जर्मनी: स्कूलों से उठ रहा है लोगों का भरोसा
३० अगस्त २०२३जर्मनी में शिक्षक अपने छात्रों को एक से छह के स्केल पर ग्रेड करते हैं. इनमें एक, सबसे ऊंचा ग्रेड होता है. इसी आधार पर दी ईफो सर्वे ने लोगों से शिक्षा व्यवस्था को ग्रेड करने को कहा. जिसमें केवल 27 फीसदी प्रतिभागियों ने अपने प्रांत की शिक्षा व्यवस्था को 1 या फिर 2 का ग्रेड दिया. इससे पहले 2014 में हुए इसी सर्वे में 38 फीसदी प्रतिभागी शिक्षा व्यवस्था को 1 और 2 की सबसे ऊंची ग्रेडिंग देना चाहते थे.
सर्वे में हिस्सा लेने वाले पांच में से चार प्रतिभागियों ने कहा कि उन्हें लगता है कोविड महामारी से शिक्षा पर नकारात्मक असर पड़ा है. प्रतिभागियों की बहुमत संख्या ने जर्मन स्कूलों में शिक्षकों की कम संख्या, फंड की कमी और व्यवस्था में बदलाव ना आने को सबसे गंभीर समस्या माना. वहीं जर्मन इकॉनमिक इंस्टीट्यूट के एक कारोबार समर्थक थिंक टैंक आईएनएसएम के एक अध्ययन में चेताया गया है कि जर्मनी की शिक्षा व्यवस्था में संघर्ष कर रहे छात्रों की संख्या बढ़ रही है.
गरीब परिवारों और माइग्रेंट पृष्ठभूमि के बच्चों को परेशानी
आईएनएसएम ने 2011 से 2021 के बीच के चौथी ग्रेड के बच्चों के पढ़ने और सुनने के टेस्ट की समीक्षा की. पाया गया कि बवेरिया अकेला प्रांत हैं, जो "न्यूनतम" तरक्की कर रहा है. 2011 में ब्रेमन के चौथी ग्रेड के बच्चे सर्वे में सबसे नीचे रखे गए थे. अब 2021 में वहां के बच्चों की पढ़ाई गई चीजों को पढ़ने और सुनने-समझने की क्षमता जर्मनी का नया औसत बन गई है.
नए अध्ययन के मुताबिक, यह गिरावट कम पढ़े-लिखे परिवारों से आ रहे बच्चों और आप्रवासी पृष्ठभूमि के बच्चों में खासतौर पर स्पष्ट है.
इस स्टडी के लेखक आक्सेल प्लूनेक इसका कारण बताते हुए कहते हैं कि जर्मन स्कूल और डेकेअर सेंटर अब भी "छात्रों के ज्यादा विविध पृष्ठभूमियों से आने" के पक्ष पर अच्छी तरह ध्यान नहीं दे पाए हैं. आक्सेल कहते हैं कि स्कूल के शुरुआती बरसों और दैनिक शिक्षा ढांचे में छोटे-छोटे सुधार करना पर्याप्त नहीं होगा. वह बताते हैं, "दैनिक गतिविधियों और खास तरह की मदद में गुणवत्ता की कमी है."
जर्मन सीख रहे बच्चों पर खास ध्यान
जर्मन इकॉनमिक इंस्टिट्यूट ने उन बच्चों को खास मदद देने की जरूरत बताई है जो संघर्ष कर रहे हैं. खासतौर पर जिन्हें जर्मन सीखने में मुश्किल हो रही है. इसपर ध्यान देने के लिए स्कूलों को ज्यादा स्वायत्तता देने और उच्च गुणवत्ता वाले दिनभर के शिक्षा विकल्पों की संख्या बढ़ाने जैसे प्रस्ताव शामिल हैं.
आईएनएसएम के प्रमुख थॉर्स्टन अल्सलीबन कहते हैं कि जो भी जर्मन नहीं बोल सकता या जिसकी जर्मन भाषा बहुत खराब है, उसके लिए प्री-एजुकेशन अनिवार्य होनी चाहिए.
एसएम/एडी (केएनए, रॉयटर्स)