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ग्रेट बैरियर रीफ के कोरल के लिए 400 सालों का सबसे बुरा दशक

८ अगस्त २०२४

ऑस्ट्रेलिया के ग्रेट बैरियर रीफ के लिए बीता दशक पिछले 400 सालों में सबसे बुरा साबित हुआ है. बढ़ता तापमान उसके लिए बड़ा संकट बन कर सामने आया है.

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ग्रेट बैरियर रीफ में तैराकी करते सैलानी, यह तस्वीर 5 अप्रैल, 2024 की है
ऑस्ट्रेलिया के ग्रेट बैरियर रीफ के कोरल भारी खतरा झेल रहे हैंतस्वीर: David Gray/AFP/Getty Images

ग्रेट बैरियर रीफ के शानदार कोरल सिस्टम के आसपास समुद्र का तापमान 1960 के दशक से ही हर साल बढ़ता आ रहा है. साइंस जर्नल नेचर में छपी एक नई रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक हाल के वर्षों में कोरल ब्लीचिंग की घटनाएं जिस स्तर पर दिखी हैं उनके पीछे पानी का बहुत गर्म होना वजह है. रिपोर्ट में कहा गया है कि पानी की गर्मी बढ़ने के पीछे इंसानी गतिविधियों से प्रेरित जलवायु परिवर्तन है. 

रिसर्च रिपोर्ट की सह लेखिका हेलेन मैकग्रेगर का कहना है कि वह रीफ को लेकर अत्यधिक चिंतित हैं, उन्होंने तापमान में बढ़ोत्तरी को "अभूतपूर्व" बताया है. मैकग्रेगर ने समाचार एजेंसी एएफपी से कहा, "ये कोरल यहां 400 सालों से हैं और इस वक्त जो वो झेल रहे हैं वह सबसे गर्म तापमान है."

ग्रेट बैरियर रीफ के कोरल का हाल देखतीं मरीन बायोलॉजिस्ट आने हॉगेट, यह तस्वीर 5 अप्रैल, 2024 की है
ग्रेट बैरियर रीफ के कोरल सागर के पानी का तापमान बढ़ने के कारण खतरे में हैंतस्वीर: David Gray/AFP/Getty Images

सबसे बड़ी जीवित संरचना

द ग्रेट बैरियर रीफ को दुनिया की सबसे बड़ी जीवित संरचना कहा जाता है. इसका विस्तार 2,300 किलोमीटर में है. इसमें जैव विविधता की अनोखी दुनिया बसी हैं, जिसमें 600 से ज्यादा प्रकार के कोरल और 1,625 किस्म की मछलियां हैं. हालांकि लगातार मास ब्लीचिंग की घटनाओं की वजह से रीफ का नाजुक इकोसिस्टम खतरे में पड़ गया है. अत्यधिक तापमान कोरल के पोषण और रंग को नुकसान पहुंचाता है. इसे ही ब्लीचिंग कहा जाता है. कोरल की ब्लीचिंग तब होती है जब पानी का तापमान एक डिग्री सेल्सियस से ज्यादा बढ़ जाता है.

कोरल रीफ को जलवायु के अनुकूल बनाने की कोशिश

ऑस्ट्रेलियाई रिसर्चरों ने कोरल सी में सतह के तापमान का परीक्षण किया है. कोरल सी सागर के उत्तर पूर्वी तट का 2000 किलोमीटर में फैला इलाका है जिसमें ग्रेट बैरियर रीफ भी शामिल है. वैज्ञानिकों ने कोरल के नमूने ले कर समुद्र के सतह पर 1618 से 1995 तक के तापमान की संरचना बनाई है. इसमें हाल के आंकड़ों को भी शामिल किया गया है.

उन्होंने देखा कि साल 1900 के पहले तापमान तुलनात्मक रूप से स्थिर था लेकिन 1960 से ले कर अब तक समुद्र का तापमान औसत रूप से 0.12 डिग्री सेल्सियस बढ़ा है. यह तापमान बीते सालों में जो पांच मास ब्लीचिंग की घटनाओं के दौरान और ज्यादा ऊंचे थे.

ग्रैट बैरीयर रीफ के कोरल में ब्लीचिंग यह तस्वीर 27 फरवरी, 2024 की है
कोरल ब्लीचिंग के खतरे से उबर सकते हैं लेकिन ऐसा लगतारा होने पर उनकी क्षमता प्रभावित होती हैतस्वीर: Grace Frank/Australian Institute of Marine Science/REUTERS

खतरे में हैं कोरल 

मैकग्रेगर का कहना है कि भले ही कोरल इस स्थिति से उबर सकते हैं लेकिन बढ़ता तापमान और बार बार ब्लीचिंग की घटनाएं उनकी क्षमता को प्रभावित कर रहे हैं. उन्होंने बताया, "अब तक जो हमने देखा है उससे लग रहा है कि ये बदलाव इतनी तेजी से हो रहे हैं कि कोरल इनके हिसाब से खुद को तैयार नहीं कर पा रहे हैं और इससे रीफ को खतरा है."

रीफ बचाने की ऑस्ट्रेलियाई योजना पर सवाल

इस साल की ब्लीचिंग ने करीब 81 फीसदी रीफ को अत्यधिक या फिर ऊंचे स्तर का नुकसान पहुंचाया है. सरकार की तरफ से जारी आंकड़े दिखा रहे हैं कि वे अब तक के सबसे विस्तृत और गंभीर नुकसान हैं. वैज्ञानिकों को अभी कुछ और महीने ये पता लगाने में लगेंगे कि रीफ का कितना हिस्सा है जो रिकवर नहीं हो पाएगा.

दुनिया भर की सरकारें ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को घटाने की कोशिशों में जुटी हैं. इसके साथ ही रीफ को इस स्थिति का सामना करने के लिए तैयार करने और खतरों को घटाने पर भी काम हो रहा है. ऑस्ट्रेलिया ने पानी की गुणवत्ता सुधारने, जलवायु परिवर्तन के असर को घटाने और खतरे से जूझ रही प्रजातियों को बचाने पर करीब 5 अरब ऑस्ट्रेलियाई डॉलर खर्च किए हैं. हालांकि यह भी सच है कि ऑस्ट्रेलिया दुनिया में गैस और कोयले के सबसे बड़े निर्यातकों में से एक है. उसने हाल ही में कार्बन न्यूट्रल बनने का लक्ष्य तय किया है.

एनआर/एए (एएफपी)