त्यौहारों के मौसम में जर्मनी में कैसा रहेगा खरीदारी का मूड
२९ नवम्बर २०२४यूरोप में त्यौहारों का मौसम शुरू हो चुका है, आमतौर पर यह मौका आपसी मेलजोल बढ़ाने और जम कर खरीदारी करने का होता है. क्रिसमस के पहले तोहफों की खरीदारी कई बार बैंकों में नगदी की कमी जैसी स्थिति पैदा कर देती है. हालांकि वर्तमान में आर्थिक क्षेत्रों से जुड़े जो आंकड़े दिख रहे हैं वो बहुत उत्साह जगाने वाले नहीं हैं. यूरोपीय अर्थव्यवस्था के सबसे बड़े खिलाड़ी, जर्मनी का हाल खासतौर से बुरा है.
म्युनिख के लाइबनीज इंस्टिट्यूट ऑफ इकोनॉमिक रिसर्च ने जर्मनी के सभी 16 राज्यों के तिमाही आर्थिक आंकड़ों का विश्लेषण किया है. इस विश्लेषण के आधार पर जो आकलन किए गए हैं उनके मुताबिक जर्मनी के आठ पश्चिमी राज्यों में जीडीपी तीसरी तिमाही में इससे पहले के तीन महीनों के मुकाबले घट रही है. हालांकि इसके सामने बाकी के आठ दूसरे राज्य भी हैं जहां उत्पादन बढ़ा है. दूसरे समूह वाले राज्यों में पूर्वी हिस्से के पांच वो राज्य भी हैं जो साम्यवादी पूर्वी जर्मनी में थे.
कम नहीं हो रही हैं जर्मनी की आर्थिक मुश्किलें
विश्लेषण करने वाले दो लेखकों में शामिल रॉबर्ट लेमान का कहना है, "उपभोक्ताओं की भावनाओं का उभरना और उद्योग जगत की समस्याएं राज्यों में विकास की दर में फर्क पर सबसे ज्यादा असर डाल रही हैं."
जर्मनी के संघीय सांख्यिकी विभाग के आंकड़ों के मुताबिक तीसरी तिमाही में 0.2 फीसदी की दर से विकास हुआ है. इस विकास की प्रमुख वजह उपभोक्ता खर्चों में इजाफे को माना जा रहा है.
खुदरा बिक्री गिरी
शुक्रवार को बिक्री के मोर्चे से जो आंकड़े आए हैं वो अच्छे नहीं हैं. क्रिसमस से ठीक पहले लोगों की खरीदारी नीचे गई है. अक्टूबर में सितंबर की तुलना में बिक्री 1.1 फीसदी घट गई है. इस गिरावट ने इससे पिछले महीने में दिखी तेजी के जारी रहने की उम्मीदें ध्वस्त कर दी हैं.
अक्टूबर में खाने पीने की चीजों की बिक्री जहां बढ़ी है, वहीं दूसरी चीजों की बिक्री काफी ज्यादा घट गई है. इंटरनेट और ऑनलाइन खरीदी जाने वाली चीजों की बिक्री 2.4 फीसदी तक घटी है. अक्टूबर 2023 में यह वर्तमान से करीब आठ फीसदी ज्यादा थी.
बहुत से ग्राहक कह रहे हैं कि कमजोर अर्थव्यवस्था को लेकर अनिश्चितता के कारण वे अपना पैसा बचाने पर ध्यान दे रहे हैं. वे कमाई बढ़ने और महंगाई घटने के बावजूद खरीदारी कम कर रहे हैं. हाल ही में कई नकारात्मक खबरों ने भी उन्हें ऐसा सोचने पर विवश किया है. बॉश, थिसेनक्रुप स्टील, फोक्सवागेन और फोर्ड जैसी कंपनियों ने बड़ी संख्या में कर्मचारियों की छंटनी की बात कही है. वीपी बैंक के प्रमुख अर्थशास्त्री थॉमस गित्सेल कहते हैं, "जब आपकी नौकरी खतरे में होती है, तो उपभोक्ता खर्चों की कीमत पर आपकी बचत बढ़ती है."
वेतन के मामले में अच्छी खबरें
जर्मनी में काम करने वालों के बारे में शुक्रवार को जारी आंकड़ों में कुछ अच्छी खबरें भी हैं. साल की तीसरी तिमाही में उपभोक्ता कीमतों की तुलना में वेतन ज्यादा तेजी से बढ़े हैं. वास्तविक मजदूरी पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 2.9 फीसदी बढ़ी है. न्यूनतम मजदूरी में 4.9 फीसदी की बढ़ोतरी ने उपभोक्ता कीमतों में 2.5 के इजाफे को पीछे छोड़ दिया है.
पिछले दो वर्षों के दौरान ऊंची कीमतों के कारण कर्मचारियों की क्रय क्षमता में जो गिरावट आई थी, वह पुराने स्तर पर वापस आ गई है. इससे पहले कोरोना वायरस की महामारी के कारण आई मंदी से वेतन स्थिर या कम हो गया था.
श्रम बाजारों को लेकर चेतावनी
अधिकारियों ने बताया है कि रोजगार के मोर्चे पर कुछ बहुत "मामूली" अच्छे संकेत हैं, लेकिन कुल मिला कर स्थिति गंभीर है. नवंबर में बेरोजगार लोगों की संख्या जर्मनी में पिछले महीने और पिछले साल की तुलना में नीचे आई है. अक्टूबर में कुल 27.74 लाख लोग बेरोजगार थे. नवंबर में यह संख्या 17,000 कम हो गई.
जर्मनी की अर्थव्यवस्था पर दोहरी मार
अक्टूबर की तुलना में बेरोजगारी की दर 0.1 फीसदी घट कर 5.9 फीसदी पर आ गई है. अगर हाल के सुधारों ने अपना असर नहीं दिखाया तो जाड़े के मौसम में बेरोजगारी 30 लाख के प्रतीकात्मक स्तर तक पहुंच सकती है. रोजगार कार्यालय की प्रमुख आंद्रेया नालेस का कहना है, "2023 के पतझड़ से ही यह ट्रेंड गलत दिशा में जा रहा है." इससे पहले जर्मनी में बेरोजगारी इस स्तर पर 10 साल पहले थी. नालेस का कहना है, "कमजोर अर्थव्यवस्था का बोझ श्रम बाजार पर पड़ता है. बेरोजगारी और कम रोजगार दोनों नवंबर में घटे हैं, लेकिन यह कमी बीते महीनों की तरह बहुत मामूली है."
ब्लैक फ्राइडे का क्या होगा
यूरोप में नवंबर का आखिरी शुक्रवार ब्लैक फ्राइडे के नाम से जाना जाता है. छोटी बड़ी ज्यादातर कंपनियों और दुकानों में इस दिन के लिए खास तैयारी होती है. ग्राहकों को ऑफरों के जरिए लुभाया जाता है. वास्तव में लोग इस दिन का इंतजार कई महीने पहले से शुरू कर देते हैं और अपनी खरीदारी की योजना बना कर रखते हैं.
खुदरा बिक्री के जैसे आंकड़े नवंबर में दिखाई पड़े हैं, उन्हें देख कर दिसंबर के लिए बहुत उम्मीद नहीं जगती. इसमें कोई शक नहीं कि त्योहारों के दौरान स्थिति में सुधार हो सकता है लेकिन पूरे साल की उदासी को दूर करने में यह कितना सफल होगा, इसका अनुमान लगाना मुश्किल है.
एनआर/आरपी (डीपीए)