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तीसरी लहर के लिए तैयार है भारत?

मुरली कृष्णन
१८ जून २०२१

विशेषज्ञों को डर है कि जिस रफ्तार से कोरोना के टीके लगाए जा रहे हैं और पाबंदियों में छूट दी जा रही है, ऐसी स्थिति में कोरोना वायरस के नए वैरिएंट से तीसरी लहर भी आ सकती है. भारत कितना तैयार है?

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भारत में दूसरी लहर के दौरान प्रतिदिन 400,000 से अधिक नए मामले दर्ज हो रहे थेतस्वीर: Tauseef Mustafa/AFP

विशेषज्ञों को डर है कि जिस रफ्तार से कोरोना के टीके लगाए जा रहे हैं और पाबंदियों में छूट दी जा रही है, ऐसी स्थिति में कोरोनावायरस के नए वैरिएंट से तीसरी लहर भी आ सकती है. भारत इस संभावित लहर से निपटने के लिए कितना तैयार है?

भारत में कोरोनावायरस संक्रमण के नए मामले कम हो रहे हैं. कोरोनावायरस की दूसरी लहर के दौरान अप्रैल और मई महीने में एक दिन में संक्रमण के नए मामलों की संख्या करीब चार लाख तक पहुंच गई थी. जून के इस हफ्ते में यह संख्या कम होकर एक दिन में करीब 70 हजार तक आ गई है. संक्रमण के नए मामले कम होने के साथ ही पूरे देश में लागू की गई पाबंदियों में छूट दी जा रही है. हालांकि, कोरोनावायरस महामारी का खतरा कम नहीं हुआ है. विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि कोरोनावायरस के प्रसार पर पूरी तरह नियंत्रण पाने के लिए देश को अभी लंबा सफर तय करना है. देश में टीकाकरण की रफ्तार काफी कम है. ऐसे में इस बात की संभावना जताई जा रही है कि कोरोनावायरस का नया वैरिएंट पैदा हो सकता है और फैल सकता है जो तीसरी लहर का कारण बन सकता है.

कोराना महामारी की दूसरी लहर के दौरान देश में बड़ी संख्या में लोगों की मौत हुई थी. पूरी स्वास्थ्य व्यवस्था ध्वस्त हो गई थी. लोगों को न तो अस्पताल में बेड मिल रहे थे और न ही ऑक्सीजन. दवाइयों की घोर किल्लत हो गई थी. समय पर बेड नहीं मिलने की वजह से कई लोगों की मौत हो गई थी. भारत अभी भी जिंदगी बचाने के लिए जरूरी ऑक्सीजन और दवाइयों की कमी से जूझ रहा है. मरीजों की इलाज के लिए अस्पताल में पर्याप्त बेड नहीं हैं. दूसरी लहर में हुई तबाही को देखते हुए, कई राज्यों ने आवश्यक उपकरण, दवाइयां, और आईसीयू बेड की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए अपनी स्वास्थ्य व्यवस्था के बुनियादी ढांचे का विस्तार करना शुरू कर दिया है.

बच्चों को बचाने के प्रयास

दूसरी लहर के दौरान दिल्ली में काफी संख्या में लोग संक्रमित हुए थे और उनकी मौत हुई थी. अब यहां पाबंदियों में ढील दी जा रही है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ऑनलाइन ब्रीफिंग के दौरान घोषणा की कि तीसरी लहर की संभावना को देखते हुए दिल्ली में बाल चिकित्सा कार्य बल और दो जीनोम अनुक्रमण प्रयोगशालाओं की स्थापना के साथ-साथ ऑक्सीजन क्षमता को भी बढ़ाया जाएगा. उन्होंने राज्य के लोगों से अपील की कि कोरोना संक्रमण से बचकर भी रहना है और अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर भी लाना है. इसलिए कोरोना से बचाव के लिए सभी एहतियात पूरी तरह से बरतें. मास्क पहनें, सोशल डिस्टेन्सिंग रखें और हाथ धोते रहें.

यह देखते हुए कि तीसरी लहर के दौरान बच्चों के संक्रमित होने की संभावना सबसे अधिक है, महाराष्ट्र ने कोविड 19 से प्रभावित होने पर बच्चों के इलाज के लिए उपलब्ध बिस्तरों की संख्या को 600 से बढ़ाकर 2,300 करने की योजना बनाई है. कोरोना की दूसरी लहर के दौरान सही तरीके से प्रबंधन करने को लेकर महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई की प्रशंसा की गई थी. हालांकि, तीसरी लहर की संभावना को देखते हुए यहां पहले से ही वेंटिलेटर, मॉनिटर, और चिकित्सा से जुड़े अन्य उपकरणों की खरीदारी हो रही है. मुंबई नगर आयुक्त इकबाल सिंह चहल ने डॉयचे वेले से बात करते हुए कहा, "हम पूरी तरह से तैयार हैं. हमारे पास बाल चिकित्सा ईकाइयों के साथ चार कोविड केयर सेंटर भी हैं जहां एक हजार बच्चे रह सकते हैं."

