जर्मनी में राजनीतिक पार्टी बनाने की क्या शर्तें हैं?
२ फ़रवरी २०२४जर्मनी में कोई भी वयस्क नागरिक मतदान में हिस्सा ले सकता है, किसी पार्टी में शामिल हो सकता है, चुनाव में खड़ा हो सकता है या अपनी पार्टी बना सकता है. इसके लिए देश की सरकार से अनुमति लेने की जरूरत नहीं होती. हालांकि, पार्टी का गठन करने वालों के लिए लोकतंत्र के बुनियादी सिद्धांतों का पालन करना जरूरी होता है.
विदेशी लोग भी जर्मनी में अपनी पार्टी बना सकते हैं, लेकिन कार्यकारी समिति और सदस्यों में अधिकांश जर्मन नागरिक होने चाहिए. इसके अलावा, पार्टी का मुख्यालय या प्रबंधन जर्मनी में होना चाहिए. अगर ऐसा नहीं होता है, तो इस समूह को पार्टी के बजाय राजनीतिक संघ माना जाता है और यह किसी चुनाव में अपने उम्मीदवार नहीं उतार सकता.
किसी पार्टी की स्थापना से जुड़े दिशानिर्देश जर्मनी के संविधान (बेसिक लॉ) और जर्मन नागरिक संहिता में निर्धारित किए गए हैं. ये निर्देश नागरिकों के अधिकारों और एक-दूसरे के प्रति उनके दायित्वों को परिभाषित करते हैं.
राजनीतिक दल अधिनियम, किसी राजनीतिक पार्टी के भीतर की प्रक्रियाओं को नियंत्रित करता है. यह पार्टियों को ‘उन नागरिकों के संघों के रूप में परिभाषित करता है, जो राजनीतिक निर्णय प्रभावित करना चाहते हैं और जर्मन संसद के निचले सदन बुंडेस्टाग या राज्य विधानसभाओं में लोगों के प्रतिनिधि के तौर पर भाग लेना चाहते हैं.'
सदस्यों की संख्या
किसी पार्टी का गठन दो तरीकों से किया जा सकता है. एक तरीका यह है कि किसी मौजूदा संगठन को पार्टी में तब्दील कर दिया जाए, या नई पार्टी का गठन किया जाए. संस्थापक सदस्यों की कोई न्यूनतम संख्या तय नहीं की गई है. हालांकि, किसी पार्टी की कार्यकारी समिति में कम-से-कम तीन लोग होने चाहिए.
राजनीतिक दल अधिनियम के तहत भी पार्टी सदस्यों की न्यूनतम संख्या तय नहीं की गई है. हालांकि, किसी भी संघ को अपने संगठन के आकार और जनाधार, सदस्यों की संख्या और सार्वजनिक प्रोफाइल के माध्यम से गंभीरता की गारंटी देनी होती है. साथ ही, नई पार्टी का नाम और उसका संक्षिप्त नाम भी मौजूदा पार्टियों से अलग होना चाहिए.
किसी नई पार्टी की शुरुआती बैठक के लिए नियम होते हैं, जिसमें पार्टी के कार्यक्रम तय किए जाते हैं. इसमें पार्टी के लक्ष्य, सिद्धांत और संगठन के अंदरूनी नियम शामिल होते हैं. इसके अलावा, कार्यकारी समिति को गुप्त मतदान के जरिए लोकतांत्रिक तरीके से चुना जाना चाहिए.
चुनाव में भाग लेना
फेडरल रिटर्निंग अधिकारी देश में होने वाले राजनीतिक चुनावों की रूप-रेखा तय करते हैं और उसे संपन्न कराते हैं. इस दौरान यह सत्यापित किया जाता है कि किसी पार्टी की स्थापना से जुड़े दस्तावेज राजनीतिक दल अधिनियम की शर्तों को पूरा करते हैं. उन दस्तावेजों को अन्य सभी मौजूदा पार्टियों के दस्तावेजों के साथ इकट्ठा किया जाता है और सार्वजनिक तौर पर उपलब्ध कराया जाता है.
