूषण के कई कारण हैं, लेकिन एक रिपोर्ट के मुताबिक औद्योगिक प्रदूषण का प्रदूषण में 18.6 प्रतिशत का योगदान है. इस इलाके में 3,100 से ज्यादा छोटे बड़े उद्योग हैं और इस प्रदूषण को इन्हीं का योगदान माना जाता है.

ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली में गाड़ियों के धुएं का प्रदूषण में 41 प्रतिशत का योगदान है. दिल्ली में एक करोड़ से भी ज्यादा पंजीकृत वाहन हैं, जिनमें ट्रक, ट्रैक्टर, कारें, तीन पहियों वाले और दोपहिया वाहन शामिल हैं.