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चुनावी बॉन्ड: राजनीतिक दलों की फंडिंग करने वाले कौन

१५ मार्च २०२४

भारत के निर्वाचन आयोग ने गुरुवार को अपनी वेबसाइट पर चुनावी बॉन्ड के आंकड़े सार्वजनिक कर दिए. देश की बड़ी कंपनियों के अलावा ऐसी कई छोटी कंपनियों ने इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे जिनका नाम कम ही सुना गया है.

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इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी जारी की गई
इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी जारी की गईतस्वीर: Indranil Aditya/NurPhoto/picture alliance

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद निर्वाचन आयोग ने चुनावी बॉन्ड से जुड़ी जानकारी अपनी वेबसाइट पर डाल दी है. कोर्ट ने यह जानकारी साझा करने के लिए आयोग को 15 मार्च तक की समय सीमा दी थी, आयोग ने एक दिन पहले ही जानकारी साझा की है. यह जानकारी भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) द्वारा दी गई है. बैंक ने ही चुनावी बॉन्ड जारी किए थे.

चुनाव आयोग की वेबसाइट पर दो लिस्ट हैं. पहली सूची में उन कंपनियों के नाम हैं जिन्होंने मूल्य और तारीखों के साथ चुनावी बॉन्ड खरीदे. दूसरी लिस्ट में राजनीतिक दलों के नाम के साथ-साथ बॉन्ड के मूल्य और उन्हें भुनाए जाने की तारीखें शामिल हैं.

चुनावी बॉन्ड खरीदने वाले कौन

अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी एक रिपोर्ट में लिखा है कि 2019 और 2024 के बीच राजनीतिक दलों को शीर्ष पांच चुनावी बॉन्ड डोनर्स में से तीन ऐसी कंपनियां हैं जिन्होंने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और आयकर जांच का सामना करने के बावजूद बॉन्ड खरीदे हैं.

इनमें लॉटरी कंपनी फ्यूचर गेमिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी मेघा इंजीनियरिंग और खनन दिग्गज कंपनी वेदांता शामिल हैं. चुनाव आयोग की ओर से जारी डाटा के मुताबिक चुनावी बॉन्ड का नंबर 1 खरीदार सैंटियागो मार्टिन द्वारा संचालित फ्यूचर गेमिंग एंड होटल्स प्राइवेट लिमिटेड है. इस लॉटरी कंपनी ने 2019 से 2024 के बीच 1,368 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे हैं.

चुनावी बॉन्ड के विवादित खरीदार

अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक ईडी ने 2019 की शुरुआत में फ्यूचर गेमिंग के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग जांच शुरू की थी. उस साल जुलाई तक उसने कंपनी से संबंधित 250 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति जब्त कर ली थी. 2 अप्रैल, 2022 को ईडी ने मामले में 409.92 करोड़ रुपये की चल संपत्ति कुर्क की थी.

इन संपत्तियों की कुर्की के पांच दिन बाद 7 अप्रैल को फ्यूचर गेमिंग ने 100 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे. कथित तौर पर फ्यूचर गेमिंग के मालिक दक्षिण भारत के "लॉटरी किंग" सैंटियागो मार्टिन हैं. रिपोर्टों के मुताबिक उन्होंने लॉटरी का कारोबार 13 साल की उम्र में शुरू किया था.

ईडी के मुताबिक मार्टिन और अन्य ने लॉटरी विनियमन अधिनियम, 1998 के प्रावधानों का उल्लंघन करने और सिक्किम सरकार को धोखा देकर गलत लाभ प्राप्त करने के लिए एक आपराधिक साजिश रची थी.

दूसरे नंबर पर कौन

बांध और बिजली प्रोजेक्ट्स बनाने वाली कंपनी मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (एमईआईएल) ने साल 2019 और 2024 के बीच 1,000 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे हैं. यह कंपनी हैदराबाद में स्थित है और इसके मालिक हैं कृष्णा रेड्डी.

मेघा इंजीनियरिंग तेलंगाना सरकार की प्रमुख परियोजनाओं में शामिल है जिसमें कालेश्वरम बांध परियोजना भी शामिल है. कंपनी जोजिला सुरंग और पोलावरम बांध का भी निर्माण कर रही है.

अक्टूबर 2019 में आयकर विभाग ने कंपनी के दफ्तरों पर छापेमारी की थी. इसके बाद प्रवर्तन निदेशालय की ओर से भी जांच शुरू की गई. संयोग से उसी साल 12 अप्रैल को एमईआईएल ने 50 करोड़ रुपये के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे थे.

अनिल अग्रवाल का वेदांता समूह पांचवां सबसे बड़ा दानकर्ता है, जिसने 376 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे हैं, जिसकी पहली किश्त अप्रैल 2019 में खरीदी गई थी.

गौरतलब है 2018 के मध्य में ईडी ने दावा किया था कि उसके पास वीजा के बदले रिश्वत मामले में वेदांता समूह की कथित संलिप्तता से संबंधित सबूत हैं, इस मामले में आरोप है कुछ चीनी नागरिकों को नियमों को कथित रूप से तोड़कर वीजा दिया गया था.

जिंदल स्टील एंड पावर भी शीर्ष 15 दानदाताओं में से एक है, कंपनी ने इस अवधि में बॉन्ड के माध्यम से 123 करोड़ रुपये का दान दिया है. जबकि कंपनी को कोयला ब्लॉक आवंटन मामले में केंद्रीय एजेंसियों द्वारा जांच का सामना करना पड़ा है. ईडी ने अप्रैल 2022 में विदेशी मुद्रा उल्लंघन के एक ताजा मामले के संबंध में कंपनी और उसके प्रमोटर नवीन जिंदल के परिसरों पर छापे मारे थे.

किस पार्टी ने भुनाए कितने रुपये के बॉन्ड

निर्वाचन आयोग द्वारा जारी चुनावी बॉन्ड के डाटा से पता चला है कि बीजेपी ने राजनीतिक दलों के बीच अब तक के सबसे अधिक बॉन्ड को भुनाया है. पिछले पांच वर्षों में राजनीतिक दलों द्वारा भुनाए गए 12,769 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड में से लगभग आधा सत्तारूढ़ बीजेपी को मिला और इसका एक तिहाई हिस्सा 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान आया.

यही नहीं बीजेपी ने 2024 के महत्वपूर्ण लोकसभा चुनावों से पहले इस साल जनवरी में 202 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड भुना भी लिए.

बॉन्ड से जुड़े डाटा के मुताबिक राजनीतिक दलों के बीच बीजेपी ने सबसे अधिक (कुल 6,060.52 करोड़ रुपये) के बॉन्ड भुनाए. इसके बाद टीएमसी को 1,609.53 करोड़ रुपये मिले. कांग्रेस के खाते में 1,421.87 करोड़ के बॉन्ड गए. बीआरएस को 1,214.71 करोड़ के बॉन्ड मिले और बीजेडी को 775.50 करोड़ रुपये बॉन्ड के जरिए मिले.

15 फरवरी 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड योजना पर रोक लगा दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यह योजना असंवैधानिक है. कोर्ट ने अपने फैसले में भारतीय स्टेट बैंक को 12 अप्रैल 2019 से खरीदे गए बॉन्ड की जानकारी निर्वाचन आयोग को सौंपने को कहा था. एसबीआई चुनावी बॉन्ड जारी करने के लिए अधिकृत संस्थान है.