सबसे विवादित प्रयोग से प्रतिबंध हटाने की तैयारी
५ अगस्त २०१६अमेरिका के नेशनल इंस्टिट्यूट्स ऑफ हेल्थ (NIH) ने ऐलान किया है कि इंसानी स्टेम सेल को जानवर के भ्रूण में डालने वाले परीक्षणों की फंडिंग पर लगी रोक हटाई जा सकती है. NIH की विज्ञान नीति के एसोसिएट डायरेक्टर कैरी वोलिनेट्ज ने एक ब्लॉग के जरिये इस प्रस्ताव की जानकारी दी. इसका समर्थन करने वाले वैज्ञानिकों को लगता है कि ऐसा कर कई बीमारियों के बारे में बेहतर ढंग से पता चलेगा. साथ ही भविष्य में अंग प्रत्यारोपण के लिए जरूरी अंग भी पैदा किये जा सकेंगे.
वैसे तो वैज्ञानिक लंबे समय से इंसान की ट्यूमर कोशिकाओं को चूहे के भीतर डालते हैं और फिर प्रयोगों के जरिये उस ट्यूमर को नष्ट करने की कोशिश करते हैं. लेकिन स्टेम सेल रिसर्च इससे अलग है. भ्रूण के भीतर स्टेम सेल डालने के बाद किसी की तरह की कोशिका बनाई जा सकती है. उन कोशिकाओं को अंग, रक्त और हड़्डियों में भी बदला जा सकता है.
लेकिन वैज्ञानिकों का दूसरा धड़ा इस प्रयोग से खासा चिंतित है. कैलीफोर्निया यूनवर्सिटी के स्टेम सेल रिसर्चर पॉल क्नोएफलर के मुताबिक अगर स्टेम सेल विकसित होकर पशु के दिमाग का हिस्सा बन गई तो क्या होगा. क्नोएफलर कहते हैं, "ऐसी कोई साफ लकीर नहीं है जो इन दोनों को अलग कर सके क्योंकि यह पता नहीं है कि किस बिंदु पर आकर पशुओं का मस्तिष्क इंसानों जैसा हो जाएगा, ऐसा हुआ तो वे इंसान की तरह सोचने लग सकते हैं."
वहीं NIH को लग रहा है कि चिंताओं के चलते एक बड़ी खोज का रास्ता रुका हुआ है. संस्था की प्रवक्ता रेनेटे माइलेस का के मुताबिक, "हम विज्ञान की दशा देखते हैं और जानते हैं कि विज्ञान कहां जा रहा है." नेशनल इंस्टीट्यूट्स ऑफ हेल्थ का कहना है कि इस प्रस्ताव को पहले सलाहकार समिति के सामने पेश किया जाएगा. पहले चरण में इंसानी स्टेम सेल जानवरों के भ्रूण में डाली जाएंगी और उस चरण तक आगे बढ़ा जाएगा जहां अंग विकसित होने लगते हैं.
जीन के मामले में इंसान के करीबी माने जाने वाले बंदर, चिम्पाजी और लंगूरों पर इस तरह का परीक्षण बिल्कुल नहीं किया जाएगा.
(देखिये, हैरान करने वाली भविष्यवाणियां, इनमें से एक कहती है कि 2154 तक जानवर आधे इंसान बन जाएंगे.)