तेजी से पिघल रहे हैं स्विट्जरलैंड के ग्लेशियर
2022 स्विट्जरलैंड के ग्लेशियरों के लिए एक नाटकीय साल रहा. आल्प्स की हिमशिलाओं ने इस साल अपना छह प्रतिशत आयतन खो दिया. यहां की बर्फ विशेष रूप से जलवायु परिवर्तन का खामियाजा भुगत रही है.
बर्फ की अनंत चादर को अलविदा
जून 2022 के अंत में ली हुई इस तस्वीर में रोन ग्लेशियर को अपनी ही बर्फ के पिघलने से बनी झील में मिलते हुए देखा जा सकता है. स्विस अकैडेमी ऑफ साइंसेज (एससीएनएटी) के मुताबिक स्विट्जरलैंड के ग्लेशियर इस साल अपनी बर्फ का छह प्रतिशत आयतन खो चुके हैं, जो पहले कभी नहीं हुआ. बल्कि इससे पहले तक तो दो प्रतिशत बर्फ के कम हो जाने को "चर्म" माना जाता था.
2000 सालों में पहली बार बर्फ मुक्त
सितंबर 2022 की इस तस्वीर में हाइकरों को सानफ्लूरोन दर्रा पार करते हुए देखा जा सकता है. नंगी जमीन देख कर यह अंदाजा ही नहीं लगाया जा सकता कि यह दर्रा कम से कम पिछले 2,000 सालों से लेकर हाल तक बर्फ के नीचे दबा हुआ था. सिर्फ 10 साल पहले तक यहां 15 मीटर मोटी बर्फ जमी हुई थी. स्विट्जरलैंड में ग्लेशियरों के पिघलने के कई कारण हैं: कम बर्फ का गिरना, गर्मियों में बार बार हीट वेव का आना कुछ कारण हैं.
सहारा की धूल का असर
सर्दियों में कम बर्फ के गिरने के बाद इस साल मार्च से मई के बीच बड़ी मात्रा में सहारा से आई धूल ने ग्लेशियर के पिघलने की गति को और बढ़ा दिया. पीली धुंध में ढका हुआ यह माउंट ब्रिसेन है. प्रदूषित बर्फ ने सूरज की किरणों को और सोख लिया जिसकी वजह से ग्लेशियरों के ऊपर जमी बर्फ की सुरक्षात्मक सतह समय से पहले पिघल गई. एससीएनएटी का कहना था, "यह एक नाटकीय घटना की शुरुआत थी."
ग्लेशियर को नापना
ग्लेशियरविद और स्विस ग्लेशियर मॉनिटरिंग नेटवर्क के प्रमुख माथियास हस (दाईं तरफ) अपने सहयोगियों के साथ पर्स ग्लेशियर पर गहराई नापने के डंडे लगा रहे हैं. इस नेटवर्क ने इन गर्मियों में 20 ग्लेशियरों का अध्ययन किया है जिसके नतीजे खतरनाक हैं. इस साल की शुरुआत से अभी तक तीन क्यूबिक किलोमीटर बर्फ पिघल चुकी है. हस ने एएफपी को बताया, "बहुत से बहुत ग्लेशियर के सिर्फ एक तिहाई हिस्से को बचाया जा सकता है."
नष्ट होने के कगार पर
जिस तरह ग्लेशियर पिघल रहे हैं, ग्रीस ग्लेशियर जैसे ग्लेशियरों पर इस तरह हाइक करना असंभव हो जाएगा. अगर ग्लोबल वॉर्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के पेरिस जलवायु संधि में तय किए गए लक्ष्य को हासिल नहीं किया गया तो 2100 तक आल्प्स के ग्लेशियर मोटे तौर पर गायब ही हो जाएंगे.
बर्फ की गुफाएं भी लुप्त हो रही हैं
रोन ग्लेशियर में एक बर्फ की गुफा में पर्यटक घूम रहे हैं. पिछले 10 सालों में इस ग्लेशियर की हर साल औसतन पांच मीटर बर्फ पिघली है. इस बर्फ के कुछ हिस्से तो हजारों साल पुराने हैं जो जीव जंतुओं और पौधों के अवशेषों के एक तरह के अभिलेख हैं. ये अभिलेख वैश्विक जलवायु परिवर्तन के परिपेक्ष में मध्यम और लॉन्ग टर्म बदलावों के सबसे अच्छे संकेतक हैं.
गर्म होता पानी
रोन ग्लेशियर जहां खत्म होता है वहां से 807 किलोमीटर लंबी रोन नदी शुरू होती है. नदी स्विट्जरलैंड में 246 किलोमीटर तक और फ्रांस में 543 किलोमीटर तक बहती है. गर्मियों में हीट वेव की वजह से यह नदी कुछ स्थानों पर तो पूरी तरह से सूख गई थी. सितंबर में बारिश के बाद जब नदी फिर से भर गई तब भी उसमें पानी इतना ठंडा नहीं हो सका जिससे फ्रांस में उसके किनारों पर बने परमाणु ऊर्जा संयंत्रों को ठंडा किया जा सके.
बर्फ का उपचार
'ग्लेशियर 3000' स्की रिसोर्ट में बर्फ के पिघलने का मुकाबला करने के लिए कर्मचारी बची हुई बर्फ को चादरों से ढक रहे हैं. बर्फ की परत पहाड़ों को स्थिर रखती है: ग्लेशियर जब पिघलते हैं तब पत्थरों का गिरना, स्खलन या मिटटी का स्खलन बढ़ सकता है. एक के बाद एक कर सरकार धीरे धीरे आल्प्स के कई हिस्सों को पर्वतारोहियों और हाइकरों के लिए बंद करती जा रही है.
लुप्त हो चुके ग्लेशियरों का मातम
2019 की इस तस्वीर में ऐक्टिविस्ट पिजोल ग्लेशियर के लिए सांकेतिक रूप से मातम मना रहे हैं. तीन साल बाद वाकई मातम की जरूरत आन पड़ी है: पिजोल ग्लेशियर व्यावहारिक रूप से गायब हो चुका है. वाद्रे दल कोरवाश और श्वार्जबाकफर्न जैसे दूसरे छोटे ग्लेशियर भी पिघल चुके हैं. (नेले जेंश)