बुंडेसवेयर ब्यूरोक्रेसी के खिलाफ युद्ध की घोषणा
१९ मई २०२३जैसा कि कहा जाता है- युद्धपोत को मोड़ने में समय लगता है. जर्मनी की सशस्त्र सेना, बुंडेसवेयर के लिए और भी ज्यादा समय लग सकता है.
उन्नत हथियारों को पहुंचाने से लेकर जवानों के मोजों तक की खरीद जर्मन सेना के लिए किरकिरी बनी है. बोरिस पिस्टोरियुस ने इसी साल रक्षा मंत्रालय का कार्यभार संभाला है और उनका कहना है कि इन सबको बदलना उनकी प्राथमिकताओं में सबसे ऊपर है.
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इस महीने की शुरुआत में जर्मन शस्त्र निर्माताओं के साथ मंत्रालय की एक बैठक के दौरान उन्होंने कहा, "किसी भी अन्य चीज से ज्यादा, यह बैठक बुंडेसवेयर के लिए खरीद में तेजी लाने के संबंध में है. बहुत सी खाली जगहों को भरना है.”
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ये बयान पिस्टोरियुस की उन सार्वजनिक कोशिशों के अनुरूप हैं जिनमें वो कह चुके हैं कि वो उन मामलों में सफल हो सकते हैं जहां उनके पूर्ववर्ती असफल रहे थे. यानी बुंडेसवेयर को युद्ध के लिए तैयार रहने वाली सेना के रूप में तब्दील करने के मामले में.
पहला नियम: कम नियम
पिस्टोरियुस ने कहा है कि वो उन नियमों को दूर करना चाहते हैं जो शोध और विकास के साथ-साख खरीद में भी बाधक हैं, जो कई सालों से इकट्ठे हो गए हैं और वैधानिक जरूरतों के मामले में सबसे पहले आते हैं. जटिल अनुमोदन प्रक्रियाओं और मंत्रालय के पदानुक्रम की औपचारिकताओं में सुधार लाना है.
माना जाता है कि रचनात्मकता, लचीलापन और प्रस्ताव ऐसे कुछ शब्द हैं जो सेना के खरीद विभाग को निर्देशित करते हैं. इस विभाग में 11 हजार से ज्यादा लोग काम करते हैं. यह खुद रक्षा मंत्रालय से छह गुना बड़ा है.
अप्रैल के अंत में रक्षा मंत्रालय ने जिमर डिक्री नाम से न्यूज प्लेटफॉर्म बिजनेस इनसाइडर के साथ एक आंतरिक दस्तावेज प्रकाशित किया. यह दस्तावेज डीडब्ल्यू को मिला है और इसमें इस बात पर जोर दिया गया है कि टाइम फैक्टर सर्वोच्च प्राथमिकता पर है और इसे तत्काल प्रभाव से लागू किया जाना है. यह सभी नए उपकरणों और परियोजनाओं के लंबित रहने के पीछे भी सबसे बड़ा कारण है.
कम से कम प्रतिरोध का रास्ता
सख्त जरूरत के बावजूद, मेमो महज एक कागज का टुकड़ा भर है. न तो यह मेमो और न ही पिस्टोरियुस के सख्त आदेश सुस्त ब्यूरोक्रेसी यानी नौकरशाही को हरकत में ला सकते हैं.
जर्मन काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशन्स (DGAP) में सेंटर फॉर सिक्योरिटी एंड डिफेंस के प्रमुख क्रिश्चियान मोलिंग कहते हैं, "कागज को समय का पता नहीं होता. डिक्री एक ढांचा बनाती है लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या ये सब चीजें सिस्टम में काम कर रही हैं.”
मोलिंग कहते हैं कि बदलाव में करीब दो साल लग सकते हैं. तब तक जर्मन राजनीति अगले आम चुनाव की तैयारी कर रही होगी और पूरक रक्षा खर्चों में करीब 100 अरब यूरो का इस्तेमाल किया जा सकेगा.
इसी वजह से पिस्टोरियुस पर परिणाम का दबाव बढ़ गया है. यदि वह सांसदों को यह भरोसा दिलाना चाहते हैं कि उनके मंत्रालय को बड़े, सामान्य वार्षिक बजट की जरूरत है, तो उन्हें यह दिखाना होगा कि वो इसे प्रभावी और कम खर्चीले तरीके से इस्तेमाल कर सकते हैं.
