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कर्नाटक में हिजाब के बाद अब "हलाल" पर विवाद

३० मार्च २०२२

कर्नाटक में हिजाब विवाद के बाद हलाल मीट को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. राज्य में कुछ दक्षिणपंथी संगठनों ने हलाल मीट के बहिष्कार का आह्वान किया है. अब राज्य सरकार ने भी इसको लेकर प्रतिक्रिया दी है.

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तस्वीर: DW

कर्नाटक में हिंदू जन जागृति ने हलाल मीट के बायकॉट का ऐलान किया था, बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव सीटी रवि ने मंगलवार को हलाल खाने को 'आर्थिक जिहाद' तक कह दिया था. दक्षिण भारत में नववर्ष के रूप में उगादी पर्व मनाया जाता है. हिंदू जन जागृति ने हिंदुओं से उगादी के मौके पर हलाल मीट नहीं खाने की अपील की है.

साफा नाम के ट्विटर हैंडल पर शेयर की गई एक वीडियो पोस्ट में मोहन गौड़ा नाम के हिंदू नेता कहा कि हलाल किए गए मीट को खाना हिंदू धर्म के खिलाफ है. उन्होंने कहा कि यह हिंदुओं का आचरण नहीं है. उन्होंने दावा किया कि हलाल सर्टिफिकेट के माध्यम से भारत में हजारों करोड़ रुपये का कारोबार किया जा रहा है और इसके पैसे से देश को इस्लामिक केंद्र बनाने की साजिश हो रही है.

उन्होंने सभी हिंदुओं से हलाल मीट और हलाल प्रोडक्टस के बहिष्कार का आह्वान किया. वहीं कर्नाटक के गृहमंत्री अरागा ज्ञानेंद्र ने एक अजीबो गरीब बयान दिया है. उन्होंने कहा, "इस तरह की प्रतिक्रियाओं की वजह मुसलमानों का वह विरोध है, जो उन्होंने हिजाब को लेकर हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ किया. कानून व्यवस्था अगर बिगड़ती है तो मेरा मंत्रालय कार्रवाई करेगा."

वहीं कांग्रेस का कहना है कि बीजेपी के पास मुद्दे नहीं है और वह इस तरह के मुद्दे को लाती है जिससे लोगों को बांटा जा सके और चुनाव में जीत हासिल हो सके.

मीट कम खाइए, पर्यावरण को बचाइए

इस बीच राज्य के मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई से जब हलाल विवाद पर पत्रकारों ने सवाल किया तो उन्होंने कहा, "यह (हलाल मुद्दा) अभी शुरू हुआ है. हमें समग्रता से अध्ययन करना है, क्योंकि इसका किसी नियम से कोई लेनादेना नहीं है. यह एक प्रथा है जो चल रही थी. अब इसको लेकर गंभीर आपत्ति जताई गई है. हम उस पर गौर करेंगे."

साथ ही उन्होंने कहा कि जहां तक उनकी सरकार का सवाल है उसके "केवल विकास के पंख" हैं और कोई दक्षिणपंथी या वामपंथी नहीं है.

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हिंदू संगठनों का कहना है कि हलाल मीट हिंदू देवता को नहीं चढ़ाया जाना चाहिए. उगादी त्योहार के अगले दिन एक परंपरा के तहत हिंदू देवी-देवताओं को मांस चढ़ाया जाता है. यह परंपरा कर्नाटक के मैसूर, रामनगर और मांड्या जिलों में मनाई जाती है. कई हिंदू परिवार प्रसाद के रूप में इस दिन मीट भी खाते हैं.

कुछ दिनों पहले कर्नाटक के कुछ हिस्सों में हिंदू धार्मिक मेलों के दौरान मंदिरों के आसपास मुस्लिम दुकानदारों पर प्रतिबंध के बाद अब हलाल मीट का विवाद खड़ा हो गया है.

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कर्नाटक में पिछले साल दिसंबर से ही कॉलेज परिसरों में लड़कियों द्वारा हिजाब पहनकर आने को लेकर विवाद चल रहा है. कर्नाटक हाईकोर्ट ने हिजाब पर अपने फैसले में कहा है कि हिजाब इस्लाम के अनिवार्य धार्मिक व्यवहार का हिस्सा नहीं है और इस तरह संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत संरक्षित नहीं है.

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