जर्मनी में ईरान के जजों के खिलाफ दायर किया आपराधिक मुकदमा
२४ जून २०२३जमशीद शरमाहद की बेटी गजेला शरमाहद और बर्लिन स्थित यूरोपियन सेंटर फॉर कांस्टीट्यूशनल एंड ह्यूमन राइट्स (ईसीसीएचआर) उम्मीद कर रहे हैं कि वे जर्मन संघीय अभियोजकों पर ईरान में जमशीद शरमाहद के कथित अपहरण और उन्हें दी गई यातना की जांच करने के लिए दबाव डाल सकते हैं. वे वर्षों से उम्मीद लगाए बैठे थे कि जर्मन सरकार अपने स्तर पर इस मामले की जांच कराएगी, लेकिन उन्हें निराशा हाथ लगी. अब वे जर्मनी के वकीलों से ऐसा करने की उम्मीद कर रहे हैं.
जमशीद शरमाहद के बारे में माना जाता है कि 2020 में ईरानी सुरक्षा बलों ने दुबई में उनका अपहरण कर लिया था. 2008 में शिराज में एक कथित आतंकवादी बम विस्फोट हुआ था. इस घटना को लेकर ईरानी अदालत ने जमशिद शरमाहद को ‘धरती पर भ्रष्टाचार' का आरोपी मानते हुए इस साल की शुरुआत में मौत की सजा सुनाई है.
2003 से अमेरिका में रह रहे शरमाहद ने बमबारी में किसी भी तरह की संलिप्तता से इनकार किया है. माना जाता है कि ईरानी सरकार ने इस घटना में शरमाहद के शामिल होने से जुड़ा जो कबूलनामा वीडियो जारी किया था, उसके लिए उन्हें मजबूर किया गया था. एमनेस्टी इंटरनेशनल ने उनके मुकदमे को ‘बेहद अनुचित' बताया और कहा कि उन्हें स्वतंत्र बचाव के अधिकार से वंचित कर दिया गया है. साथ ही, हिरासत में उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया.
एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा कि शरमाहद को इसलिए निशाना बनाया गया, क्योंकि उन्होंने एक विपक्षी समूह के लिए वेबसाइट बनाई थी. यह समूह ईरान के इस्लामी गणराज्य को खत्म करने की वकालत करता है.
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उनकी बेटी का समर्थन करने वाले ईसीसीएचआर के वकीलों का कहना है कि चूंकि वह एक जर्मन नागरिक हैं, इसलिए जर्मन न्यायपालिका शरमाहद के मामले की जांच करने के लिए बाध्य है और सभी आठों आरोपियों के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय वारंट जारी कर सकती है. इन आरोपियों में ईरानी सरकार के मुख्य अभियोजक, शरमाहद के अपहरण के समय ईरान की खुफिया एजेंसियों के प्रमुख और कई उच्च स्तर के न्यायाधीश भी शामिल हैं.
एकांत कारावास और यातना
बुधवार 21 जून, 2023 को बर्लिन में ईसीसीएचआर के प्रेस कॉन्फ्रेंस में अमेरिका से वीडियो लिंक के माध्यम से जुड़ी गजेला शरमाहद ने कहा कि उनका अपने 68 वर्षीय पिता से दो साल से अधिक समय से संपर्क नहीं हुआ है.
उन्होंने कहा, "हम जानते हैं कि वह 1,000 से अधिक दिनों से एकांत कारावास में हैं. सिर्फ यह मामला ही सभी बुनियादी अधिकारों का उल्लंघन है. इस दौरान उनके सारे अधिकार छीन लिए गए हैं. उन्हें नहीं पता कि बाहरी दुनिया या जर्मनी में क्या हो रहा है. वे नहीं जानते कि इस वक्त हम उनके लिए क्या कर रहे हैं.”
