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पूर्व चांसलर ने भी यूक्रेन को मिसाइल न देने का समर्थन किया

१९ मार्च २०२४

यूक्रेन को अगर एक खास जर्मन मिसाइल मिल जाए तो वह रूस के भीतर तक मार कर सकता है. लेकिन जर्मनी को डर है कि ये मिसाइलें रूस के साथ बड़ा युद्ध न भड़का दें.

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टॉरस क्रूज मिसाइल
तस्वीर: South Korean Defense Ministry/Getty Images

यूक्रेन युद्ध की शुरुआत से ही जर्मनी के चांसलर ओलाफ शॉल्त्स एक उहापोह में फंस गए. कीव की मदद करने वाले देश, जर्मनी पर यूक्रेन को अहम हथियार देने का दवाब डालने लगे. अमेरिकी और यूरोपीय देशों के दबाव में जर्मनी ने यूक्रेन को लेपर्ड टैंक दिए. कीव को रूसी हवाई हमलों से बचाने के लिए बर्लिन ने पैट्रियट एयर डिफेंस सिस्टम भी दिया. बख्तरबंद गाड़ियां, गोला बारूद, हेलिकॉप्टर और सर्विलांस रडार, यह लिस्ट बड़ी लंबी है. इसके साथ ही वित्तीय मदद भी दी गई.

ऐसी मदद करने वाला जर्मनी अकेला देश नहीं है. अमेरिका, पोलैंड, फ्रांस, ब्रिटेन, स्वीडन, बेल्जियम, कनाडा और चेक गणराज्य समेत कई देशों ने यूक्रेन की सैन्य और आर्थिक मदद की है. लेकिन दो साल से जारी जंग के बाद अब सहयोगी देश के नेता भी एक थकान सी महसूस करने लगे हैं. यूक्रेन के सैन्य अभियान की कुशलता पर सवाल उठाए जाने लगे हैं.

जेलेंस्की से नाराज पोलैंड यूक्रेन को और हथियार नहीं देगा

हाल के महीनों में यूक्रेन के भीतर घुसी रूस सेना अपनी स्थिति और मजबूत करने लगी है.

यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की का कहना है कि रूस लंबी दूरी की मिसाइलों से उस पर हमला कर रहा है. इनका जवाब देने के लिए, उनके पास बहुत ही सटीक तरीके से लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइलें नहीं हैं. हालांकि ब्रिटेन, फ्रांस और अमेरिका ने यूक्रेन के लंबी दूरी की मिसाइलें दी हैं, लेकिन जेलेस्की, जर्मन मेड टॉरस क्रूज मिसाइलें मांग रहे हैं.

लड़ाकू विमान में लगी टॉरस मिसाइल
लड़ाकू विमान में लगी टॉरस मिसाइलतस्वीर: MBDA Deutschand/abaca/picture alliance

क्यों खास है टॉरस क्रूज मिसाइल

पांच मीटर लंबी टॉरस KEPD-350 मिसाइल, करीब 500 किलोमीटर की रेंज तक सटीक मार कर सकती है. करीबन ध्वनि की रफ्तार से आगे बढ़ने वाली ये मिसाइल करीब 400 किलोग्राम भारी विस्फोटक ले जा सकती हैं और लड़ाकू विमान से फायर की जाती हैं.

टॉरस, चार अलग अलग नेविगेशन सिस्टमों के सहारे रास्ता तय करती है. सैटेलाइट सपोर्टेड जीपीएस सिस्टम के कारण, इस मिसाइल का जाम करने बहुत मुश्किल है. उड़ान के दौरान, क्रूज मिसाइल इमेज सेंसर से, पुलों, नदियों, चौराहों को पहचाते हुए सही रास्ते पर बनी रहती है. मिसाइल इलाके को स्कैन करते हुए, स्टोर्ड डाटा से लगातार उसकी तुलना करती है.

फिलहाल जर्मन वायु सेना, "हाई वैल्यू टारगेट" को निशान बनाने के लिए टॉरस मिसाइलों का इस्तेमाल करती है. मिसाइल, बैंकरों और कंक्रीट की मोटी दीवारों को भी भेद सकती है.

जर्मन सरकार में शामिल पार्टी एफडीपी यूक्रेन को टॉरस मिसाइल देने के पक्ष में
जर्मन सरकार में शामिल पार्टी एफडीपी यूक्रेन को टॉरस मिसाइल देने के पक्ष मेंतस्वीर: Sean Gallup/Getty Images

शॉल्त्स को श्रोएडर का समर्थन

जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स यूक्रेन को ये मिसाइलें देने से इनकार कर रहे हैं. शॉल्त्स को लगता है कि इनकी डिलिवरी से जर्मनी और रूस सीधे टकराव के रास्ते पर आएंगे. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी बीच बीच में पश्चिम के साथ परमाणु युद्ध की चेतावनी देते रहते हैं.

जमीन के साथ जारी इस रणनैतिक और मनोवैज्ञानिक युद्ध में जर्मनी के पूर्व चांसलर गेरहार्ड श्रोएडर ने ओलाफ शॉल्त्स के फैसले का समर्थन किया है. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर के घनिष्ठ मित्र माने जाने वाले श्रोएडर ने जर्मन समाचार एजेंसी डीपीए से कहा, "मुझे लगता है कि ओलाफ शॉल्त्स वही कर रहे है, जिसकी अभी मुझे एक जर्मन चांसलर से उम्मीद है."

1998 से 2005 तक जर्मनी के चांसलर रहे श्रोएडर रूसी सरकारी ऊर्जा कंपनी गाजप्रोम के डायरेक्टर बोर्ड में भी रह चुके हैं. फरवरी 2022 में यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद, जर्मनी में श्रोएडर की खूब आलोचना हुई. लेकिन वह अब भी कह रहे हैं कि यूक्रेन में शांति के लिए फ्रांस और जर्मनी को मध्यस्थता की पहल करनी चाहिए. पूर्व चांसलर ने कहा, "अगर कोई जर्मन चांसलर शांति के प्रति वचनबद्ध हो, अगर किसी को शांतिपरक चांसलर कहा जाए, तो क्या यह नाकारात्मक बात है?"

ओएसजे/आरपी (डीपीए, एएफपी)

जर्मनी यूक्रेन को टॉरस मिसाइल क्यों नहीं देना चाहता