ताइवान राष्ट्रीय दिवस की कवरेज और चीन का गुस्सा
९ अक्टूबर २०२०10 अक्टूबर को ताइवान का राष्ट्रीय दिवस है और इसको लेकर भारतीय अखबारों में विज्ञापन दिए गए थे. अखबारों में छपे इन विज्ञापनों को लेकर चीन ने नाराजगी जाहिर की है और उसके दिल्ली स्थित दूतावास ने "एक चीन" नीति के सिद्धांत को पालन करने की सलाह भारतीय मीडिया को दी है. चीन के इस रवैये पर ताइवान का भड़कना तो जाहिर था लेकिन भारत ने भी इस पर कहा है कि देश में मीडिया स्वतंत्र है.
पूर्वी लद्दाख में कुछ महीने पहले चीन और भारतीय सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी और भारतीय सेना के 20 जवान मारे गए थे. कहा जाता है कि चीनी सैनिकों को भी नुकसान हुआ था लेकिन उसने आंकड़े जारी नहीं किए. चीन के प्रति भारत के भीतर भावना विरोध से भरी हुई है.
चीनी दूतावास के ताइवान को लेकर दी गई सलाह पर भारत ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि देश में मीडिया स्वतंत्र है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने गुरुवार को पत्रकारों से कहा, "भारत में स्वतंत्र मीडिया है, जो मुद्दों पर अपने हिसाब से रिपोर्टिंग करता है."
बुधवार, 7 अक्टूबर को प्रमुख भारतीय अखबारों में ताइवान ने राष्ट्रीय दिवस को लेकर विज्ञापन दिया था और इन्हीं विज्ञापनों को लेकर चीन ने ऐतराज जताया है. विज्ञापन में ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन की तस्वीरें भी थीं. विज्ञापन में वेन ने भारत को लोकतांत्रिक सहयोगी देश और भारत को नैचुरल पार्टनर बताया था.
ताइवान के विदेश मंत्रालय ने भारत के लोकतंत्र और फ्री प्रेस का जिक्र करते हुए कहा कि कम्युनिस्ट चाइना अब भारतीय मीडिया को दबाना चाहता है. उन्होंने कहा, "चीन को ताइवान के भारतीय दोस्त एक ही जवाब देंगे-दफा हो जाओ."
ताइवान पर चीन अपना दावा ठोकता आया है और दूतावास ने इसको लेकर मीडिया को भेजे ईमेल में अपनी नाराजगी जाहिर की है. दूतावास ने मीडिया को भेजे ईमेल में लिखा, "ताइवान के आगामी 'राष्ट्रीय दिवस' के बारे में भारत में चीनी दूतावास अपने मीडिया के दोस्तों को याद दिलाना चाहता है कि दुनिया में केवल एक ही चीन है और पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना सरकार ही पूरे चीन का प्रतिनिधित्व करने वाली इकलौती सरकार."
दूतावास ने आगे लिखा, "हमें उम्मीद है कि भारतीय मीडिया ताइवान के सवाल पर भारत सरकार की स्थिति पर बना रह सकता है और 'एक चीन' सिद्धांत का उल्लंघन नहीं करेगा. विशेष रूप से, ताइवान को 'देश (राष्ट्र)' या 'चीनी गणराज्य' या चीन के ताइवान क्षेत्र की नेता को 'राष्ट्रपति' के रूप में पेश नहीं किया जाना चाहिए, जिससे जनता को गलत संकेत न जाए."
गौरतलब है कि नई दिल्ली का ताइपे के साथ कोई औपचारिक राजनयिक संबंध नहीं है, लेकिन दोनों पक्षों के करीबी व्यापारिक और सांस्कृतिक संबंध हैं.
आमिर अंसारी (रॉयटर्स से इनपुट के साथ)
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