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समाज

भारत में आज किसानों का बंद

२७ सितम्बर २०२१

कृषि कानून के विरोध में सोमवार को संयुक्त किसान मोर्चा ने भारत बंद बुलाया. दिल्ली-एनसीआर में बंद को लेकर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. दिल्ली की सीमाओं पर बंद के कारण लोगों को असुविधा झेलनी पड़ रही है.

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फाइल तस्वीरतस्वीर: Adnan Abidi/REUTERS

केंद्रीय कृषि कानूनों को खत्म करने की मांग को लेकर देशव्यापी आह्वान के बाद सोमवार को सैकड़ों किसानों ने दिल्ली को हरियाणा और पंजाब के कुछ हिस्सों से जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग 1 समेत प्रमुख राजमार्गों को बंद किया. संयुक्त किसान मोर्चा के 40 संगठनों के साथ-साथ कई राजनीतिक पार्टियों ने बंद का समर्थन किया है.

आंदोलन कर रहे किसानों ने सोमवार सुबह 6 बजे से लेकर शाम 4 बजे तक बंद को सफल बनाने के लिए पिछले कई दिनों से तैयारी शुरू कर दी थी. इसका असर सोमवार सुबह दिखा भी. दिल्ली के पास बॉर्डर पर लंबा जाम लग गया और सप्ताह के पहले दिन दफ्तर जाने वालों को काफी परेशानी हुई.

किसान संगठनों का कहना है कि भारत बंद को शांतिपूर्ण तरीके से लागू करवाया जाएगा. संयुक्त किसान मोर्चा ने एक बयान में कहा कि आपात सेवा को बंद के दौरान नहीं रोका जाएगा. आपात प्रतिष्ठानों, अस्पतालों, दवा की दुकानों, एंबुलेंस, राहत और बचाव कार्य और निजी इमरेजेंसी सेवा पर कोई रोक नहीं रहेगी.

राजनीतिक पार्टियों का समर्थन

कृषि कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों ने सभी लोगों से इस बंद का समर्थन करने का भी आग्रह किया. राजनीतिक दलों ने इस बंद का समर्थन किया है. कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल, समाजवादी पार्टी, बीएसपी, टीएमसी, आम आदमी पार्टी, वाईएसआर कांग्रेस और वामदलों ने बंद का समर्थन किया है.

कांग्रेस ने अपने कार्यकर्ताओं, प्रदेश इकाई प्रमुखों और पार्टी से जुड़े संगठनों के प्रमुखों से इस बंद में शामिल होने को कहा है. बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने रविवार को किसानों के भारत बंद समर्थन किया. उन्होंने ट्वीट कर कहा, "केंद्र द्वारा जल्दबाजी में बनाए गए तीन कृषि कानूनों से असहमत व दुखी देश के किसान इनकी वापसी की मांग को लेकर लगभग 10 महीने से पूरे देश और खासकर दिल्ली के आसपास के राज्यों में तीव्र आंदोलित हैं."

उन्होंने आगे लिखा, "केंद्र सरकार से भी अपील है कि किसान समाज के प्रति उचित सहानुभूति व संवेदनशीलता दिखाते हुए तीनों विवादित कृषि कानूनों को वापस ले, आगे उचित सलाह-मश्विरा और इनकी सहमति से नया कानून लाए ताकि इस समस्या का समाधान हो."

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने रविवार को कहा कि वह भारत बंद का समर्थन नहीं करेंगी लेकिन किसानों के मुद्दे पर उनके साथ हैं. भवानीपुर विधानसभा उपचुनाव को लेकर अभियान के दौरान उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ी तो वह किसानों का समर्थन करने के लिए पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश जाएंगी.

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ट्वीट कर बंद का समर्थन किया है. उन्होंने लिखा, "संयुक्त किसान मोर्चा के भारत बंद को एसपी का पूर्ण समर्थन है. देश के अन्नदाता का मान न करनेवाली दंभी बीजेपी सत्ता में बने रहने का नैतिक अधिकार खो चुकी है. किसान आंदोलन भाजपा के अंदर टूट का कारण बनने लगा है."

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने किसानों के आंदोलन को अहिंसक सत्याग्रह बताया. उन्होंने लिखा, "किसानों का अहिंसक सत्याग्रह आज भी अखंड है, लेकिन शोषण-कार सरकार को ये नहीं पसंद है. इसलिए #आजभारतबंद_है."

अड़े हैं किसान

भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि वे अपनी मांगों से पीछे हटने वाले नहीं हैं. उन्होंने पत्रकारों से कहा, "कृषि मंत्री कह रहे हैं कि बातचीत के लिए आएं. हम कृषि मंत्री से कहना चाहते हैं कि सरकार हमें समय और जगह बताएं. ये सिर्फ बोलने के लिए कहते हैं कि बातचीत के लिए आएं."

इस बीच कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों से अपील की है कि वे आंदोलन का रास्ता छोड़कर बातचीत का रास्ता अपनाएं. तोमर ने कहा कि किसानों की बताई गई आपत्तियों पर पहले भी कई बार बात हो चुकी है, लेकिन फिर भी उनकी कोई बात बची है तो सरकार बातचीत के लिए तैयार है.

पिछले 10 महीनों से किसान तीन नए कृषि कानून को वापस लेने की मांग पर आंदोलन कर रहे हैं. किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच कई दौर की वार्ता हो चुकी है.

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