भारत में ट्रांसजेंडरों को मिलेगा स्वास्थ्य बीमा
२५ अगस्त २०२२केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण ने इस विषय में सामाजिक न्याय मंत्रालय के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. समझौते के तहत ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए एक व्यापक स्वास्थ्य पैकेज का वादा किया गया है. इसके तहत इस समुदाय के लोग आयुष्मान भारत योजना की सुविधाओं का लाभ उठा पाएंगे.
पांच लाख रुपये का बीमा
हर ट्रांसजेंडर को एक साल में पांच लाख रुपयों तक का बीमा कवर मिलेगा. वे देश में कहीं भी आयुष्मान भारत के तहत पैनल में शामिल किसी भी अस्पताल में अपना इलाज करवा सकेंगे. किस किस तरह का इलाज और खर्च इस योजना के तहत आएगा यह निर्धारित करने के लिए एक व्यापक पैकेज अभी बनाया जा रहा है.
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इनमें सेक्स रिअसाइनमेंट सर्जरी भी शामिल होगी. योजना का अभी खाका बनाया जा रहा है और पैकेज के बारे में और विस्तार से खाका बन जाने के बाद बताया जाएगा. स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने बताया कि देश में 4.8 लाख ट्रांसजेंडर व्यक्ति हैं और वो सब इस योजना का लाभ उठा सकते हैं. उन्होंने यह भी बताया कि सर्जरी करने वाले अस्पतालों की सूची में और नाम भी जोड़े जाएंगे. एम्स में भी इसकी शुरुआत करने की कोशिश की जा रही है.
ट्रांसजेंडर प्रमाण पत्र
स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह भी बताया कि इसका लाभ उन्हीं लोगों को मिलेगा जिनके पास ट्रांसजेंडरों के लिए बनाए गए राष्ट्रीय पोर्टल द्वारा जारी किया गया ट्रांसजेंडर प्रमाण पत्र है. मीडिया रिपोर्टों में बताया जा रहा है कि पोर्टल से अभी तक सिर्फ करीब 8,000 प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं.
मौके पर मंडाविया ने कहा, "यह कदम समानता सुनिश्चित करने से आगे की पहल है, यह समझौता ज्ञापन ट्रांसजेंडर समुदाय को विशेष स्वास्थ्य लाभ प्रदान करेगा. सरकार और समाज के सहयोग से वंचित समुदाय गरिमा और आत्मनिर्भरता के साथ प्रगति कर सकते हैं."
भारत में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को तीसरे जेंडर के रूप में मान्यता प्राप्त है, लेकिन आज भी उन्हें कई तरह की सुविधाएं हासिल करने में दिक्कत का सामना करना पड़ता है. इंडियास्पेंड वेबसाइट के मुताबिक 2020 में लॉकडाउन लागू होने के बाद जब सरकार ने घोषणा की कि हर ट्रांसजेंडर व्यक्ति के बैंक अकाउंट में 1,500 रुपए डाल दिए जाएंगे तो सिर्फ 5,711 ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के खातों में पैसे पहुंचे.
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इस रिपोर्ट के मुताबिक इस समुदाय में 80 प्रतिशत लोगों के पास बैंक खाते हैं ही नहीं क्योंकि उनके पास किसी तरह के पहचान पत्र नहीं है. पहचान पत्र के अभाव में वो सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं उठा पाते हैं. इसके अलावा ऐक्टिविस्टों का कहना है कि ट्रांसजेंडर व्यक्तियों की फिर से गिनती करने की भी जरूरत है क्योंकि मौजूदा आंकड़ा 11 साल पुराना है.