इसी तरह, झारखंड ने हर जिले में बच्चों के इलाज के लिए 20 आईसीयू बेड स्थापित करने की योजना बनाई है. साथ ही, कुपोषण से जुड़े सभी चिकित्सा केंद्रों को उच्च-निर्भरता केंद्रों में बदलने की योजना है. यहां सामान्य वार्ड की तुलना में बेहतर तरीके से इलाज और देखभाल होता है. क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज में संक्रामक रोग विशेषज्ञ प्रिसिला रूपाली कहती हैं, "हमें लगता है कि तीसरी लहर का सामना करने के लिए हम बेहतर तरीके से तैयार हैं. कुछ रुकावटें आ सकती हैं लेकिन अस्पताल और सरकारी अधिकारी अभी से ही एहतियाती कदम उठा रहे हैं."

रोकथाम के लिए जरूरी है टीकाकरण

वायरोलॉजिस्ट और वैज्ञानिकों का मानना है कि तीसरी लहर को रोकना है, तो कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों का टीकाकरण करना होगा. वह कहते हैं कि उनके पास इस बात का विश्वसनीय डेटा है कि जीनोम अनुक्रमण की वजह से वायरस का वैरिएंट बदल रहा है. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनोलॉजी में वैज्ञानिक विनीता बाल कहती हैं, "टीकाकरण की धीमी रफ्तार एक बड़ी समस्या है. इससे वायरस के नए वैरिएंट को विकसित होने का मौका मिलेगा. ऐसे में इस बात की संभावना ज्यादा है कि विकसित देशों के मुकाबले भारत में तीसरी लहर काफी पहले आ सकती है क्योंकि यहां अतिसंवेदनशील लोगों की संख्या काफी ज्यादा होगी. तीसरी लहर में टीका नहीं लगने की वजह से सिर्फ बच्चे ही अतिसंवेदनशील नहीं होंगे, बल्कि दूसरे उम्र समूह के लोग और गर्भवती महिलाएं भी अतिसंवेदनशील की श्रेणी में होंगी."

भारत में टीकाकरण की धीमी रफ्तार को लेकर काफी आलोचना हो रही है. हालांकि भारत ने दिसंबर तक 2 अरब से अधिक कोविड 19 टीकों के निर्माण का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है, जो कि अधिकांश आबादी को टीका लगाने के लिए पर्याप्त होगा. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, देश की महज 11 प्रतिशत आबादी को अभी टीके की पहली खुराक लगी है. वहीं, 3.4 प्रतिशत आबादी को ही अब तक दोनों खुराक लगी हैं. बाल कहती हैं, "पूरी आबादी को टीका लगाने के लिए टीके की आपूर्ति के साथ प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मचारियों की भी जरूरत है."

नए वैरिएंट की वजह से आ सकती है तीसरी लहर

भारत में दूसरी लहर तेजी से संक्रमण फैलाने वाले वैरिएंट की वजह से आई थी जिसे लोग अब डेल्टा वैरिएंट के नाम से जानते हैं. डेल्टा वैरिएंट के नए स्ट्रेन को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ‘चिंता का विषय' बताया है. यूके के इंपीरियल कॉलेज की कोविड 19 पर प्रतिक्रिया देने वाली टीम के अनुसार, यह स्ट्रेन तीसरी लहर का कारण बन सकता है.

महामारी से जुड़े मामलों के विशेषज्ञ गिरिधर बाबू ने डॉयचे वेले को बताया, "दूसरी लहर ने सिस्टम को ध्वस्त कर दिया. हमें हर दिन कम से कम 90 लाख से 1 करोड़ लोगों को टीका लगाने और आक्रामक तौर पर वायरस के प्रसार को रोकने की जरूरत है. यह लहर सिर्फ इस वजह से खतरनाक नहीं है कि वायरस पहले से ज्यादा जानलेवा हो गया है, बल्कि इस वजह से भी कि यह पहले से ज्यादा संक्रामक हो गया है.

टीकाकरण की धीमी रफ्तार से नए वैरिएंट को विकसित होने और फैलने का मौका मिलता है. लखनऊ स्थित किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में बच्चों के श्वसन तंत्र से जुडी बीमारियों का इलाज करने वाली शैली अवस्थी ने डॉयचे वेले को बताया, "दूसरी लहर ने हमें कई बेशकीमती सबक दिए हैं. मुझे लगता है कि हम जिला अस्पतालों और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में ऑक्सीजन की आपूर्ति के मामले में बेहतर हैं. मुझे नहीं लगता कि घबराने की कोई वजह है." बता दें कि भारत में इस साल सिर्फ मई महीने में ही 90 लाख से अधिक लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हुए थे और करीब एक लाख 20 हजार लोगों की मौत हुई थी. वहीं, अब तक भारत में तीन करोड़ लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं और करीब तीन लाख 80 हजार लोगों की मौत हो चुकी है.

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