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मानवाधिकारयूक्रेन

बच्चों का विकास कैसे प्रभावित करता है युद्ध?

फ्रेड श्वालर
२५ अप्रैल २०२४

दुनिया के कई देशों के बीच इस समय युद्ध के हालात हैं. इनका खामियाजा कहीं न कहीं बच्चों को भुगतना पड़ रहा है. इसके चलते बचपन में ही मस्तिष्क पर हो रहे आघात उनके मानसिक विकास को स्थायी रूप से प्रभावित कर सकते हैं.

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यूक्रेन के बच्चे
युद्ध के बीच बड़े होते यूक्रेन के बच्चेतस्वीर: REUTERS

कम से कम बीते 30 वर्षों से दुनिया उस दौर से गुजर रही है, जब कई कोनों में हिंसा एवं सशस्त्र संघर्ष अपने चरम पर है. यूक्रेन में युद्ध और गाजा में इजरायल- हमास युद्ध समेत अफ्रीका, एशिया, लैटिन अमेरिका और यूरोप में लगभग 110 सशस्त्र संघर्ष चल रहे हैं.

इनमें से कई युद्ध शहरों के अंदर और भीड़- भाड़ वाले इलाके में हो रहे हैं. कई युद्ध क्षेत्रों में उपयोग किये जा रहे मिसाइल और ड्रोन हमलों से नागरिकों, स्कूलों, अस्पतालों और बच्चों के शेल्टर यानी ठिकाने भी प्रभावित हो रहे हैं.

अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि आधुनिक युग में हो रही भू-राजनीतिक लड़ाइयों में पहले से कहीं अधिक बच्चे पीड़ित हैं. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेष ने बार-बार चेतावनी दी है कि बच्चों को आधुनिक संघर्षों का "असमान रूप से" खामियाजा भुगतना पड़ रहा है.

इनमें से कुछ प्रभाव शारीरिक होते हैं. युद्ध क्षेत्र में रह रहे कई बच्चों को वहां से आश्रय स्थल तक लाया जाता है. इनमें से कुछ को हमलावरों के द्वारा किए गए यौन शोषण का भी सामना करना पड़ता है. लेकिन शारीरिक घावों के अलावा युद्ध क्षेत्र में रहने वाले बच्चों को मनोवैज्ञानिक परेशानियों से भी गुजरना पड़ता है.

उदाहरण के तौर पर, यूक्रेन के सीमावर्ती इलाकोंमें दो साल पहले शुरू हुए रूस के आक्रमण के बाद बच्चों ने 3000 से 5000 घंटे, जो कि चार से सात महीने के बराबर है, भूमिगत आश्रय स्थलों में बिताए हैं.

यूनिसेफ के संयुक्त राष्ट्र बालकोष में मानसिक स्वास्थ्य सहायता विशेषज्ञ ली जेम्स ने डीडब्ल्यू को बताया, "डर, आक्रोश और अपने प्रियजनों से बिछड़ने के मिश्रित प्रभाव बच्चों पर व्यापक रूप से असर डालते हैं. 40% बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं. इसके परिणाम बहुत ही व्यापक होते हैं.”

विशेषज्ञों का कहना है कि युद्ध का परिणाम लाखों लोगों के लिए भविष्य में मानसिक और मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालने वाला हो सकता है.

विकास संबंधी अनियमितताएं

यूक्रेन में कड़ी निगरानी के तहत एक संघर्ष स्थल में सामाजिक कार्यकर्ता इस बात से चिंतित हैं कि रूस यूक्रेन युद्ध की लंबी खींचतान बच्चों के विकास में बाधक बन रही है.

अमेरिका की कोलंबिया यूनिवर्सिटी में न्यूरो साइंटिस्ट क्रिस्टॉफ एनेकर ने डीडब्ल्यू को बताया कि विज्ञान इस चिंता को दूर कर सकता है. उन्होंने कहा कि तनाव भरी जिंदगी से गुजर रहे शुरुआती जीवन के लोगों में वयस्क होने पर तंत्रिका तंत्र और विकास संबंधी असामान्यताएं आ सकती हैं.

