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समंदर में होगा भारत मजबूत, जर्मनी दे सकता है 6 पनडुब्बियां

६ जून २०२३

भारत दौरे पर आए जर्मनी के रक्षा मंत्री बोरिस पिस्टोरियस ने मंगलवार को भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ वार्ता की. खबरों के मुताबिक, छह पनडुब्बियां बनाने के करार पर दोनों देश करीब आ गए हैं.

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जर्मन नौसेना की कंवेशनल सबमरीन
जर्मन नौसेना की कंवेशनल सबमरीनतस्वीर: Michal Fludra/ZUMA Press/IMAGO

राजनाथ सिंह ने जर्मनी के रक्षा मंत्री बोरिस पिस्टोरियस से व्यापक चर्चा की और द्विपक्षीय रक्षा व सामरिक संबंध मजबूत करने के तरीकों पर ध्यान दिया. पिस्टोरियस भारत के चार दिवसीय दौरे पर हैं. मंगलवार की बैठक के बाद मीडिया रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि भारत और जर्मनी, भारत में पनडुब्बी बनाने पर समझौते के करीब आ गए हैं. ये पनडुब्बियां भारतीय नौसेना के लिए बनाई जानी हैं.

राजनाथ सिंह ने एक ट्वीट में कहा कि जर्मनी के रक्षा मंत्री के साथ सार्थक बातचीत हुई. उन्होंने अपने बयान में कहा, "भारत के कुशल कार्यबल और प्रतिस्पर्धी लागत के साथ-साथ जर्मनी की उच्च तकनीक और निवेश संबंधों को और मजबूत कर सकते हैं."

हालांकि, दोनों देशों की ओर अब तक इस बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है. बिजनेस चैनल ईटी नाउ और ब्लूमबर्ग ने सूत्रों के हवाले से यह खबर दी है.

जर्मन रक्षा उद्योग के प्रतिनिधि भी गए हैं भारत

इससे पहले डीडब्ल्यू को दिए इंटरव्यू में पिस्टोरियस ने भारत को जर्मन पनडुब्बियां बेचने का संकेत दिया था. भारत आने के पहले डीडब्ल्यू से विशेष बातचीत में उन्होंने कहा था, "मेरे साथ जर्मनी के रक्षा उद्योग के प्रतिनिधि भी होंगे और मैं यह संकेत देना चाहूंगा कि हम इंडोनेशिया और भारत जैसे अपने भरोसेमंद सहयोगियों का सहयोग करने के लिए तैयार हैं. उदाहरण के लिए, इसमें जर्मन पनडुब्बियों की डिलिवरी भी शामिल होंगी."

चार दिन के भारत दौरे पर जर्मनी के रक्षा मंत्री बोरिस पिस्टोरियस
चार दिन के भारत दौरे पर जर्मनी के रक्षा मंत्री बोरिस पिस्टोरियस तस्वीर: DW

भारत जर्मनी से जो छह पारंपरिक पनडुब्बियां खरीदने की डील करने जा रहा है, वह सौदा करीब 5.2 अरब डॉलर का हो सकता है. इससे पहले फ्रांस की एक कंपनी इस प्रोजेक्ट से पीछे हट गई थी, जिससे जर्मनी के लिए गुंजाइश बन पाई है. जर्मन कंपनी थाइसेनक्रुप मरीन सिस्टम (टीकेएमएस) ने भारतीय पनडुब्बी प्रोजेक्ट के लिए दावेदारी पेश की है.

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भारत है हथियारों का बड़ा खरीदार

भारत हथियारों के लिए अब भी रूस पर बहुत ज्यादा निर्भर है. पश्चिमी देश भारत की इस निर्भरता को कम करने के साथ-साथ अरबों डॉलर का कारोबार करना चाहते हैं. हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती ताकत को संतुलित करने के लिए भारतीय नौसेना लंबे समय से नई और आधुनिक पनडुब्बियां हासिल करना चाहती है. फिलहाल भारतीय नौसेना के पास 16 कंवेंशनल सबमरीन हैं. इनमें से 11 बहुत पुरानी हो चुकी हैं. नई दिल्ली के पास दो परमाणु चालित पनडुब्बियां भी हैं.

पिस्टोरियस ने इंटरव्यू में कहा कि भारत का रूसी हथियारों पर निर्भर रहना जर्मनी के हित में नहीं है. उन्होंने कहा, "हम नहीं चाहते कि भारत लंबे समय तक रूस पर हथियारों और दूसरी चीजों के लिए इतना निर्भर रहे." उन्होंने आगे कहा, "मैं एक संकेत देना चाहता हूं कि हम अपने भागीदारों को समर्थन देने के लिए तैयार हैं. उदाहरण के तौर पर हम भारत को पनडुब्बी बेच सकते हैं."

करार हुआ, तो भारत में ही बनेंगी पनडुब्बियां

फरवरी 2023 की शुरुआत में जर्मन सरकार ने भारत के लिए आर्म्स एक्सपोर्ट पॉलिसी को लचीला किया. इस बदलाव के तहत भारत को जर्मन हथियारों की आपूर्ति आराम से की जा सकेगी. अगर पनडुब्बी पर समझौता हो जाता है, तो उसके तहत विदेशी पनडुब्बी निर्माता कंपनी को एक भारतीय कंपनी के साथ पार्टनरशिप कर भारत में ही ये पनडुब्बियां बनानी होंगी.

पिस्टोरियस 7 जून को मुंबई जाएंगे, जहां वह पश्चिमी नौसेना कमान के मुख्यालय और मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड का दौरा करेंगे.

पिछले दशक में भारत और जर्मनी के बीच आर्थिक और राजनीतिक दोनों तरह के संबंधों में मजबूती आई है. आज जर्मनी द्विपक्षीय और वैश्विक, दोनों संदर्भों में भारत के सबसे महत्वपूर्ण साझेदारों में से एक है.