1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

अफ्रीकियों को सबसे कम मिलता है यूरोप का वीजाः रिपोर्ट

१४ जून २०२४

अफ्रीकी लोगों के लिए यूरोप का वीजा सबसे ज्यादा मुश्किल है. इसके मुकाबले भारतीयों और तुर्की के लोगों के वीजा कम खारिज होते हैं.

https://p.dw.com/p/4h15e
यूरोप आने की चाह में लाइन में लगे ट्यूनिशिया के लोग
अफ्रीका के लोगों के लिए बहुत मुश्किल है यूरोप का वीजा पानातस्वीर: Ferhi Belaid/AFP/Getty Images

29 साल के नाबिल टाबारूट का वीजा फ्रांस से दो बार खारिज हो चुका है. अल्जीरिया के रहने वाले वेब डिवेलपर टाबारूट की बहन फ्रांस में रहती है और वह उससे मिलने जाना चाहते हैं. लेकिन उनकी यह इच्छा पूरी नहीं हो पा रही है.

नाबिल टाबारूट जैसे लोगों की बहुत बड़ी तादाद है जिनकी यूरोपीय संघ किसी देश के लिए वीजा अर्जी खारिज हो चुकी है. ये लोग कहते हैं कि शेनेगन क्षेत्र के देशों का वीजा पाना लगभग नामुमकिन है. अक्सर एप्लिकेशन के लिए अपॉइंटमेंट्स मिलना ही सबसे बड़ी चुनौती होती है. उसके बाद उन्हें एक निश्चित बैंक बैलेंस दिखाना होता है और यह भी साबित करना होता है कि यूरोप घूमकर वे स्वदेश लौट जाएंगे.

पहले एक बार फ्रांस जा चुके टाबारूट कहते हैं, "अब, यही सच्चाई है. हर खुशी के लिए कुछ दर्द तो सहना ही पड़ता है.”

सबसे ज्यादा अफ्रीकियों के वीजा खारिज

यूरोपीय संघ में आप्रवासन एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा है जिस पर लगातार बहस और विवाद होता रहता है. लेकिन यह बहस गैरकानूनी तरीकों से आने वाले लोगों पर ही केंद्रित है. वे लोग इस बहस में शामिल नहीं हैं जो कानूनन यूरोप आना चाहते हैं. इन लोगों को यही बात परेशान करती है कि नियमों का पालन करने के बावजूद वे ऐसा नहीं कर पाते.

ब्रिटेन की माइग्रेशन कंसल्टेंसी कंपनी हेनली एंड पार्टनर्स ने अप्रैल में एक रिपोर्ट में कहा था कि अफ्रीकी लोगों के लिए वीजा खारिज होने की दर बाकी दुनिया के मुकाबले दस फीसदी ज्यादा है. इसका असर व्यापार, उद्योगों और शिक्षा के क्षेत्रों पर भी पड़ता है और इससे अफ्रीकी अर्थव्यवस्था भी नुकसान उठाती है. इस रिपोर्ट में सिफारिश की गई थी कि शेनेगेन देशों को इस भेदभावपूर्ण व्यवहार के खिलाफ कदम उठाने चाहिए.

एक अध्ययन के मुताबिक अफ्रीका में भी सबसे ज्यादा वीजा अल्जीरिया से खारिज होते हैं. 2022 में वहां की तीन लाख 92 हजार वीजा अर्जियां खारिज हुईं जो कुल अर्जियों का 45.8 फीसदी था. उसके बाद गिनी बसाऊ का नंबर था जहां से 45.2 फीसदी अर्जियां खारिज हुईं. तीसरे नंबर पर नाइजीरिया था, जहां खारिज होने की दर 45.1 फीसदी थी.

यह संख्या कितनी बड़ी है, इसका अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि अमेरिका से सिर्फ 25 वीजा अर्जी खारिज हुईं. अध्ययन में पाया गया कि गरीब देशों से अर्जियां खारिज होने की दर ज्यादा थी. हालांकि तुर्की और भारत से कम ही एप्लिकेशन खारिज की गईं. भारतीयों के लिए तो पिछले सालों में यूरोप जाना आसान हुआहै.

वीजा खारिज करने की राजनीतिक है वजहें

यूरोपीयन यूनिवर्सिटी के माइग्रेशन पॉलिसी सेंटर की मेहारी टाडेले मारू ने यह अध्ययन किया है. वह कहते हैं कि अफ्रीका विरोधी रवैये की वजह राजनीतिक है क्योंकि वीजा खारिज करना यूरोपीय सरकारों का एक हथियार है जिसे वे गैरकानूनी रूप से आए लोगों को वापस भेजने के लिए अपनी शर्तें मनवाने के वास्ते इस्तेमाल करती हैं.