जिमर ने तय किया है कि आगे का रास्ता कम से कम प्रतिरोध का मार्ग है. सबसे पहले तो बिना विशिष्ट उपकरणों के काम करना, जिससे समय और लागत में बढ़ोत्तरी का खतरा रहता है. बजाय इसके डिग्री को तैयार या मुस्तैद उत्पादों के उपयोग की जरूरत होगी.
यह बदलाव कुछ उस तरह का है, जिनकी जर्मनी के सैन्य औद्योगिक परिसर में आलोचनाएं होती हैं, मसलन- इसके लिए कहा जाता है कि यहां पहले से मौजूद सस्ते विकल्पों के इस्तेमाल के बजाय पहिये का फिर से अविष्कार करने पर जोर देते हैं.
एक बोझिल विरासत
जर्मनी के रक्षा क्षेत्र ने मंत्रालय द्वारा किए गए नए बदलावों का स्वागत किया है जिसमें तेज, आसान खरीद और कम से कम नियमों पर जोर दिया गया है. इनका कहना है कि ये बदलाव उनके सुझावों से ही मेल खाते हैं.
फेडरल एसोसिएशन ऑफ द जर्मन सिक्योरिटी एंड डिफेंस इंडस्ट्री के मैनेजिंग डायरेक्टर हंस क्रिस्टोफर एट्जपोडीन ने डीडब्ल्यू को भेजे एक बयान में कहा, "नई जरूरतों का लगातार उपयोग हमें उद्योग के रूप में स्थापित करता है. हम बुंडेसवेयर को पहले से ही अपने उत्पादों को दे रहे हैं और बाजार में भी हमारे उत्पाद हैं जिसमें कई NATO देश भी हमारे ग्राहक हैं और इन सबके बीच हमने खुद को सक्षम साबित किया है.”
अपनी सेना को सशक्त बनाने के लिए बुंडेसवेयर का संघर्ष जर्मन पॉलिसी सर्कल में लंबे समय से मजाक का विषय बना रहा है. इसका असैनिक नेतृत्व तो आता है और चला जाता है, वो शायद ही इसके लिए कुछ प्रयास करते हों.
बुंडेसवेयर की चुनौतियों की जड़ें काफी गहरी हैं. डीडब्ल्यू से बातचीत में रिटायर्ड जर्मन ब्रिगेडियर क्लॉउज विटमन कहते हैं कि इसकी स्थापना नाजी शासन के खात्मे के तुरंत बाद फेडरल रिपब्लिक के साथ ही हुई थी लेकिन सेना में अविश्वास के चलते इसने शुरुआती दौर में ही कानूनी तौर पर घुटने टेक दिए.
जर्मनी के संविधान का अनुच्छेद 87 सशस्त्र सेनाओं और उनके प्रशासन के बीच एक विभाजक रेखा खींचता है. इसने सेना के लिए सामान की खरीद को सेना के ही अधिकार से दूर कर दिया है.
हालांकि तत्कालीन पश्चिमी जर्मनी की सेनाएं शीत युद्ध के दौरान ज्यादा मजबूत थीं लेकिन सोवियत खतरे खत्म होने के साथ-साथ सेना को धन मुहैया कराने की राजनीतिक इच्छाशक्ति समाप्त हो गई.
2022 में यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के चलते मानसिकता में बदलाव आना शुरू हुआ. युद्ध की शुरुआत के कुछ दिनों बाद ही चांसलर ओलाफ शुल्त्ज के अध्याय बदलने वालेसंबोधन ने सैन्य शक्ति को लेकर जर्मन संवेदनशीलता को बदल दिया है.
अपने पूर्ववर्तियों के विपरीत सुरक्षा वास्तविकता को लेकर पिस्टोरियुस के विचार काफी स्पष्ट हैं. विटमन कहते हैं कि उन्होंने चीजों को समझने में दिलचस्पी दिखाई है और सैन्य सहयोगियों की जरूरतों को सुनते हैं. वो कहते हैं, "मैं वास्तव में काफी आशावादी हूं और सोचता हूं कि पिस्टोरियुस ने आगे कदम बढ़ा दिया है.”
सद्भावना के बावजूद, विटमन कहते हैं कि वो परिणामों का इंतजार करेंगे और इससे पहले कि वो मिशन पूरा होने की घोषणा करें, वह सैनिकों से प्रतिक्रिया लेंगे.