आम भारतीय हुए गरीब, अरबपतियों की बढ़ी संपत्ति
२४ जून २०२१डॉलर को मुद्रा का आधार माने तो साल 2020 में हर भारतीय परिवार की घरेलू संपत्ति 6.1 प्रतिशत कम हो गई है. वहीं रुपये को आधार माने तो यह कमी करीब 3.7 प्रतिशत है. संपत्ति में आई इस कमी की मुख्य वजह यहां जमीन और घरों के दाम में आई भारी गिरावट है. भारतीयों की घरेलू संपत्ति में कुल गिरावट 8.4 प्रतिशत है. लेकिन कुछ वित्तीय संपत्ति जैसे शेयर मार्केट में लगे पैसों से अच्छा रिटर्न मिलने के चलते करीब 2 फीसद गिरावट की भरपाई हो गई है. स्विस बैंक केड्रिट सुइस की ग्लोबल वेल्थ रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है. पूरी दुनिया में असमानता बढ़ने का दावा करने वाली इस रिपोर्ट में कहा गया है, "आर्थिक गतिविधियों में भारी गिरावट से सबसे धनी समूह न सिर्फ अछूता रहा है बल्कि शेयरों की कीमत बढ़ने और घरों के दामों पर ब्याज दरें कम होने से उसे फायदा भी हुआ है."
इस रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल दुनिया की कुल संपत्ति मे 7.4 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, जबकि प्रति व्यक्ति संपत्ति 6 प्रतिशत बढ़ी है. साल 2020 में उत्तरी अमेरिका और यूरोपीय देशों की संपत्ति सबसे ज्यादा बढ़ी है. बैड मनी किताब के लेखक विवेक कौल कहते हैं, "इसकी एक वजह दुनिया के ज्यादातर केंद्रीय बैंकों का बड़ी संख्या में नोट छापना है. वे ऐसा करके ब्याज दरों को कम करना चाहते थे ताकि लोन देकर मैन्युफैक्चरिंग और अन्य उद्योगों को बढ़ावा दे सकें और अर्थव्यवस्था को नुकसान से निकाला जा सके. लेकिन ऐसा होने के बजाए यह पैसा शेयर बाजार में लगाया जाता रहा और इससे वही लोग अमीर होते रहे, जो पहले से अमीर थे." वहीं दूसरी ओर ब्याज दरें कम होने से मध्यवर्गीय लोगों के फिक्स्ड डिपॉजिट और स्मॉल सेविंग स्कीम में लगे पैसे में बढ़ोतरी धीमी हो गई, जिससे असमानता और बढ़ी. भारत में भी 3.2 करोड़ भारतीयों के मध्यवर्ग से बाहर हो जाने के लिए ऐसी नीतियां ही जिम्मेदार रहीं.
ब्राजील में 1 प्रतिशत अमीरों के पास देश का आधी संपत्ति
कोरोना महामारी के बावजूद अमेरिका, चीन, ब्राजील और भारत सहित दुनिया के ज्यादातर देशों में सबसे अमीर 1 प्रतिशत लोगों की संपत्ति में बढ़ोत्तरी हुई है. रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना वायरस से होने वाले नुकसान की आर्थिक भरपाई का सबसे ज्यादा फायदा अमीर लोगों को हुआ है. दुनिया में असमानता के मामले में ब्राजील सबसे आगे है. यहां 1 फीसद अमीर लोगों के पास देश का 50 प्रतिशत धन है. रिपोर्ट में ब्लूमबर्ग बिलेनियर्स इंडेक्स के हवाले से बताया गया है कि दुनिया के सबसे ज्यादा अमीर 500 लोगों की संपत्ति में कुल मिलाकर 1336 खरब रुपये का इजाफा हुआ है. इसके साथ ही दुनिया में असमानता की खाई और भी गहरी हो गई है.
