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राजनीतिनाइजर

नाइजर में फ्रेंच दूतावास पर हमला, भीड़ ने लहराए रूसी झंडे

३१ जुलाई २०२३

नाइजर की राजधानी नियामे में 30 जुलाई को हजारों लोगों की भीड़ ने फ्रांसिसी दूतावास के एक दरवाजे में आग लगा दी. भीड़, नाइजर में हुए हालिया तख्तापलट का समर्थन कर रही थी. प्रदर्शन के दौरान रूसी झंडे भी लहराए गए.

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नेशनल असेंबली के सामने सैन्य शासन के समर्थन में नाइजर का झंडा फहराते समर्थक
नाइजर में निर्वाचित राष्ट्रपति मोहम्मद बौजाम, सेना की कैद में हैं. अफ्रीकी और पश्चिमी देशों ने राष्ट्रपति को तत्काल रिहा किए जाने की मांग की है. 30 जुलाई को फ्रेंच दूतावास पर हुए हमले ने नाइजर के घटनाक्रम पर चिंता और बढ़ा दी है. तस्वीर: AFP/Getty Images

खबरों के मुताबिक, भीड़ में शामिल लोगों के पास ऐसे पोस्टर और तख्तियां भी थीं, जिनपर फ्रांस विरोधी नारे लिखे थे. नाइजर, फ्रांस की कॉलोनी रहा है. यहां प्रदर्शनकारी फ्रांस से नाराज हैं. वे रूस को ताकतवर विकल्प मानते हैं. इसी क्रम में प्रदर्शनकारियों ने रूस के झंडे फहराए और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के लिए समर्थन जताया.

माक्रों ने दी चेतावनी

फ्रांसिसी राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों ने घटना पर दी गई प्रतिक्रिया में कहा कि फ्रांस और उसके हितों पर हमला बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और फ्रांसिसी नागरिकों पर हमला करने वालों को तत्काल जवाब मिलेगा. उधर ईयू ने कहा है कि वह नाइजर में बलपूर्वक सरकार हटाने वालों को नागरिकों, राजनयिकों-दूतावास कर्मचारियों और दूतावासों पर हमलों के लिए जिम्मेदार मानेगा.

फ्रांस और ईयू, निर्वाचित राष्ट्रपति मोहम्मद बौजाम को तत्काल रिहा करने की मांग करते हुए पहले ही नाइजर के साथ सुरक्षा सहयोग और आर्थिक मदद स्थगित कर चुके हैं. उधर नाइजर के सैन्य शासन ने फ्रांस पर आरोप लगाया है कि वह पद से हटाए गए राष्ट्रपति बौजाम को बहाल करने के लिए सैन्य हस्तक्षेप करना चाहता है.

फ्रेंच दूतावास से ली गई एक तख्ती थामे प्रदर्शनकारी
फ्रेंच दूतावास के बाहर जमा प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए आंसू गैस का इस्तेमाल किया गया. तस्वीर: AFP/Getty Images

तख्तापलट से कई देशों में चिंता

नाइजर 1960 तक फ्रांस की कॉलोनी रहा है. अफ्रीका के साहेल इलाके में इस्लामिक आतंकवादियों से जारी संघर्ष में नाइजर को पश्चिमी देशों का आखिरी भरोसेमंद सहयोगी माना जाता रहा है. यहां फ्रांस के करीब 1,500 सैनिक मौजूद हैं, जो नाइजरों के साथ साझा सैन्य कार्रवाई करते हैं.

इसके अलावा अमेरिका और यूरोपीय देशों ने नाइजर के सैनिकों को प्रशिक्षित करने में भी मदद की है. नाइजर को बतौर सैन्य सहायता पश्चिमी देशों से बड़ी आर्थिक मदद भी मिलती रही है. ऐसे में 26 जुलाई को नाइजर सेना के तख्तापलट की घोषणा से ना केवल क्षेत्रीय सहयोगी, बल्कि अमेरिका और यूरोपीय देश भी बहुत चिंता में हैं.

रूस का मर्सिनरी ग्रुप वागनर, पड़ोसी देश माली में सक्रिय है. राष्ट्रपति पुतिन के नेतृत्व में रूस ने पश्चिमी अफ्रीका में अपना प्रभाव भी बढ़ाया है. नाइजर मॉस्को के साथ संबंध बढ़ाना चाहता है या फिर वह पारपंरिक पश्चिमी सहयोगियों के साथ पुराने संबंध बरकरार रखेगा, इस बारे में नए सैन्य शासन के नेताओं ने अभी कुछ नहीं कहा है.

फ्रेंच दूतावास के सामने जमा हुए प्रदर्शनकारी नाइजर सेना के पक्ष में नारेबाजी करते हुए
सैन्य शासन ने आरोप लगाया है कि पश्चिमी देश के एक दूतावास ने तख्तापलट समर्थकों पर आंसू गैस चलाए. इस घटना में जख्मी हुए छह लोगों को अस्पताल में भर्ती करना पड़ा. तस्वीर: AFP/Getty Images

अफ्रीकी देशों ने दिया अल्टीमेटम

30 जुलाई को इस घटनाक्रम पर पश्चिमी अफ्रीकी ब्लॉक "इकॉनमिक कम्युनिटी ऑफ वेस्ट अफ्रीकन स्टेट्स" (ईसीओडब्ल्यूएएस) ने एक आपातकालीन बैठक बुलाई और नाइजर से रिश्ते सस्पेंड कर दिए.

ब्लॉक ने राष्ट्रपति मोहम्मद बाजौम को वापस बहाल करने के लिए एक हफ्ते की समयसीमा दी है. उसने कहा है कि ऐसा ना होने पर वह बल प्रयोग की संभावना को खारिज नहीं करता है. अफ्रीकन यूनियन ने भी नाइजर की सैन्य सत्ता को 15 दिन में लोकतांत्रिक प्रक्रिया से चुनी गई सरकार वापस बहाल करने का अल्टीमेटम दिया हुआ है.

फ्रांस के बिस्त्रो चाहते हैं यूनेस्को से संरक्षण

एसएम/सीके (एपी, एफपी)