उत्सर्जन में कमी कर बचाई जा सकती हैं जानें
७ अप्रैल २०२३एक नए वैज्ञानिक अध्ययन के मुताबिक जलवायु परिवर्तन को सीमित करने के वैश्विक लक्ष्यों को पूरा करने से मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका में गर्मी से होने वाली लाखों मौतों को रोका जा सकता है. जर्नल 'द लांसेट प्लैनेटरी हेल्थ' में प्रकाशित शोध में पाया गया कि औसत वैश्विक तापमान में वृद्धि को दो डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के लिए कार्बन उत्सर्जन को कम करने से क्षेत्र में गर्मी से होने वाली मौतें 80 प्रतिशत कम हो जाएंगी.
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गर्मी से होंगी इतनी मौतें!
गर्मी के खतरे पर क्षेत्रीय ध्यान तब आता है जब दुबई नवंबर में संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन कोप28 की मेजबानी करने की तैयारी कर रहा है. दुनिया के कई देशों ने पेरिस जलवायु समझौते के तहत ग्लोबल वॉर्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने का संकल्प लिया है, जिसके तहत कम कार्बन ऊर्जा स्रोतों में बदलाव के प्रयासों को गति देना है.
लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन के विशेषज्ञों के नेतृत्व में किए गए शोध के मुताबिक कटौती के बिना उच्चतम उत्सर्जन परिदृश्य में इस सदी के अंत तक क्षेत्र में प्रति 1,00,000 पर लगभग 123 लोग गर्मी से संबंधित कारणों से प्रति वर्ष मारे जाएंगे.
ईरान में मृत्यु का जोखिम अधिक
यह वर्तमान में तापमानसे जुड़ी मृत्यु दर से 60 गुना अधिक और दुनिया के अन्य क्षेत्रों की तुलना में कहीं ज्यादा होगी. विश्लेषण किए गए 19 देशों में से ईरान में उच्च उत्सर्जन परिदृश्य के तहत उच्चतम वार्षिक मृत्यु दर होने की आशंका है. यह दर प्रति वर्ष प्रति एक लाख जनसंख्या पर 423 हो सकती है.
अध्ययन के प्रमुख लेखकों में से एक शकूर हाजत ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया कि ईरान के कुछ हिस्सों में बहुत अधिक तापमान का अनुभव होने की संभावना है.
हाजत ने कहा कि दो डिग्री सेल्सियस के लक्ष्य को पूरा करने में विफल रहने से स्वास्थ्य पर "विनाशकारी" प्रभाव पड़ेगा." उनके मुताबिक क्षेत्र के अन्य देशों के मुकाबले वहां लोग ज्यादा तेजी से बूढ़े होंगे.
हाजत ने कहा, "क्षेत्र के देशों को अपने नागरिकों को अत्यधिक गर्मी के खतरों से बचाने के लिए एयर कंडीशनिंग और अन्य उपायों को अपनाने की आवश्यकता है."
उन्होंने कहा कि सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों जैसे कि राष्ट्रीय गर्मी रोकथाम योजना और हीट अलर्ट सिस्टम को पेश किया जा सकता है. हाजत ने कहा, "यूरोप, उत्तरी अमेरिका और एशिया के कुछ हिस्सों में यह प्रणाली आम है लेकिन मध्य पूर्व में नहीं है."
एए/वीके (एएफपी)