रिपोर्ट के मुताबिक असमानता की माप करने वाला गिनी सूचकांक भारत के मामले में साल 2020 में अब तक के सबसे ऊंचे स्तर 82.3 पर पहुंच गया. यानी साल 2000 में जहां सबसे अमीर 1 प्रतिशत भारतीयों के पास भारत की 33.5 प्रतिशत दौलत थी, वह 2020 में बढ़कर 40.5 प्रतिशत हो गई है. जो अब तक सबसे ज्यादा है. रिपोर्ट में कहा गया है, "भारत और चीन दोनों ही देशों में साल 2020 में शेयर के दामों में इजाफा इसके लिए जिम्मेदार है."
क्या अमीरों पर बढ़ाया जाए टैक्स?
तेजी से संपत्ति में बढ़ोत्तरी, बढ़ती असमानता और सरकारों को हो रहे घाटे के चलते पिछले कुछ समय से दुनियाभर में अमीर लोगों पर और टैक्स लगाने की बहस चल रही है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन जहां कैपिटल-गेन्स टैक्स को बढ़ाने और उत्तराधिकार में संपत्ति पाने वालों से टैक्स वसूलने पर विचार कर रहे हैं, वहीं ब्रिटेन में भी ऐसी मांग उठ रही है. अर्जेंटीना और बोलिविया ने तो पिछले साल से अमीरों पर टैक्स बढ़ाकर फंड का इंतजाम करना शुरू भी कर दिया है.
लेकिन जानकारों को डर है कि भारत के मामले में यह रणनीति कारगर नहीं होगी. विवेक कौल कहते हैं, "अमीरों पर व्यक्तिगत इनकम टैक्स बढ़ाने का आइडिया बहुत प्रभावशाली नहीं है. इन पर पहले से ही 40 प्रतिशत से ज्यादा टैक्स लगता है. इसमें और बढ़ोतरी हुई तो ये अमीर लोग देश छोड़कर जाने लगेंगे." वैसे यह प्रक्रिया पहले ही शुरू हो चुकी है और बड़ी संख्या में अमीर भारतीय देश छोड़कर दुबई जैसे शहरों में जाकर बस रहे हैं. विवेक कौल कहते हैं, "समस्या की असली जड़ कॉरपोरेट टैक्स हैं. सरकार को चाहिए कि वह कॉरपोरेट टैक्स में बढ़ोतरी करे, जिसे पिछले कुछ समय से लगातार कम किया जा रहा है."
भारतीय घरों में चीन से कम पैसा
चीनी घरों में भारतीयों के मुकाबले ज्यादा वित्तीय संपत्ति होने की बात भी रिपोर्ट में कही गई है. रिपोर्ट के मुताबिक, चीनी घरों में जहां फिलहाल 44 प्रतिशत वित्तीय संपत्ति है, भारतीय घरों में यह सिर्फ 23 प्रतिशत है. चीन में पिछले कुछ सालों से लोगों की बचत में हुई बढ़ोतरी और शेयर बाजार का मजबूत होना इसकी बड़ी वजहें हैं.
चीन और भारत पर टिप्पणी करते हुए नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री एंगस डीटन लिखते हैं, "कोरोना के दौरान चीन ने ज्यादातर देशों के मुकाबले अच्छा किया है, जबकि भारत ने खराब प्रदर्शन किया है. चीन में लोगों की प्रति व्यक्ति आय में बढ़ोतरी हुई, जिससे वे दुनिया के अमीर देशों के करीब पहुंचे और वहां वैश्विक असमानता में कमी आई. भारतीयों की आय में भारी कमी आई, जिससे यहां वैश्विक असमानता और बढ़ी." यह साफ है कि चीन ने कोरोना से जहां बेहतर ढंग से लड़ाई लड़ी और अपनी जनसंख्या का जीवनस्तर उठाया, भारत को भी ऐसी कोशिश करनी होगी. वरना उसके लिए कोरोना से बड़ी संख्या में हुई मौतों और जनसंख्या के बड़े हिस्से के गरीबी में जाने से खराब हुई छवि से उबरना मुश्किल होगा.