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सीएए के नियम जारी, कैसे मिलेगी भारत की नागरिकता

१२ मार्च २०२४

भारत सरकार ने संसद से पारित होने के चार साल बाद सोमवार को नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को अधिसूचित कर दिया. विपक्षी दल इसको अधिसूचित किए जाने के समय पर सवाल उठा रहे हैं.

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सीएए के नियम सोमवार को लागू कर दिए गए
सीएए के नियम सोमवार को लागू कर दिए गए तस्वीर: picture-alliance/AA/J. Sultan

लोकसभा चुनाव 2024 की तारीखों के ऐलान से ठीक पहले केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए), 2019 को लागू करने की घोषणा सोमवार को कर दी. नियम जारी होने के बाद धार्मिक उत्पीड़न के शिकार पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता मिल सकेगी.

नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) 11 दिसंबर 2019 को संसद से पारित हुआ था. इसके बाद दिल्ली समेत देश के कई हिस्सों में इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए थे.

बीजेपी ने किया था वादा

बीजेपी ने 2019 के लोकसभा चुनाव के अपने घोषणा पत्र में सीएए को लागू करने का वादा किया था. मोदी सरकार अब बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से प्रताड़ित गैर-मुस्लिम प्रवासियों जैसे हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदाय के सदस्यों को भारतीय राष्ट्रीयता देना शुरू करेगी. इस कानून के तहत 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए ऐसे लोगों को नागरिकता मिल पाएगी.

जब दिसंबर 2019 में यह अधिनियम संसद से पारित हुआ था तो इसके खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे. रिपोर्टों के मुताबिक सीएए विरोधी प्रदर्शनों या पुलिस कार्रवाई के दौरान सौ से अधिक लोगों की जान चली गई थी. अधिनियम को दिसंबर 2019 में ही राष्ट्रपति ने मंजूरी दी थी.

सीएए के खिलाफ देश के कई हिस्सों में प्रदर्शन हुए थे
सीएए के खिलाफ देश के कई हिस्सों में प्रदर्शन हुए थे तस्वीर: picture-alliance/AA/J. Sultan

कैसे मिलेगी भारत की नागरिकता

गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि नागरिकता (संशोधन) नियम 2024, नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 से पात्र लोग भारतीय नागरिकता प्रदान करने के लिए ऑनलाइन आवेदन कर पाएंगे. इसके लिए एक वेब पोर्टल तैयार किया गया है.

सीएए के नियमों के मुताबिक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में प्रवेश करने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी या ईसाई अब इन देशों का वैध पासपोर्ट या भारत से वैध वीजा पेश किए बिना नागरिकता हासिल कर सकते हैं.

अधिसूचित नियम कहता है कि "कोई भी दस्तावेज" जो आवेदक के माता-पिता, दादा-दादी या यहां तक ​​कि परदादा-परदादी में से किसी एक को इन देशों में से एक दिखाता है, उनकी राष्ट्रीयता साबित करने के लिए पर्याप्त होगा. और वीजा के बजाय, स्थानीय निकाय के निर्वाचित सदस्य द्वारा जारी प्रमाण पत्र भी पर्याप्त होगा.

सीएए के लागू होने के बाद तीन देशों के हजारों गैर-मुस्लिम प्रवासियों को लाभ होने की संभावना है जो भारतीय नागरिकता चाहते हैं. ऐसे लोग अब तक अवैध रूप से या लंबी अवधि के वीजा पर भारत में रह रहे थे.

"एक और वादा पूरा किया"

सीएए के लागू होने पर गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, "प्रधानमंत्री ने इस अधिसूचना के साथ एक और वादा पूरा किया है. प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में रहने वाले हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों के लिए संविधान में किए गए वादे को साकार किया है."

सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि सीएए नागरिकता छीनने का नहीं बल्कि नागरिकता देने का का कानून है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने अपने संकल्‍प से एक और गारंटी को पूरा किया है.

कांग्रेस: ध्रुवीकरण करने का कदम      

कांग्रेस ने सीएए को लागू करने के समय पर सवाल उठाया और कहा कि यह खासकर असम और पश्चिम बंगाल में मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने का कदम है. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक्स पर लिखा, "मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से नौ एक्सटेंशन मांगे और कल रात नियमों को अधिसूचित करने से पहले 4 साल और 3 महीने का समय लिया. ये सिर्फ ध्रुवीकरण के लिए हैं- बंगाल और असम में चुनावों को प्रभावित करने के लिए."

उन्होंने कहा, "अगर वे इसे ईमानदारी से कर रहे थे तो वे इसे 2020 में क्यों नहीं लाए? वे इसे अब चुनाव से एक महीने पहले ला रहे हैं. यह हेडलाइन मैनेजमेंट है. यह सामाजिक ध्रुवीकरण की रणनीति है."

तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि सीएए के नियमों की समीक्षा के बाद आगे की कार्रवाई तय की जाएगी. ममता ने कहा कि नए कानून के नियमों को जानने के बाद ही इसे राज्‍य में लागू करने का फैसला किया जाएगा.

इस बीच मंगलवार को इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने सीएए के नियम पर रोक लगाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर दी है.