एनेकर ने समझाया, "बचपन में हुआ आघात तनाव और भय की प्रतिक्रियाओं को बदल देता है. इससे वयस्क होने पर मस्तिष्क तनाव के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाता है. उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने बचपन में प्रतिकूल परिस्थितियां झेली होती हैं, उनमें स्ट्रेस हार्मोन ऐसा न झेलने वालों की अपेक्षा अधिक तेजी से स्रावित होता है. जिन बच्चों ने ऐसा अनुभव किया होता है, उनमें एंग्जाइटी और अवसाद के मामले और आगे चलकर अल्जाइमर जैसी बीमारी का जोखिम कहीं अधिक होता है.”

वह कहते हैं कि युद्ध क्षेत्र का अनुभव रखने वाले व्यक्तियों में पीटीएसडी का खतरा हमेशा बना रहता है, फिर चाहे वह बच्चा हो या वयस्क. कुल मिलाकर वयस्कों में तनाव का खतरा अधिक होता है क्योंकि उनमें विकास की संभावना कम होती है.

सहारे की जरूरत

बचपन में मस्तिष्क विकास के तथाकथित संवेदनशील दौर से गुजरता है. एनेकर कहते हैं, "इस अवधि में दुख या चिंता के कारण खुद में ही सिमटना या फिर अपने परिवार से दूर होना और सामाजिक और भावनात्मक रूप से अलग-अलग होना बच्चों के विकास को गड़बड़ कर देता है.”

वह कहते हैं कि वयस्क होने पर बचपन में मिले ट्रॉमा (पीड़ा या प्रताड़ना) को पूरी तरह से भूल पाने का कोई भी प्रभावशाली तरीका अब तक नहीं है. इसीलिए यह बहुत जरूरी है कि विकास की संवेदनशील अवधि में बच्चों को तनाव वाली हर एक बात से दूर रखा जाए. जेम्स कहते हैं कि यूनिसे- यूक्रेन में हम बड़े हो रहे बच्चों के लिए उनके बचपन में मिले तनाव को काम करने के दीर्घकालिक प्रभावों पर काम कर रहे हैं.

जेम्स कहते हैं, "इनमें से कुछ उपाय सरल हैं. जैसे कि बच्चों को खेलने और दूसरों से जुड़ने के लिए एक सुरक्षित वातावरण देना उन्हें दुख और अलगाव से निपटने में मदद करना और इसके लिए उन्हें मूलभूत कौशल सिखाना. लेकिन इनमें से सबसे ज्यादा जरूरी है देखभाल करने वालों को समर्थन देना ताकि वह बच्चों के लिए एक रोल मॉडल के तौर पर उभर कर आए युद्ध के समय में देखभाल करना सबसे मुश्किल काम है. उनका तनाव कम करने का प्रभाव बच्चों पर भी पड़ेगा.”

जेम्स ने बताया कि कई ऐसे कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं जिनसे उन बच्चों और परिवारों को पहचान में सहायता मिल रही है जिन्हें अधिक व्यवहारिक मदद की जरूरत होती है.

हालांकि यूनिसेफ के प्रवक्ता जो इंग्लिश ने डीडब्ल्यू को बताया कि अन्य क्षेत्रों में संघर्ष में फंसे बच्चों को इस तरह का समर्थन नहीं मिल पा रहा है.

इंग्लिश ने बताया, "दुनिया भर के संघर्षों में आवश्यकता के पैमाने को देखते हुए और सामान्य रूप से मानवीय अपीलों और विशेष रूप से बाल संरक्षण की गंभीर कमी को देखते हुए कई बच्चों को वह समर्थन नहीं मिल पाता, जिसकी उन्हें आवश्यकता होती है.”

यूक्रेनी बच्चों और परिवारों के बारे में उत्तर आसानी से उपलब्ध है. गाजा, यमन और दक्षिण सूडान सहित दुनिया के कई अन्य सक्रिय युद्ध क्षेत्र में समस्या की सीमा विश्वसनीय डाटा की कमी के कारण अज्ञात है.

रिपोर्टः फ्रेड श्वालर

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