देश के आंतरिक मामलों के मंत्री अनिश्चित काल के लिए मुख्य चुनाव अधिकारी और उनके सहयोगियों की नियुक्ति करते हैं. आम तौर पर संघीय सांख्यिकी कार्यालय के अध्यक्ष को फेडरल रिटर्निंग अधिकारी नियुक्त किया जाता है.
पार्टी के तौर पर मान्यता तब मिलती है, जब वह चुनाव में भाग लेने की सभी जरूरी शर्तों को पूरा करे. बुंडेस्टाग और यूरोपीय चुनावों के लिए संघीय चुनाव समिति जवाबदेह होती है. इस समिति में फेडरल रिटर्निंग अधिकारी, बुंडेस्टाग की पार्टियों की ओर से नामित आठ मूल्यांकनकर्ता और संघीय प्रशासनिक न्यायालय के दो न्यायाधीश शामिल होते हैं.
देश के 16 राज्यों में चुनाव से जुड़ा फैसला उनकी अपनी चुनाव समितियां करती हैं. इसमें राज्य के रिटर्निंग अधिकारी और छह मूल्यांकनकर्ता शामिल होते हैं. राज्य के रिटर्निंग अधिकारी की नियुक्ति राज्य सरकार या उसकी ओर से नामित निकाय करते हैं. अगर किसी पार्टी को चुनाव में शामिल होने की अनुमति नहीं मिलती है, तो वह इस फैसले के खिलाफ संघीय संवैधानिक न्यायालय यानी सर्वोच्च न्यायालय में अपील कर सकती है.
मतदाताओं के साथ संपर्क
कानूनी शर्तों को पूरा करने के साथ-साथ पार्टी के संस्थापकों को संगठनात्मक संरचना भी तैयार करनी होती है, ताकि पार्टी मतदाताओं के बीच अपनी बात पहुंचा सके और उनकी बातों को सुन सके.
जो कोई भी नई राजनीतिक पार्टी बनाना चाहता है, उसे इस बात के लिए तैयार रहना चाहिए कि अगर उसकी पार्टी चुनाव जीतकर संसद में पहुंच जाती है, तो उसे संसद में कानून बनाने और पार्टी से जुड़े मुद्दों को उठाने के लिए मजबूत संगठन खड़ा करना पड़ेगा. इसके लिए, उसके पास पर्याप्त कर्मचारी होने चाहिए. साथ ही, ऐसे प्रतिनिधि भी होने चाहिए जिनकी भूमिका साफ तौर पर स्पष्ट की गई हो और जिनके पास फैसला लेने का अधिकार हो.
पैसा भी मायने रखता है
किसी राजनीतिक पार्टी की स्थापना के लिए पैसा भी मायने रखता है. जर्मनी में पार्टियों को सदस्यता शुल्क, डोनेशन और टैक्स के पैसों से फंड मिलता है.
चुनाव में जिस पार्टी को जितने ज्यादा वोट मिलेंगे, जिसका जितना जनाधार होगा, उसे सरकारी फंड से उसी आधार पर अनुदान मिलेगा. सब्सिडी की रकम राज्य, केंद्र और यूरोपीय चुनावों में पार्टी को मिले वोट के आधार पर तय होती है.
किसी पार्टी को भंग करने के नियम
अगर कोई पार्टी छह साल तक चुनाव में भाग नहीं लेती है, तो वह पार्टी के तौर पर अपना दर्जा खो देती है. कोई भी पार्टी किसी भी समय अन्य पार्टियों के साथ खुद का विलय कर सकती है या खुद को भंग कर सकती है. इसके लिए उसे सरकारी अनुमति की जरूरत नहीं होती. हालांकि, कोई पार्टी संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन नहीं कर सकती है.
इस अनुच्छेद में कहा गया है, "ऐसी पार्टियां, जो अपने लक्ष्यों या अपने समर्थकों के व्यवहार के जरिए लोकतांत्रिक व्यवस्था को खराब करने, खत्म करने या जर्मनी के संघीय गणराज्य के अस्तित्व को खतरे में डालने का लक्ष्य रखती हैं, वे असंवैधानिक हैं.”
