महंगे घर तो बच्चे कम
२९ दिसम्बर २०२१ऑस्ट्रेलिया की सिडनी यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने बीस साल के आंकड़ों के अध्ययन के आधार पर निष्कर्ष निकाला है कि जब प्रॉपर्टी मार्किट में तेजी आती है तो लोग कम बच्चे पैदा करते हैं. इसका उलटा भी सच है.
इसी अध्ययन का एक अन्य निष्कर्ष यह है कि जिन लोगों के पास घर नहीं होता उनके बच्चे पैदा करने की संभावना कम होती है.
शोधकर्ताओं ने पहली बार ऑस्ट्रेलिया के लोगों की बच्चे पैदा करने की संभावना की तुलना घरों की कीमतों से की है. सिडनी यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं की यह स्टडी ‘जर्नल ऑफ हाउसिंग इकॉनोमिक्स' में छपी है.
महंगे हो रहे हैं घर
ऑस्ट्रेलिया में पिछले दो साल में प्रॉपर्टी की कीमतें राष्ट्रीय स्तर पर 20 प्रतिशत बढ़ चुकी हैं. अध्ययन के मुख्य शोधकर्ता एसोसिएट प्रोफेसर स्टीफेन वीलन के मुताबिक 2001 से 2018 तक के आंकड़ों के आधार पर उन्होंने जो निष्कर्ष निकाले हैं वे अब और ज्यादा वाजिब साबित होंगे.
प्रोफेसर वीलन कहते हैं, "घरों की कीमतों और उनके घर खरीदने की असर को लेकर तो यह बहस काफी होती है कि नीतियां किस तरह की होनी चाहिए. लेकिन घरों की कीमतों का लोगों के बच्चे पैदा करने के फैसलों पर असर के बारे में चर्चा ज्यादा नहीं होती है.”
वह कहते हैं कि तेजी से बढ़ती घरों की कीमतों का असर लोगों की बच्चे पैदा करने की इच्छा और असल में बच्चों के पैदा होने पर सीधा होता है. वह कहते हैं, "यह अध्ययन दिखाता है कि तेजी से बढ़तीं घरों की कीमतों का असर लोगों के बच्चे पैदा करने की मंशा पर भी होता है और उन मंशाओं के नतीजों पर भी.”
हैरतअंगेज नहीं नतीजे
शोध कहता है कि घर की कीमत अगर एक लाख ऑस्ट्रेलियाई डॉलर बढ़ती है तो बच्चे पैदा होने की संभावना 18 प्रतिशत बढ़ जाती है. उन शादीशुदा जोड़ों के बच्चे पैदा करने की संभावना ज्यादा होती है जिन्होंने घर के लिए लोन ले रखा है.
प्रोफेसर वीलन कहते हैं कि उन्होंने और उनके साथियों ने जो तथ्य उभारा है वह जरूरी तो है लेकिन बहुत ज्यादा हैरतअंगेज नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा,"बच्चे पालने के खर्च में घर के खर्च का एक बड़ा हिस्सा होता है. तो घर महंगा होने पर ऑस्ट्रेलिया में बच्चे पालना ज्यादा महंगा होता जा रहा है. इस कारण किराये पर रहने वाले वे लोग बच्चे पैदा करने का फैसला टाल सकते हैं जो आर्थिक रूप से कम सुरक्षित होते हैं.”
ऑस्ट्रेलिया में जन्मदर की कमी विशेषज्ञों के लिए चिंता का विषय रही है. 1970 के दशक से देश में जन्मदर ‘रीप्लेसमेंट रेट' से कम रही है, जिसका अर्थ है कि लंबी अवधि में आबादी कम हो रही है. जबकि, इस दौरान घरों की कीमतें तीन गुना से भी ज्यादा बढ़ चुकी हैं.