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आतंकवादभारत

भारत सरकार: इस साल जम्मू-कश्मीर में 14 अल्पसंख्यक मारे गए

८ दिसम्बर २०२२

गृह मंत्रालय के आंकड़ों से पता चला है कि इस साल 30 नवंबर तक जम्मू-कश्मीर में आतंकी घटनाओं में कुल 14 अल्पसंख्यक मारे गए हैं, जिनमें 3 कश्मीरी पंडित शामिल हैं.

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तीन कश्मीरी पंडितों की हत्या
तीन कश्मीरी पंडितों की हत्या तस्वीर: Channi Anand/AP Photo/picture alliance

कश्मीरी पंडितों पर बीते कुछ समय से हमले के बाद से वहां उनकी सुरक्षा को लेकर लगातार चर्चा हो रही है. घाटी में कश्मीरी पंडितों की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं. इस बीच गृह मंत्रालय के आंकड़ों से पता चला है कि इस साल 30 नवंबर तक जम्मू कश्मीर में आतंकी घटनाओं में कुल 14 अल्पसंख्यक मारे गए हैं, जिनमें 3 कश्मीरी पंडित शामिल हैं. सरकार का कहना है कि पिछले पांच वर्षों में किसी कश्मीरी पंडित का घाटी से पलायन नहीं हुआ है.

तीन कश्मीरी पंडितों की हत्या

संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने बुधवार को राज्यसभा को बताया कि जम्मू-कश्मीर संघ राज्य क्षेत्र में इस साल 30 नवंबर तक 3 कश्मीरी पंडितों समेत अल्पसंख्यकों के 14 लोग मारे गए हैं. नित्यानंद राय ने लिखित जवाब में कहा कि कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति ने अपने लोगो की सुरक्षा चिंताओं के बारे में मुद्दा उठाया है.

राय ने बताया कि जम्मू-कश्मीर में अल्पसंख्यकों के जीवन की रक्षा के लिए केंद्र ने कुछ कदम उठाए हैं. महत्वपूर्ण कदमों में स्थिर गार्ड के रूप में सामूहिक सुरक्षा, दिन और रात क्षेत्र का प्रभुत्व और सामरिक बिंदुओं पर चौबीसों घंटे नाके लगाना, गश्त लगाना और सर्च ऑपरेशन शामिल हैं.

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उन्होंने बताया कि जम्मू-कश्मीर में इस साल अब तक हुई 123 आतंकी घटनाओं में 180 आतंकवादी, 31 सुरक्षाकर्मी और 31 नागरिक मारे गए हैं. उन्होंने राज्यसभा को बताया, "सरकार की आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति है और जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा की स्थिति में काफी सुधार हुआ है. आतंकवादी हमलों में पर्याप्त गिरावट आई है. जहां 2018 में 417 आतंकी घटनाएं हुईं वहीं 2021 में 229 घटनाएं हुईं."

पत्रकारों को आतंकवादी संगठनों की धमकी

उन्होंने स्थानीय समाचार संगठनों के लिए काम करने वाले पत्रकारों को खतरे के मुद्दे पर विवरण साझा करते हुए कहा कि कश्मीर में काम करने वाले आठ पत्रकारों को आतंकवादियों से धमकियां मिली हैं और उनमें से चार ने अपनी नौकरी छोड़ दी है. राय ने कहा, "जैसा कि बताया गया है श्रीनगर स्थित स्थानीय समाचार पत्रों के लिए काम करने वाले आठ पत्रकारों को आतंकी ब्लॉग 'कश्मीर फाइट' के माध्यम से धमकी मिली. चार मीडियाकर्मियों ने कथित तौर पर इस्तीफा दे दिया है. इस्तीफा देने वाले मीडियाकर्मी मीडिया हाउस 'राइजिंग कश्मीर' के हैं. इस संबंध में श्रीनगर के शेरगारी थाने में मामला दर्ज किया गया है."

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इन पत्रकारों का नाम "द रेजिस्टेंस फ्रंट" (टीआरएफ) नाम के आतंकी संगठन द्वारा छापी गई एक सूची में था जिसमें संगठन ने इन्हें सुरक्षाबलों का मुखबिर बताया था. टीआरएफ को पाकिस्तान से चलने वाले आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा की ही एक शाखा माना जाता है. यह संगठन पिछले कुछ सालों में कई आतंकवादी हमलों में भी शामिल रहा है.

राय ने कहा कि प्रधानमंत्री के विकास पैकेज के तहत कश्मीरी प्रवासियों के लिए 3,000 सरकारी नौकरियां सृजित की गई हैं, जिनमें से 2,639 लोगों को पिछले पांच वर्षों में नियुक्त किया गया है.

पिछले दिनों उत्तरी कमान के जनरल कमांडिंग इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा था कि अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 के प्रावधानों के रद्द होने के बाद केंद्र शासित प्रदेश में सुरक्षा स्थिति में एक बड़ा बदलाव आया है और आतंकवादी गतिविधियों पर काफी हद तक काबू किया गया है.

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5 अगस्त 2019 को केंद्र की मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य दर्जा वापस ले लिया था और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया था. जम्मू-कश्मीर में विधानसभा का प्रावधान किया गया है जबकि लद्दाख में विधानसभा का प्रावधान नहीं है.

केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 और धारा 35ए हटाने के पीछे तर्क दिया था कि इससे आतंकवाद खत्म होगा, राज्य में निवेश बढ़ेगा और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे.