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क्या जम्मू-कश्मीर से हटेगा अफस्पा

२७ मार्च २०२४

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर में सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) एक्ट या अफस्पा को रद्द करने पर विचार करेगी.

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जम्मू-कश्मीर से अफस्पा हटाने को लेकर गृह मंत्री ने दिया बयान
जम्मू-कश्मीर से अफस्पा हटाने को लेकर गृह मंत्री ने दिया बयानतस्वीर: Getty Images/AFP/T. Mustafa

गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को जेके मीडिया ग्रुप को दिए एक इ्ंटरव्यू में यह भी कहा कि सरकार की योजना जम्मू-कश्मीर से सैनिकों को वापस बुलाने और कानून व्यवस्था को सिर्फ जम्मू और कश्मीर पुलिस के हवाले करने की है.

शाह ने कहा, "हमारी योजना सैनिकों को वापस बुलाने और कानून व्यवस्था को जम्मू-कश्मीर पुलिस पर छोड़ने की है. पहले जम्मू-कश्मीर पुलिस पर भरोसा नहीं किया जाता था, लेकिन आज वह ऑपरेशन का नेतृत्व कर रही है."

विवादास्पद अफस्पा पर शाह ने कहा, "हम अफस्पा हटाने के बारे में भी सोचेंगे."

क्यों विवादित है अफस्पा

अफस्पा को 1942 में तत्कालीन ब्रिटिश शासकों ने भारत छोड़ो आंदोलन पर अंकुश लगाने के लिए बनाया था. लेकिन देश की आजादी के बाद भी सरकार ने इसे बनाए रखा और साल 1958 में इसे एक अधिनियम के तौर पर अधिसूचित कर दिया गया.

11 सितंबर, 1958 को बने इस कानून को पहली बार नागा पहाड़ियों में लागू किया गया था जो तब असम का ही हिस्सा थीं. उग्रवाद के पांव पसारने के साथ इसे धीरे-धीरे पूर्वोत्तर के तमाम राज्यों में लागू कर दिया गया.

इस विवादास्पद कानून के तहत सुरक्षा बल के जवानों को किसी को गोली मार देने का अधिकार है. ऐसा वह कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए कर सकते हैं और इसके लिए उन पर कोई मुकदमा भी नहीं चलाया जा सकता.

इस कानून के तहत सेना किसी भी व्यक्ति को बिना वारंट के हिरासत में लेकर उसे अनिश्चित काल तक कैद में रख सकती है. सशस्त्र बलों के संचालन को सुविधाजनक बनाने के लिए अफस्पा के तहत किसी क्षेत्र या जिले को अशांत घोषित किया जाता है.

शाह ने पहले कहा था कि पूर्वोत्तर राज्यों में 70 प्रतिशत क्षेत्रों में अफस्पा हटा लिया गया है, हालांकि यह जम्मू-कश्मीर में लागू है. जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर राज्यों में विभिन्न संगठनों और व्यक्तियों की ओर से अफस्पा को हटाने की मांग की जाती रही है.

"सितंबर से पहले विधानसभा चुनाव"

केंद्रीय गृह मंत्री ने साथ ही कहा कि सितंबर से पहले जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव होंगे. उन्होंने कहा, "जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र को स्थापित करना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का वादा है और इसे पूरा किया जाएगा. हालांकि यह लोकतंत्र केवल तीन परिवारों तक सीमित नहीं रहेगा और यह लोगों का लोकतंत्र होगा."

सुप्रीम कोर्ट जम्मू-कश्मीर में सितंबर से पहले विधानसभा चुनाव कराने का निर्देश दे चुका है.

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