अब चीन ने यूरोपीय डेयरी उत्पादों पर जांच बिठाई
२२ अगस्त २०२४यूरोपीय संघ (ईयू) और चीन के बीच जारी व्यापारिक असहमतियों और तल्खियों के बीच अब बीजिंग ने ईयू से आने वाले डेयरी उत्पादों पर एंटी-सब्सिडी जांच शुरू की है. यह जांच प्रॉसेस्ड चीज़, दही और क्रीम समेत डेयरी के कुछ खास उत्पादों से जुड़ी है. मंत्रालय के मुताबिक, चीन के राष्ट्रीय डेयरी उद्योग से जुड़े संगठनों की शिकायत पर यह जांच शुरू की गई है.
चीन के वाणिज्य मंत्रालय द्वारा जारी की गई जानकारी के मुताबिक, इस जांच में ईयू की संयुक्त कृषि नीति (सीएपी) के अंतर्गत दी जाने वाली सब्सिडियों की पड़ताल की जाएगी. एंटी-सब्सिडी जांच का मतलब है कि कोई देश अपने यहां की उन कंपनियों को सब्सिडी देता हो, जो किसी उत्पाद विशेष को अन्य देश में निर्यात करती हों. मुक्त बाजार व्यवस्था में "अनुचित सब्सिडी नीति" के कारण कंपनियों को प्रतिद्वंद्वी बाजार में नुकसान उठाना पड़ सकता है.
इलेक्ट्रिक कारों पर चीन और यूरोप का झगड़ा डब्ल्यूटीओ तक पहुंचा
इससे पहले जून में चीन ने ईयू की पोर्क (सुअर का मांस) इंडस्ट्री पर एंटी-डंपिंग जांच बिठाई थी. एंटी-डंपिंग से तात्पर्य यह जांचना है कि क्या संबंधित उत्पाद, लागत से कम कीमत पर बेचे जा रहे हैं. यानी, जिस देश में सामान बना है या जहां उसका उत्पादन हुआ है, वहां उसकी कीमत ज्यादा हो और उसे आयात कर रहे देश में उसकी कीमत कम हो.
चीन की इलेक्ट्रिक गाड़ियों पर ईयू की जांच
पिछले साल सितंबर में ईयू ने चीन से आयात होने वाली इलेक्ट्रिक गाड़ियों (ईवी) पर एंटी-सब्सिडी जांच शुरू की थी. इसके बारे में बताते हुए यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला फॉन डेय लाएन ने कहा था कि दुनियाभर के बाजार चीन में बनी सस्ती इलेक्ट्रिक कारों से पटे हैं. लाएन ने आरोप लगाया था कि चीनी सरकार की ओर से बड़ी सब्सिडी देकर गाड़ियों की कीमतें कम रखी जाती हैं और इससे ईयू के बाजार में यूरोपीय कंपनियों को काफी नुकसान हो रहा है.
यूरोपीय कंपनियों के हितों के मद्देनजर इसी साल जुलाई में ईयू ने तात्कालिक टैरिफ बढ़ाने की घोषणा की थी. अब 20 अगस्त को यूरोपीय आयोग ने एक योजना का मसौदा पेश किया है, जिसमें चीनी इलेक्ट्रिक गाड़ियों पर दीर्घकालिक आयात शुल्क लगाने की योजना है. आयोग ने यह भी कहा है कि जुलाई में घोषित टैरिफ लागू नहीं किए जाएंगे. जुलाई के मुकाबले नई योजना में टैरिफ का भी फर्क है.
संबंधित पक्षों/कंपनियों को अपना जवाब देने के लिए 10 दिन का समय दिया गया है. इसके बाद आयोग अपनी योजना को अंतिम शक्ल देगा. आयोग के मुताबिक, इन दीर्घ-कालिक उपायों को कानून का रूप देने की आखिरी समयसीमा 30 अक्टूबर है. इसके बाद प्रस्तावित शुल्क पांच साल के लिए लागू हो जाएंगे.
चीन ने चेताया, शुरू हो सकता है ट्रेड वॉर
बैटरी तकनीक से चलने वाली इलेक्ट्रिक गाड़ियों (बीईवी) के बाजार में चीन का दबदबा है. ईयू इन गाड़ियों का एक बड़ा बाजार है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, पिछले तीन साल के दौरान चीन में जितने इलेक्ट्रिक वाहन बने, उनका करीब 30 फीसदी हिस्सा ईयू में निर्यात हुआ जबकि यूरोप में बनी इलेक्ट्रिक गाड़ियों का चीन में निर्यात बहुत मामूली है.
ईयू का चीनी गाड़ियों पर शुल्क बढ़ाना चीनी कंपनियों को प्रभावित करेगा. ईयू के कदम पर चीन ने सख्त प्रतिक्रिया देते हुए चेतावनी दी कि यह व्यापारिक युद्ध की स्थिति पैदा कर सकता है. चीन ने संकेत दिए थे कि वह जवाबी कार्रवाई में यूरोप से निर्यात होने वाले सुअर के मांस और महंगी कारों पर शुल्क बढ़ा सकता है.
पहले भी बन चुकी है ऐसी स्थिति
ईयू और चीन में पहले भी व्यापारिक मोर्चे पर ऐसी क्रिया-प्रतिक्रिया हो चुकी है. चीन में बने सोलर पैनलों की यूरोपीय बाजारों में बड़े स्तर पर उपलब्धता के कारण ईयू की कंपनियों का उत्पादन कम हो गया. इसी पृष्ठभूमि में ईयू ने 2012 में चीन से आयात होने वाले सोलर पैनलों पर एंटी-डंपिंग जांच शुरू की. आयोग ने जांच में संदेहों को सही पाया और इन चीनी उत्पादों पर 37 फीसदी से 67 फीसदी तक टैरिफ लागू करने की चेतावनी दी.
जवाब में चीन की ओर से ईयू की वाइन इंडस्ट्री और कार सेक्टर पर कार्रवाई की चेतावनी दी गई. इससे जर्मनी के ऑटो उद्योग को बड़ा नुकसान होने की आशंका थी. साथ ही, यह भी संभावना थी कि चीनी सोलर पैनलों की कमी से यूरोप में अक्षय ऊर्जा का उत्पादन बढ़ाने और जलवायु से जुड़े हरित लक्ष्य हासिल करने की रणनीति पर असर पड़ेगा.
चीन पर कार्रवाई को लेकर ईयू के सदस्य देशों में भी सहमति नहीं थी. वे चीन के साथ व्यापारिक युद्ध छेड़ने के पक्ष में नहीं थे. ऐसे में यूरोपीय आयोग ने बातचीत से मसला सुलझाया.
एसएम/वीके (एपी, एएफपी, रॉयटर्स)