पोप अमेरिटस बेनेडिक्ट सोलहवें को अंतिम विदाई
सदियों बाद ऐसा पहली बार हुआ जब एक वर्तमान पोप ने अपने पूर्ववर्ती का अंतिम संस्कार किया. पोप बेनेडिक्ट 600 सालों में रोमन कैथोलिक गिरजे के ऐसे पहले प्रमुख थे जिसने जीते जी पद छोड़ा.
पोप फ्रांसिस ने की अगुआई
पोप बेनेडिक्ट सोलहवें को 5 जनवरी को वेटिकन के सेंट पीटर्स बेसिलिका के गुंबद के नीचे दफनाया गया. सामूहिक प्रार्थना के लिए पहले उनके ताबूत को सेंट पीटर्स बेसिलिका से उठा कर स्क्वैयर पर लाया गया. इसके पहले एक विशाल सामूहिक प्रार्थना सभा का आयोजन हुआ जिसकी अगुआई पोप फ्रांसिस ने की.
दर्शनाभिलाषियों की भीड़
तीर्थयात्री, पर्यटक और रोम के लोग बड़ी संख्या में 5 जनवरी की भोर से ही वेटिकन के सेट पीटर्स स्क्वैयर पर जुटने लगे. अंतिम संस्कार के दिन 50,000 से अधिक लोग सेंट पीटर्स स्क्वैयर पर पहुंचे. इसके पहले तीन दिनों में दो लाख से भी ज्यादा लोगों ने उनके अंतिम दर्शन किए.
भारी सुरक्षा व्यवस्था
1,000 से भी अधिक पुलिस और सुरक्षाकर्मियों की निगरानी में दिवंगत पोप के अंतिम संस्कार का आयोजन हुआ. ऊंची प्राचीर पर शार्प शूटर तैनात थे और पूरे वेटिकन और आसपास के इलाके को नो-फ्लाई जोन घोषित कर दिया गया था.
95 की उम्र में लीं अंतिम सांसें
31 दिसंबर 2022 को वेटिकन की एक मोनेस्ट्री में पूर्व पोप बेनेडिक्ट 16वें ने 95 साल की उम्र में आखिरी सांस ली. पोप फ्रांसिस के संबोधन के बाद जर्मन भाषा में भी एक प्रार्थना की गई. योसेफ राट्सिंगर के तौर पर उनका जन्म 1927 में जर्मन प्रांत बवेरिया में हुआ था.
सादगी से चाहते थे अंतिम संस्कार
पोप बेनेडिक्ट ने अपना अंतिम संस्कार सादगी से करवाने की इच्छा जताई थी. उसका मान रखते हुए भी उन तमाम परंपराओं का निर्वहन किया गया जो पोप को शोभा देती हैं, जैसे तीन ताबूतों के साथ दफनाया जाना. साथ ही दफनाया गया वो सिक्का जो उनके कार्यकाल के दौरान वेटिकन में छापा गया था.
पोप के लिए तीन ताबूतों वाली परंपरा
तीन दिन बेसिलिका में दर्शन के लिए रखे जाने के बाद उनके पार्थिव शरीर को साइप्रस कॉफिन में रखा गया. इसमें उन्हें अंतिम यात्रा के लिए तैयार किया गया. उनके पोप के कार्यकाल का लेखाजोखा भी एक मेटल सिलिंडर में उनके साथ ही ताबूत में रखा गया.
जर्मन मूल के पहले पोप
पूर्व पोप मूल रूप से जर्मनी के बवेरिया के रहने वाले थे. उनके अंतिम संस्कार में हिस्सा लेने जर्मन राष्ट्रपति फ्रांक-वाल्टर श्टाइनमायर, चांसलर ओलाफ शॉल्त्स के अलावा बवेरिया के मुख्यमंत्री मार्कुस जोएडर की अगुआई में एक प्रतिनिधिमंडल वेटिकन पहुंचा. इसमें रोमन कैथोलिक चर्च के करीब 10 जर्मन बिशप भी शामिल हुए.
2013 में सार्वजनिक जीवन से बाहर हुए
युवावस्था में उन्होंने धर्मशास्त्र की पढ़ाई की और कुछ समय तक इसकी शिक्षा भी दी. सन 1977 में उन्हें म्यूनिख का आर्कबिशप नियुक्त किया गया और कुछ साल बाद उन्हें कार्डिनल बनाया गया. सन 2005 में उन्हें कैथोलिक गिरजे का पोप चुना गया. सन 2013 में स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए पोप बेनेडिक्ट ने अपना पद छोड़ दिया.
हमेशा के लिए सभी पूर्व पोपों का सानिध्य
सार्वजनिक शोक संस्कार के बाद उनके शरीर को बेसिलिका में वापस लाकर एक निजी समारोह हुआ. यहां इस ताबूत को जिंक के बने एक और ताबूत में डाला गया. और आखिर में इसे भी लकड़ी के बने एक बड़े ताबूत में रखा गया. उनके ताबूत को बेसिलिका में गुंबद के नीचे उस खास जगह रखा जाएगा जहां उनके पहले पोप रह चुके 90 से भी अधिक लोगों के ताबूत रखे गए हैं.
चर्च से यौन दुर्व्यवहार के पीड़ितों की गुहार
जर्मनी के एक समूह 'एकिगे टिश' ने पोप बेनेडिक्ट के अंतिम संस्कार में शामिल होने गए सरकारी प्रतिनिधिमंडल से मांग की है कि वे वेटिकन से यौन दुर्व्यवहार की शिकायतों पर ध्यान देने के लिए कहें. उनकी मांग है कि शिकायतों की स्वतंत्र जांच के लिए जरूरी सारे दस्तावेज और सबूत वेटिकन उन देशों की न्यायपालिका को उपलब्ध कराए जहां वे अपराध हुए हैं.