मेघालय में बच्चों में कोरोना संक्रमण बढ़ने पर चिंता
१८ जून २०२१पूर्वोत्तर राज्य मेघालय में तो कोरोना ने जिस तेजी से 14 साल से कम उम्र के बच्चों को अपनी चपेट में लिया है वह राज्य सरकार के लिए चिंता का विषय बन गया है. राज्य में अब तक पांच हजार से ज्यादा ऐसे बच्चे संक्रमित हुए हैं और उनमें से 17 की मौत हो चुकी है. बाकी बच्चों का अब तक विभिन्न अस्पतालों में इलाज चल रहा है.
बच्चों में बढ़ते संक्रमण को ध्यान में रखते हुए सरकार ने कई जिलों में बच्चों के लिए खास अस्पताल खोलने का फैसला किया है. 23 अप्रैल से ही राज्य में बाहरी लोगों की आवाजाही पर पाबंदी लगा दी गई है और लॉकडाउन 21 जून तक बढ़ा दिया गया है. सरकार ने फिलहाल शिक्षण संस्थानों को खोलने की संभावना से इंकार कर दिया है.
तेजी से बढ़ता संक्रमण
मेघालय में कोरोना संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है. इस पर अंकुश लगाने की तमाम कोशिशें अब तक नाकाफी साबित हुई हैं. राज्य में बीते 24 घंटों के दौरान 478 नए मामले सामने आने की वजह से संक्रमितों की तादाद बढ़कर 43,732 तक पहुंच गई है. इसके साथ ही चार और मरीजों की मौत के बाद मृतकों का आंकड़ा भी बढ़कर 762 हो गया है. मेघालय में बीते तीन दिनों से नए संक्रमितों की तादाद ठीक होने वाले मरीजों के मुकाबले ज्यादा बनी हुई है.
लेकिन 14 साल से कम उम्र के बच्चों में बढ़ते संक्रमण ने सरकार को चिंता में डाल दिया है. स्वास्थ्य विभाग के निदेशक अमन वार बताते हैं, "महामारी शुरू होने के बाद अब तक पांच हजार से ज्यादा बच्चे इसकी चपेट में आ चुके हैं और उनमें से 17 की मौत हो चुकी है. इनमें से अधिकतर बच्चे मई के दौरान संक्रमित हुए हैं." उन्होंने बताया कि 15 मई से अब तक करीब तीन हजार बच्चों में संक्रमण सामने आया है. इस दौरान 13 बच्चों की मौत हो गई.
स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्री अलेक्जेंडर लालू हेक बताते हैं, "परिस्थिति की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए सरकार ने शिलांग के अलावा वेस्ट गारो हिल्स के तूरा और वेस्ट जयंतिया हिल्स के जोवाई में बच्चों के अस्पताल की स्थापना का फैसला किया है. अब तक किसी नवजात में संक्रमण का मामला सामने नहीं आया है."
ताजा सर्वेक्षण
इस बीच, विश्व स्वास्थ्य संगठन और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान की ओर से हुए एक सर्वेक्षण रिपोर्ट से यह बात सामने आई है कि कोरोना की तीसरी संभावित लहर का वयस्कों की तुलना में बच्चों पर असर पड़ने की संभावना कम है. इसके लिए पांच राज्यों से दस हजार से ज्यादा नमूने लिए गए थे. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि सार्स कोव-2 सीरो पॉजिटिविटी दर बच्चों में वयस्कों की तुलना में ज्यादा है.
इस वजह से कोविड-19 के मौजूदा स्वरूप के भविष्य में दो साल और उससे अधिक उम्र के बच्चों को तुलनात्मक रूप से ज्यादा प्रभावित करने की आशंका बहुत कम है. खून में एक विशेष प्रकार की एंटीबॉडी की मौजूदगी को सीरो-पॉजिटिविटी कहा जाता है. देश में कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों और किशोरों के सर्वाधिक प्रभावित होने को लेकर जताई जा रही आशंकाओं के बीच इस अध्ययन के नतीजे सामने आए हैं.
इस सर्वेक्षण में दो से 17 साल की उम्र के सात सौ बच्चों और 18 या उससे अधिक उम्र के 3,809 लोगों को शामिल किया गया. यह लोग पांच राज्यों के थे. इनमें पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा की राजधानी अगरतला के लोग भी शामिल थे. स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि पर्वतीय राज्य मेघालय में 14 साल से कम उम्र के बच्चों में तेजी से बढ़ता संक्रमण गहरी चिंता का विषय है.
स्वास्थ्य विशेषज्ञ इसकी वजहों का पता लगाने के लिए गहन अध्ययन किए जाने की मांग कर रहे हैं ताकि कोरोना की संभावित तीसरी लहर की स्थिति में इससे बचाव की दिशा में ठोस कदम उठाए जा सकें. एक विशेषज्ञ डॉ. सीके मराक कहते हैं, "ऐसे तमाम मामलों की जांच की जानी चाहिए कि आखिर बच्चों में संक्रमण कैसे फैला. उनके चिकित्सकीय इतिहास के रिकॉर्ड का मिलान कर किसी ठोस नतीजे पर पहुंचना जरूरी है."