जर्मनी ने बंद किए कोयले से चलने वाले सात बिजलीघर
२ अप्रैल २०२४जर्मनी में बीते दिनों कोयले से चलने वाले सात बिजलीघरों को बंद कर दिया गया. यह जानकारी बिजली उत्पादक आरडब्ल्यूई और एलईएजी ने दी है. इनमें से पांच बिजलीघरों को सर्दियों के दौरान बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए फिर से चालू किया गया था. वहीं, दो अन्य संयंत्रों को बंद किए जाने की तय मियाद बढ़ा दी गई थी.
इस कवायद का मकसद लक्ष्य रूसी गैस पर अपनी निर्भरता को घटाना था. सर्दियों में हीटिंग के लिए ऊर्जा की ज्यादा खपत होती है. यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से ही जर्मनी दशकों से बनी आई रूसी गैस पर निर्भरता घटाने की कोशिश कर रहा है.
बंद किए गए कोयला आधारित बिजलीघरों में से पांच कोलोन शहर के नजदीक राइनिश में हैं. यह पश्चिमी जर्मनी का एक खनन वाला इलाका है. आरडब्ल्यूई ने बताया कि इन संयंत्रों को बंद किए जाने का मतलब है कि लिग्नाइट से होने वाला करीब 2,100 मेगावॉट की उत्पादन क्षमता को निष्क्रिय किया जाएगा.
राजधानी बर्लिन के पास ब्रांडेनबुर्ग के पूर्वी हिस्से में स्थित जैशवाल्ड में के दो और संयंत्र भी बंद किए गए हैं. यहां हाल ही में उत्पादन दोबारा शुरू किया गया था.
क्यों खुले थे कोयले से चलने वाले बिजलीघर?
जलवायु परिवर्तन से निपटने की दिशा में जर्मनी ने कोयले पर निर्भरता कम करने की योजना बनाई थी. फरवरी 2022 में यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद जर्मनी की इन योजनाओं को झटका लगा. युद्ध शुरू होने के बाद जर्मनी और अन्य यूरोपीय देशों ने रूसी गैस के आयात पर अपनी निर्भरता कम की. इसके कारण ऊर्जा कीमतों में काफी वृद्धि हुई.
इसे कम करने के लिए जर्मन सरकार ने अस्थायी तौर पर कोयला आधारित कुछ बिजलीघरों को दोबारा शुरू करने का फैसला लिया. कुछ बंद पड़े बिजलीघरों में अस्थायी तौर पर उत्पादन दोबारा शुरू किया गया. साथ ही, जर्मनी ने परमाणु ऊर्जा संयंत्रों को बंद किए जाने की प्रस्तावित योजना भी आगे खिसका दी. पिछले साल अप्रैल में आखिरी तीन परमाणु संयंत्रों को बंद कर दिया गया.
अब सर्दियों का मौसम खत्म हो गया है. ऊर्जा की खपत में कमी आई है. ऐसे में जर्मनी के ग्रिड ऑपरेटर का कहना है कि अभी ऊर्जा आपूर्ति में बहुत अधिक परेशानी नहीं है. ऐसे में कोयले से चलने वाले संयंत्र बंद किए जाने से ऊर्जा आपूर्ति में कोई संकट पैदा होने की आशंका नहीं है.
ग्रीन पार्टी के नेताओं ने स्वागत किया
ग्रीन पार्टी की सांसद काथरीन हेनेबैर्गर ने कोयला बिजलीघरों को बंद किए जाने के फैसले का स्वागत करते हुए इसे "जलवायु न्याय के लिए बड़ी सफलता" बताया. हेनेबैर्गर ने एक बयान में कहा, "जलवायु संकट की बदतर होती स्थिति को देखते हुए कोयले से चलने वाले बिजलीघरों को बंद किया जाना ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन घटाने की दिशा में अहम कदम है." उन्होंने यह भी कहा कि यह निर्णय जलवायु लक्ष्यों को हासिल करने की ऐतिहासिक और वैश्विक जिम्मेदारी के मुताबिक है.