बुंडेस्टाग, संघीय सरकार या बुंडेसराट (संघीय राज्यों का प्रतिनिधित्व), संवैधानिक न्यायालय से यह घोषित करने के लिए कह सकते हैं कि कोई पार्टी असंवैधानिक है और उसे भंग कर दिया जाना चाहिए. द्वितीय विश्व युद्ध के खत्म होने के बाद पश्चिमी जर्मनी के इतिहास में दो पार्टियों पर प्रतिबंध लगे हैं. इनमें एक है हिटलर की नेशनल सोशलिस्ट जर्मन वर्कर्स पार्टी (एनएसडीएपी) का उत्तराधिकारी संगठन सोशलिस्ट रीच पार्टी. 1952 में इस पर प्रतिबंध लगाया गया. वहीं 1956 में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ जर्मनी पर प्रतिबंध लगाया गया.
नियो-नाजी प्रवृति वाली धुर-दक्षिणपंथी नेशनल डेमोक्रेटिक पार्टी (एनपीडी) पर 2003 में प्रतिबंध लगाने की कोशिश की गई, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. कथित तौर पर, इस पार्टी के नेतृत्व में संघीय सुरक्षा सेवा के मुखबिर सक्रिय थे. 2017 में फिर से इस पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश की गई, लेकिन संघीय संवैधानिक न्यायालय ने इस पार्टी के पास पर्याप्त जनाधार ना होने की बात कहकर इसे खारिज कर दिया था.
23 जनवरी, 2024 को अदालत ने फैसला सुनाया कि ‘डी हायमाट' को सरकारी सब्सिडी का फायदा नहीं मिलना चाहिए. साथ ही, उसे टैक्स में मिलने वाली राहत भी छह साल के लिए रोक दी जाएगी. ‘डी हायमाट' को ही पहले नेशनल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ जर्मनी (एनपीडी) के नाम से जाना जाता था.
राजनीतिक पार्टियों के इतिहास पर एक नजर
जर्मनी में फिलहाल दर्जनों पार्टियां रजिस्टर्ड हैं. हालांकि इनमें से 20 से भी कम पार्टियां हैं, जिनके प्रतिनिधि संसद में हैं. 19वीं सदी से जर्मनी में जो राष्ट्रीय पार्टियां मौजूद रही हैं, उनमें उदारवादी जर्मन प्रोग्रेस पार्टी, सोशल डेमोक्रेटिक वर्कर्स पार्टी (आज की सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी (एसपीडी) की पूर्ववर्ती पार्टी) और कैथोलिक सेंटर पार्टी प्रमुख हैं.
1919 के बाद से वाइमर रिपब्लिक में, राइषटाग में प्रतिनिधित्व करने वाली 14 पार्टियां संसद में बहुमत जुटाने में ज्यादातर समय असफल रहीं. यही वजह थी कि हिटलर की पार्टी एनएसडीएपी के लिए सत्ता पर कब्जा करना आसान हो गया.
दूसरे विश्व युद्ध के बाद अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और रूस ने शुरू में अपने-अपने कब्जे वाले क्षेत्रों में चार पार्टियों को अनुमति दी. इनमें रूढ़िवादी क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक यूनियन (सीडीयू), उदारवादी फ्री डेमोक्रेटिक पार्टी, सोशल डेमोक्रेट और कम्युनिस्ट पार्टी (केपीडी) शामिल थे.
सोवियत के कब्जे वाले पूर्वी क्षेत्र जर्मन डेमोक्रेटिक रिपब्लिक (जीडीआर) में, एसपीडी और केपीडी का विलय हो गया और यह सत्तारूढ़ सोशलिस्ट यूनिटी पार्टी ऑफ जर्मनी (एसईडी) बन गई.
पश्चिमी जर्मनी में 1980 में पर्यावरणवादी ग्रीन पार्टी की स्थापना हुई. 1990 में देश के एकीकरण के बाद एसईडी ने अंततः वामपंथी पार्टी के तौर पर अपनी पहचान बनाई. धुर-दक्षिणपंथी ऑल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (एएफडी) की स्थापना 2013 में हुई.