उत्तर अफ्रीकी सरकारें इन लोगों को वापस लेने से इनकार करती रही हैं. जो लोग डिपोर्ट किए जाने हैं, उत्तर अफ्रीकी सरकारें उनके दस्तावेज देने में आनाकानी करती हैं.

उत्तर अफ्रीकी देशों और खासकर अल्जीरिया के लिए फ्रांस व अन्य यूरोपीय देशों के वीजा का मुद्दा एक पुराना राजनीतिक मुद्दा है. हाल ही में अल्जीरिया में फ्रांस की राजदूत स्टेफनी रामोटेट ने एक सम्मेलन में कहा, "फ्रांस, यूरोप और अल्जीरिया के बीच बढ़ते व्यापार में जो भी योगदान हो सकता है, वह दोनों तरफ से होना चाहिए. जो अल्जीरियाई व्यापार बढ़ाने के लिए फ्रांस जाना चाहते हैं उन्हें सभी सुविधाओं का लाभ मिलना चाहिए, खासकर वीजा सेवाओं का.”

एक इंटरव्यू में मारू ने कहा कि अन्य देशों के मुकाबले अल्जीरिया में रिजेक्शन की दर इतनी ज्यादा होने की वजहें भोगौलिक, आर्थिक और ऐतिहासिक हैं. अल्जीरिया फ्रांस का उपनिवेश रहा है. बहुत से अल्जीरियाई फ्रांस का वीजा अप्लाई करते हैं क्योंकि वे फ्रेंच भाषा जानते हैं और वहां से उनके पारिवारिक संबंध भी हैं.

मारू कहते हैं कि उत्तर अफ्रीका से नजदीक होने के कारण वहां से यूरोपीय देशों को जाना काफी सस्ता है, इसलिए भी इस इलाके के लोग ज्यादा संख्या में वीजा अप्लाई करते हैं. यूं भी, यूरोप आप्रवासियों के लिए एक अहम मंजिल रहा है.

मारू मानते हैं कि अफ्रीकी देशों के लिए वीजा अप्लाई करना भी मुश्किल बनाया गया है और यूरोपीय सरकारों ने ऐसा जानबूझकर किया है. वह बताते हैं, "जब हम वीजा अप्लाई करने वाले संभावितों के सामने बाधाओं की बात करते हैं तो सिर्फ एप्लिकेशन रिजेक्ट हो जाना ही समस्या नहीं है. वीजा अप्लाई करने में भी बहुत सी बाधाएं हैं.”

वीजा माफिया का दबदबा

अब फ्रांस जैसे कई यूरोपीय देशों की वीजा सेवाओं के प्रबंधन का ठेका अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काम करने वाली कंपनी वीएफएस को मिल गया है. हालांकि इस कंपनी को फ्रांस ने तब काम सौंपा जब अल्जीरिया में ‘वीजा माफिया' को लेकर बड़े पैमाने पर शिकायतें आने लगी थीं.

लेकिन वीएफएस के आने से भी टाराबूट जैसे लोगों की समस्याएं कम नहीं हुई हैं. वीजा एप्लिकेशन के लिए अपॉइंटमेंट लेनी होती है और उसके निश्चित स्लॉट होते हैं. लोग शिकायत करते हैं कि ये स्लॉट वीजा एजेंट बुक कर लेते हैं और फिर वे आम लोगों को बेचे जाते हैं.

हाल ही में अपनी बेटी के लिए फ्रांस में स्टूडेंट वीजा अप्लाई करने वाले अली चलाई कहते हैं, "कुछ ठग हैं जो कई साल से यही धंधा कर रहे हैं. उन्होंने गरीबों से खूब पैसा कमाया है क्योंकि वीजा अप्लाई करने के लिए वे बड़ी रकम ऐंठते हैं.”

अल्जीरिया के बहुत से लोग हैं जो फ्रांस में उपलब्ध मौकों का लाभ उठाना चाहते हैं. इनमें से बहुत से लोग फ्रांस के शिक्षण संस्थानों में पढ़ने जाते हैं और फिर कोशिश करते हैं कि स्थायी नागरिकता मिल जाए. 2023 में फ्रांस के डायरेक्टरेट जनरल ऑफ फॉरेन नेशनल्स ने एक रिपोर्ट में कहा था कि 78 फीसदी अल्जीरियाई छात्रों ने माना कि उनकी ‘पढ़ाई के बाद वापस स्वदेश जाने की कोई मंशा नहीं है.'

वीके/एए (एपी)

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें