दिल्ली चिड़ियाघर में नौकरी कर रहे ग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट
४ जनवरी २०२४जिन 100 लोगों को इस नौकरी पर रखा गया है उनमें अंग्रेजी, गणित, अर्थशास्त्र, भौतिक शास्त्र, रसायन शास्त्र, मेटलर्जी आदि जैसे विषयों में ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन और इंजीनियरिंग जैसी डिग्रियां हासिल कर चुके युवा हैं. ये देश के अलग अलग राज्यों से आए हैं.
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक यह दिल्ली चिड़ियाघर द्वारा 30 सालों के बाद की गई जू-कीपरों की सामूहिक भर्ती का नतीजा है. एक जू-कीपर का चिड़ियाघर के पशुओं के साथ सीधा संपर्क होता है और उसका काम होता है पशुओं के व्यवहार, आहार आदि को समझना और उनका हर तरह से ख्याल रखना.
18,000 है वेतन
अखबार के मुताबिक इस नौकरी के लिए बस बारहवीं पास होने की योग्यता काफी है, जिसका मतलब है ये 100 युवा इस नौकरी के लिए अति योग्य हैं. इनमें से किसी ने भी वन विज्ञान या जीव जिज्ञान जैसे विषय की पढ़ाई नहीं की है. मिसाल के तौर पर राहुल यादव को ले लीजिए.
आगरा के रहने वाले राहुल ने 2020 में जयपुर के मालवीय नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी ने मेटलर्जी में डिग्री हासिल की थी. लेकिन तीन साल बाद उन्हें दिल्ली के चिड़ियाघर में यह नौकरी मिली. यह नौकरी उन्हें सरकारी नौकरी के लिए दी जाने वाली परीक्षा स्टाफ सेलेक्शन कमीशन-मल्टी टास्किंग स्टाफ एग्जाम देने के बाद मिली.
उन्होंने अखबार को बताया कि उन्हें लगा था कि इस परीक्षा में पास हो जाने के बाद उन्हें किसी मंत्रालय में कोई नौकरी मिलेगी, लेकिन अब वो इस नौकरी को थोड़ा समय देना चाहते हैं. अभी सभी नए जू-कीपरों का प्रशिक्षण चल रहा है. एक रिपोर्ट के मुताबिक इस नौकरी में 18,000 से 22,000 रुपये मासिक वेतन मिलता है.
लगभग इन सभी युवाओं ने यह परीक्षा दी थी और उन्हें उम्मीद थी कि पास होने के बाद उन्हें किसी न किसी मंत्रालय में कोई नौकरी मिलेगी, लेकिन उनके लिए यही नौकरी निर्धारित की गई. थोड़ी हिचक और थोड़ी अनिश्चितता के बाद सबने चिड़ियाघर में नौकरी संभाल ली.
चिड़ियाघर का प्रशासन इन नए कर्मियों की तरफ काफी उम्मीद से देख रहा है. निदेशक आकांक्षा महाजन ने अखबार को बताया कि वो इन युवाओं की अलग अलग शैक्षणिक योग्यताओं को एक सकारात्मक संकेत के रूप में देख रही हैं. उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें नए कर्मियों को काम सौंपने की कोई जल्दबाजी नहीं है और पहले उनका प्रशिक्षण जरूरी है.
भारत में बढ़ती बेरोजगारी
हालांकि इस तरह की योग्यताओं वाले युवाओं द्वारा एक ऐसे पद पर नौकरी करना जिसके लिए वे जरूरत से ज्यादा योग्य हैं देश में बेरोजगारी का स्पष्ट संकेत है. केंद्र सरकार का दावा है कि बेरोजगारी में हर साल गिरावट आ रही है, लेकिन आंकड़े अपने आप में बेहद चिंताजनक हैं.
पीरिऑडिक लेबर फोर्स सर्वे (पीएलएफएस) के ताजा आंकड़ों के मुताबिक 2022-23 में देश में ग्रेजुएट युवाओं के बीच बेरोजगारी दर 13.4 थी. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस अवधि में कुल बेरोजगारी दर सिर्फ 3.2 प्रतिशत थी, लेकिन कुछ निजी संस्थानों के आंकड़े काफी अलग हैं.
निजी थिंक-टैंक सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी (सीएमएआई) के मुताबिक अक्तूबर, 2023 में देश में कुल बेरोजगारी दर 10.05 फीसदी थी. विश्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक 2022 में 15 से 24 साल के लोगों के बीच बेरोजगारी दर 25 प्रतिशत के आस पास थी.
अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी की "स्टेट ऑफ वर्किंग इंडिया 2023" रिपोर्ट के मुताबिक 2021-22 में देश में 25 साल से कम उम्र के ग्रेजुएट युवाओं में 42 प्रतिशत से ज्यादा बेरोजगार थे.
बीते दिनों जब संसद के अंदर उत्पात मचाने के लिए कुछ युवाओं को गिरफ्तार किया गया तो पाया गया कि उनमें लगभग सभी शैक्षणिक रूप से काफी योग्य थे, बेरोजगार थे और देश में बेरोजगारी की स्थिति की तरफ लोगों का ध्यान दिलाना चाह रहे थे.
ऐसे में ग्रेजुएट और पोस्टग्रेजुएट युवाओं का चिड़ियाघर में नौकरी करना चौंकाने वाला कदम नहीं लगता. चिड़ियाघर प्रशासन को उम्मीद भी है कि ये नए कर्मी अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाएंगे.