जर्मनी में शरण लेने वाले सबसे ज्यादा लोग तुर्की से
१५ अगस्त २०२३जर्मनी में शरण चाहने वाले तुर्की के नागरिकों की संख्या में पिछले साल के मुकाबले 203% की बढ़त हुई है. सिर्फ इसी साल 23,000 से ज्यादा आवेदन आए हैं. इसके लिए तुर्की के राष्ट्रपति रेचप तैयप एर्दोआन को जिम्मेदार माना जा रहा है. दोबारा चुनाव के बाद कई सारे मतदाताओं को राजनीतिक और आर्थिक सुधार की उम्मीद थी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. यह असंतोष 2016 के तख्तापलट के प्रयास के बाद से चल रहे राजनीतिक तनाव और विपक्षी लोगों को प्रताड़ना देने के बाद बढ़ गया है.
आलोचकों पर तुर्की सरकार की कार्रवाई के चलते उन्हें जेल जाना पड़ा, जबकि कई लोगों को अपने रोजगार से हाथ धोना पड़ा. जिससे कई लोगों को विदेश में शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा. इसके अलावा, तुर्की के आर्थिक संकट और खासतौर पर पढ़े-लिखे लोगों के लिए घटती संभावनाओं ने ज्यादा लोगों को जर्मनी जैसे देशों में बेहतर भविष्य की तलाश में शरण लेने को मजबूर किया.
आर्थिक चुनैतियां
पिछले दो सालों में, राष्ट्रपति एर्दोगन के नेतृत्व में तुर्की की आर्थिक स्थिति तेजी से खराब हो गई है. इसके पीछे उनकी कम ब्याज दर नीति है, जिसके चलते मुद्रा का मूल्यह्रास और महंगाई बढ़ी है. 48% की वार्षिक महंगाई के अलावा इसके 58% तक पहुंचने का अनुमान है. आर्थिक सुधार के लिए नई नियुक्तियों के बावजूद टैक्स और ब्याज दरों में वृद्धि सहित एर्दोआन के प्रयासों के बाद भी महंगाई बढ़ गयी.
लोग तुर्की राजनीतिक कारणों से छोड़ रहे हैं. जर्मनी में करीब 3 मिलियन तुर्की मूल के लोग रहते हैं. ऐसे में यह लोगों के लिए एक सोशल नेटवर्क के रूप में मदद करता है. जबकि कई लोग अवैध तरीकों से भी आ रहे हैं. मालूम हो, शरण मांगने के आवेदनों में तेजी से इजाफा हुआ है. यह 2021 में 7,067 से बढ़कर एक साल बाद 23,938 हुआ और इस साल जुलाई में 23,000 तक पहुंच गया. विशेषज्ञों का अनुमान है कि तुर्की में राजनीतिक परिवर्तन और प्रत्याशित आर्थिक चुनौतियों के कारण यह बढ़ा हुआ प्रवास जारी रहेगा.
जर्मनी की हिचकिचाहट
जर्मनी में तुर्की लोगों के बढ़ते शरणआवेदनों के बावजूद, हाल के वर्षों में सफल शरण अनुदान की दर में गिरावट आई है. 2022 में सफलता दर 27.8% थी, जो अब इस साल घटकर 15% रह गई है. इसके पीछे कुछ ख़ास कारण नहीं दिए गए हैं. जबकि प्रवासन और शरणार्थियों के लिए संघीय कार्यालय व्यक्तिगत परिस्थितियों और देश-विशिष्ट स्थितियों के आधार पर आवेदनों का मूल्यांकन करता है. मगर इसने यह साफ नहीं किया कि तुर्की में मानवाधिकार और कानून के शासन की स्थिति में सुधार हुआ है या नहीं.
अब राजनीतिक उत्पीड़न या संभावित कारावास का सामना करने वालों के बजाय केवल उन लोगों को ही शरण दिए जाने की ज्यादा संभावना है जिन्हें पहले ही जेल की सजा मिल चुकी है. इस परिवर्तन के कारण तुर्की राज्य द्वारा या चल रहे अदालती मामलों में वांछित आवेदकों को अस्वीकार कर दिया गया है. शरण संबंधी फैसलों को लेकर अनिश्चितता ने कई आवेदकों को उनके भविष्य के बारे में आशा और अनिश्चितता की स्थिति में छोड़ दिया है.
पीवाई/एसबी