जर्मनी में इतनी हड़तालें क्यों हो रही हैं?
जर्मनी में पिछले दिनों कई हड़तालें और विरोध प्रदर्शन हुए, जो आगे भी जारी रह सकते हैं. आइए नजर डालते हैं इन प्रदर्शनों और इनकी वजहों पर.
अगली बड़ी हड़ताल
हड़तालों की इस शृंखला में शुरुआती आगामी हड़तालों से करते हैं. अगली बड़ी हड़ताल 1 फरवरी को होनी है. इसमें हवाई अड्डों की सुरक्षा करने वाले सुरक्षाकर्मी पूरे दिन ड्यूटी पर नहीं रहेंगे. जर्मनी में कामगारों की एक बड़ी यूनियन वेर्डी ने इस हड़ताल का एलान किया है. मेहनताना बढ़ाने समेत कई मांगों को लेकर हो रही इस स्ट्राइक में 25,000 सुरक्षाकर्मी शामिल हो सकते हैं.
हवाई अड्डों का क्या होगा?
एयरपोर्ट सुरक्षाकर्मियों की हड़ताल से हवाई अड्डों पर सुरक्षा जांच, सामान की जांच और उड़ानों में अड़चन आएगी. पिछले साल मार्च में भी कर्मचारियों ने ऐसा ही कदम उठाया. तब हड़ताल की वजह से जर्मनी के सभी एयरपोर्ट ठप हो गए थे और हवाई यातायात भी प्रभावित हुआ था.
स्थानीय परिवहन भी होगा ठप
जर्मनी की ट्रेड यूनियन वेर्डी ने 2 फरवरी को तकरीबन पूरे देश में स्थानीय परिवहन के कर्मचारियों की हड़ताल बुलाई है. यूनियन के मुताबिक, कर्मचारियों पर काम का बहुत दबाव पड़ रहा है और इसी वजह से परिवहन व्यवस्था चरमरा रही है. इस हड़ताल में बस और ट्राम सेवा शामिल है.
यूनिवर्सिटी डॉक्टरों की हड़ताल
जर्मनी के यूनिवर्सिटी अस्पतालों के डॉक्टर 30 जनवरी को हड़ताल पर थे. ये डॉक्टर वेतन बढ़ाने की मांग कर रहे हैं. उनकी यह भी शिकायत है कि काम के घंटे अनियमित हैं और इस व्यवस्था पर प्रतिबंध लगाया जाए. अस्पतालों का प्रबंधन डॉक्टरों के साथ बातचीत कर रहा था, लेकिन कोई समझौता नहीं हो पाया.
बर्लिन में किसानों का प्रदर्शन
जर्मन सरकार ने बजट में बचत के लिए किसानों को दी जाने वाली डीजल सब्सिडी, टैक्स रीफंड और कृषि वाहनों में छूट खत्म करने की योजना बनाई. कृषि क्षेत्र में सब्सिडी घटाने की इस तैयारी पर विरोध जताने सैकड़ों किसान बर्लिन पहुंचे. 18 दिसंबर को उन्होंने ट्रैक्टर से परेड निकाली और सरकार के फैसला वापस न लेने पर देशभर में प्रदर्शन करने की चेतावनी दी.
फिर 8 जनवरी को बड़ा विरोध प्रदर्शन
किसानों का विरोध देखते हुए सरकार थोड़ा पीछे हटी. लेकिन, जर्मन फार्मर्स असोसिएशन ने इसे अपर्याप्त बताते हुए 8 जनवरी को देशव्यापी प्रदर्शन किया. इसमें बहुत सारे किसान ट्रैक्टर लेकर बर्लिन के मशहूर ब्रैंडनबुर्ग गेट पर इकट्ठा हुए और देश के कई हाई-वे जाम करके ट्रैक्टर रैलियां निकाली गईं.
अब थी रेल ड्राइवरों की बारी
किसानों के बाद रेलवे कर्मचारियों की यूनियन जीडीएल ने 10 से 13 जनवरी तक हड़ताल बुलाई. इसमें यात्री ट्रेनों और मालगाड़ियों, दोनों के ड्राइवर शामिल थे. रेलवे चालक वेतन बढ़ाने और काम के साप्ताहिक घंटे 38 से 35 करने की मांग कर रहे थे. तीन दिनों की इस हड़ताल से रेलवे को काफी नुकसान हुआ.
22 जनवरी, एक और रेलवे हड़ताल
जर्मनी की राष्ट्रीय रेल कंपनी डॉयचे बान ने रेल कर्मचारियों को समझौते का जो प्रस्ताव दिया था, उसे कर्मचारियों ने ठुकरा दिया. इसके बाद रेलवेकर्मियों की यूनियन जीडीएल ने छह दिनों की एक और हड़ताल बुलाई. इस बार छह दिन की हड़ताल, अब तक की सबसे लंबी हड़ताल होने वाली थी. अनुमान था कि इससे एक अरब यूरो तक का नुकसान हो सकता है. हालांकि रेलकर्मियों ने योजना से कुछ पहले ही हड़ताल खत्म कर दी.