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फ्रांसःअबाया पहनकर स्कूल पहुंची लड़कियों को वापिस भेजा

५ सितम्बर २०२३

फ्रांस में स्कूल के पहले दिन अबाया पहने दर्जनों लड़कियों को घर वापस भेज दिया गया. यह लड़कियां इस मुस्लिम परिधान पर लगे प्रतिबंध का विरोध कर रही थीं.

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 फ्रांसीसी सरकार का कहना है कि अबाया उस धार्मिक मान्यता का प्रदर्शन है जिसे 2004 के कानून के तहत स्कूलों में प्रतिबंधित किया गया था.
फ्रांसीसी सरकार का कहना है कि अबाया उस धार्मिक मान्यता का प्रदर्शन है जिसे 2004 के कानून के तहत स्कूलों में प्रतिबंधित किया गया था.तस्वीर: Vallauri Nicola/dpa/picture alliance

आमतैर पर मुस्लिम औरतें पहनती हैं. यह परिधान पैर और हाथों को छोड़कर पुरे शरीर को ढंकता है. फ्रांसीसी सरकार ने पिछले महीने अबाया पहनने पर रोक लगाई थी.  सरकार का तर्क है कि यह परिधान उसके धर्मनिरपेक्षता के नियमों के खिलाफ है. शिक्षा मंत्री गैब्रिएल अत्ताल ने मंगलवार को फ्रांसीसी प्रसारक बीएफएम को बताया कि जब स्कूली छात्राओं ने अबाया हटाने से इंकार किया, तब उन्हें घर भेज दिया गया. सरकार का कहना है कि अबाया उस धार्मिक मान्यता का प्रदर्शन है जिसे 2004 के कानून के तहत स्कूलों मेंप्रतिबंधित किया गया था.पिछले महीने तक अबाया को कानून के तहत ग्रे जोन में किसी भी तरह के प्रतिबंध का सामना नहीं करना पड़ा था.

सोमवार को क्या हुआ?

शिक्षा मंत्री ने बीएफएम से बातचीत में कहा कि स्कूली सत्र के पहले दिन लगभग 300 लड़कियां अबाया पहनकर स्कूल पहुंचीं. इनमें से 67 ने परिधान को हटाने से इनकार किया जिसके बाद उन्हें घर भेज दिया गया. अटल ने कहा कि बहुमत पोशाक बदलने पर सहमत हो गया था. उन्होंने कहा कि जिन लड़कियों को घर भेजा गया, उन्हें उनके परिवारों के लिए को एक पत्र सौंपा गया. पत्र में कहा गया कि "धर्मनिरपेक्षता कोई बाधा नहीं है; बल्कि यह एक स्वतंत्रता है."

साथ ही मंत्री ने यह भी कहा कि अगर लड़कियां स्कूल में यह परिधान पहनने पर अड़ी रहीं तो एक "नया संवाद" होगा.

प्रतिबंध पर प्रतिक्रिया

मुस्लिमों का प्रतिनिधित्व करने वाले एक संगठन जिसका नाम है, एक्शन फॉर द राइट्स ऑफ मुस्लिम्स (एडीएम), ने राज्य अधिकारियों के खिलाफ शिकायतों के लिए स्टेट काउंसिल का आह्वान किया है. स्टेट काउंसिल फ्रांस की सर्वोच्च अदालत है. एडीएम ने अबाया प्रतिबंध और कौमस पर एक निषेधाज्ञा जारी करने की भी बात की है. कौमस अबाया का पुरुष पोशाक समकक्ष है. एडीएम के प्रस्ताव की जांच मंगलवार को होगी.

2004 के धर्मनिरपेक्षता कानून के तहत स्कूल में बड़े ईसाई क्रॉस, यहूदी किप्पा और इस्लामी हेडस्कार्फ पर पहले से ही प्रतिबंध है.
2004 के धर्मनिरपेक्षता कानून के तहत स्कूल में बड़े ईसाई क्रॉस, यहूदी किप्पा और इस्लामी हेडस्कार्फ पर पहले से ही प्रतिबंध है.तस्वीर: Frederic Speich/MAXPPP/dpa/picture alliance

फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन प्रतिबंध के बचाव में सामने आए हैं. उन्होंने कहा है कि फ्रांस में एक "अल्पसंख्यक" है जो "एक धर्म का अपहरण कर, गणतंत्र और धर्मनिरपेक्षता को चुनौती दे रहा है." तीन साल पहले हुई शिक्षक सैमुअल पैटी की नृशंस हत्या का हवाला देते हुए सोमवार शाम को उन्होंने कहा कि इस तरह के व्यवहार के "सबसे बुरे परिणाम" रहे हैं.

पैटी की हत्या एक 18 वर्षीय रूसी मुस्लिम शरणार्थी ने थी. पैटी की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर एक कक्षा में पैगंबर मोहम्मद के व्यंग्यचित्र दिखाने के लिए आलोचना की गई थी. इसके लिए उनके खिलाफ एक सोशल मीडिया अभियान भी चलाया गया, जिसके बाद उनकी हत्या कर दी गई. यूट्यूब चैनल ह्यूगोडिक्रिप्ट के एक इंटरव्यू में मैक्रॉन ने कहा, "हम ऐसे एक्ट नहीं कर सकते जैसे कि आतंकवादी हमला, सैमुअल पैटी की हत्या नहीं हुई. स्कूल को तटस्थ रहना चाहिए: मुझे नहीं पता कि आपका धर्म क्या है; आप नहीं जानते कि मेरा क्या है." 2004 के धर्मनिरपेक्षता कानून के तहत स्कूल में बड़े ईसाई क्रॉस, यहूदी किप्पा और इस्लामी हेडस्कार्फ पर पहले से ही प्रतिबंध है.

एसबी/एचवी (एएफपी)

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