गिरफ्तारी के बाद से शरमाहद को तीन बार फोन पर थोड़े समय के लिए अपने परिवार से बात करने की अनुमति दी गई. इस दौरान उन्होंने अपने साथ होने वाले यातनाओं की जानकारी दी. उन्होंने कहा कि अब उनके मुंह में सिर्फ दो दांत बचे हैं. वे पार्किंसंस रोग से पीड़ित हैं, लेकिन उन्हें दवा तक उपलब्ध नहीं कराई जा रही है. इस वजह से उनकी छाती और शरीर के जोड़ों में गंभीर दर्द होने लगा है.
गजेला शरमाहद ने कहा, "वह ऐसी स्थिति में हैं कि उन्हें किसी भी दिन दिल का दौरा पड़ सकता है और उनकी मृत्यु हो सकती है. हर सेकेंड मायने रखता है और मुझे कहना होगा कि मैं जर्मन सरकार से बहुत निराश हूं. दबाव बनाने के सभी प्रयास देर से शुरू किए गए या बिल्कुल भी नहीं किए गए. मुझे एक बात पता है कि जब भी जनता उस दिशा में देखती है, सरकार दुविधा में पड़ जाती है.”
डीडब्ल्यू ने इस मामले पर टिप्पणी के लिए जर्मनी के कानून मंत्रालय से संपर्क किया है.
कानूनी उपाय
ईसीसीएचआर इस बात पर जोर देता है कि जर्मन न्यायपालिका के पास जितनी शक्ति है वह फिलहाल उसका इस्तेमाल नहीं कर रही है. ईसीसीएचआर के महासचिव वोल्फगांग कालेक ने कहा, "जर्मन अंतरराष्ट्रीय आपराधिक कानून ऐसे अपराधों की जांच के लिए विशेष रूप से उपयुक्त है. क्या जर्मन अभियोजकों को गिरफ्तारी वारंट दाखिल करना चाहिए, इस बात की संभावना है कि शरमाहद ने जिन लोगों पर आरोप लगाया है उन्हें जर्मनी लाया जा सकता है.
कालेक ने कहा, "हमें उम्मीद है कि जर्मनी के अभियोजक तेजी से जांच शुरू करेंगे और फिर बड़ा सवाल यह है कि तब क्या होगा? हमें नहीं पता कि जिन लोगों को हमने संभावित आरोपी के रूप में पहचाना है वे कब यात्रा कर सकते हैं. हालांकि, हम जानते हैं कि वे यात्रा करते हैं और वे नहीं जानते कि जर्मनी के साथ किन देशों के किस तरह के कानूनी समझौते हैं.”
उन्होंने कहा, "बहुत कुछ हो सकता है. ऐसा हो सकता है कि जर्मनी वेनेजुएला, कोलंबिया, मैक्सिको या ट्यूनीशिया से बात करे और कहे कि हम जानते हैं कि ईरान के जिस व्यक्ति पर इस अपराध में शामिल होने का संदेह है, वह आपके देश में है और उसे कानूनी संरक्षण नहीं दिया जाना चाहिए.”
पहले भी इस तरह के मामले सामने आ चुके हैं, जिनकी मिसालें दी जाती हैं. जर्मन अदालतों ने सीरिया में कैदियों को यातना देने के लिए सीरियाई खुफिया पुलिस के पूर्व सदस्यों को पिछले साल दोषी ठहराया था.
जर्मन-ईरानी पत्रकार और डॉक्टर गिल्डा साहेबी ने कहा कि यह दुखद है कि गजेला शरमाहद जैसे लोगों को अपने प्रियजनों के लिए अभियान चलाने को मजबूर होना पड़ा. उन्होंने कहा, "जर्मन सरकार ने अभी तक उन्हें राजनीतिक कैदी के तौर पर मान्यता नहीं दी है. उदाहरण के लिए, फ्रांस ऐसा तब करता है, जब उसके अपने नागरिकों को हिरासत में लिया जाता है. मुझे लगता है कि कोई भी चीज सिर्फ तब बदल सकती है, जब उसके नतीजे सामने आएं.”